SHIVPURI NEWS - दिनारा के डामरौन स्कूल में चूल्हे पर बन रहा है खाना, सिलेंडर और गैस मुंह चिढा रहे है

Bhopal Samachar
दिनारा। दिनारा कस्बे से 10 किलोमीटर दूर पर ग्राम डामरौन के प्राथमिक माध्यमिक स्कूल में विद्यार्थियों के लिए बनाया जाने वाला मध्यान्ह भोजन गैस चूल्हे पर नहीं बल्कि लकड़ी के चूल्हे पर तैयार किया जा रहा है, जबकि यहां शासन की ओर से गैस चूल्हा व सिलेंडर भी दिया गया है स्कूल के 140 विद्यार्थी दर्ज हैं, जिसमें से कभी 70 तो कभी 80 बच्चों के लगभग प्रतिदिन मध्यान्ह भोजन लकड़ी के चूल्हे पर बनाकर खिलाया जा रहा है।

लकड़ी के चूल्हे पर मध्यान्ह भोजन बनाने से स्कूल की किचन में धुंआ होने से किचन की दीवारें काली हो गई हैं। जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। स्कूल के विद्यार्थियों को धुएं भरी रोटियां खाना पड़ रही है। इससे उन्हें बीमारी की आशंका बनी रहती है वहीं समूह की महिलाओं को भी धुएं की वजह से खांसी व दमा की बीमारी होने का भय बना रहता है शासन की ओर से सभी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन बनाने के लिए गैस चूल्हे व सिलेंडर दिए गए हैं डामरौन के प्राइमरी स्कूल को भी मध्यान्ह भोजन तैयार कराने के लिए गैस चूल्हा व सिलेंडर मिला है, लेकिन स्कूल में इसका उपयोग नहीं हो रहा है। बल्कि गैस सिलेंडर व चूल्हा किचन में रखा-रखा धूल खा रहा है।

स्कूलों सहित गांवों में भी दिए गैस सिलेंडर
केंद्र सरकार की उज्जवला योजना के तहत स्कूलों में मध्याह्न भोजन बनाने के लिए तो गैस चूल्हे दिए ही हैं साथ ही बीपीएल राशन कार्डधारी सभी महिलाओं को भी निशुल्क गैस कनेक्शन दिए हैं, ताकि महिलाओं को लकड़ी के चूल्हे पर भोजन नहीं बनाना पड़े और उनको धुएं से होने वाली बीमारियों से बचाया जा सके। लोगों ने बताया कि गांव में भी कई महिलाएं उज्जवला योजना में गैस कनेक्शन तो ले चुकी हैं, लेकिन कई परिवारों ने गैस टंकी खत्म होने के बाद उसे दोबारा नहीं भरवाया है। इससे वे लकड़ी के के चूल्हे पर। ही वे भोजन पका रही हैं।


समूह संचालक इच्छा से करती लकड़ी के चूल्हे का उपयोग
स्कूल के स्टाफ ने बताया कि समूह की संचालक को कई बार कहा गया है कि गैस चूल्हे पर ही बच्चों के लिए खाना बनाएं, लेकिन समूह संचालक अपनी बचत और इच्छा से लकड़ी के चूल्हे का उपयोग करते हैं। वहीं समूह की महिलाओं ने बताया कि गैस के चूल्हे पर बने खाने से बच्चों ने पेट दर्द की शिकायत की थी इसलिए, लकड़ी के चूल्हे पर ही खाना बना रहे थे।


गैस चूल्हे पर भोजन बनाने में लगता है ज्यादा समय
वहीं खाना बनाने वाली महिलाओं ने बताया कि गैस चूल्हे पर भोजन तैयार करने में समय अधिक लगता है। इससे मध्यान्ह भोजन लकड़ी के चूल्हे पर तैयार कराया जा रहा है, ताकि विद्यार्थियों ने समय पर मध्यान्ह भोजन मिल सके। साथ ही जब गैस की टंकी एक बार खत्म हो जाने के बाद दोबारा गैस भरवाने में पैसे बहुत अधिक लगते हैं, जो समूह भरपाई नहीं कर पा रहा है। इसके चलते वे लकड़ी के चूल्हे पर ही मध्यान्ह भोजन तैयार करते हैं।

गैस चूल्हा व सिलेंडर रखे स्कूल में, लेकिन खाली
खाना बनाने वाली महिलाओं ने बताया गैस चूल्हा और सिलेंडर स्कूल में रखे हैं, लेकिन समूह संचालक गैस नहीं भरवाती हैं, इसलिए लिए हमें मजबूरन मिट्टी के चूल्हे पर ही बच्चों के लिए खाना बनाना पड़ता है। चूल्हे के का धुआं हमारी आंखों में घुसता है, इससे हम कई बार बीमार भी पढ़ चुके हैं।


कल ही सिलेंडर भरवा कर खाना बनवाएंगे
गैस भरवाने में ज्यादा पैसा लगता है। वहीं लकड़ियों कम पैसे में आ जाती हैं। इसलिए लकड़ी के चूल्हे पर बच्चों के लिए खाना बनाना पड़ता है। कल ही सिलेंडर भरवाकर गैस चूल्हे पर खाना बनवाएंगे
मनोज कुशवाहा समाज अध्यक्ष


स्कूलों में बच्चों को खाना खिलाना पहली प्राथमिकता है,
कैसे बन रहा है यह समूह की जिम्मेदारी है शासन ने प्र सिलेंडर उपलब्ध कराया था, लेकिन बजट का हवाला देकर सिलेंडर रिफिल नहीं कराए जाते हैं
अनिल शर्मा, प्रभारी डामरोंन