कॉलर ट्यून बनकर बज रहा है बदरवास बीआरसी तोमर का 50 लाख का घोटाला, विभाग सुन्न- Badarwas News

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शिवपुरी।
बदरवास शिक्षा केंद्र में शाला प्रबंधन समिति के फंड में सेंधमारी की आडियो सोशल पर वायरल हो रही है। इस आडियो मे शिक्षक स्पष्ट रूप से कह रहे है कि पैसा निकालने के लिए बीआरसी आफिस से फोन आया था और ओटीपी भी ले गई थी,और पेमेंट भी आधा दिया गया है बिल क्या लगे हमे पता नही है। अब पैसा नगद देने की बात कर रहे है। लेकिन यह आडियो शिक्षा विभाग के अधिकारियों को नहीं सुनाई दे रहा है।

शिवपुरी समाचार डॉट कॉम ने सबसे पहले इस मामले को उठाया था। मामला प्रकाश में आते ही इसकी जांच के लिए डीपीसी ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। कमेटी की प्रारंभिक जांच में कई खामियां नजर आई हैं और लाखों रुपये के नियम विरुद्ध भुगतान की बात सामने आ रही है। हालांकि तय समय सीमा के बाद भी कमेटी अपनी जांच पूरी नहीं कर पाई है और रिपोर्ट नहीं सौंपी है। वहीं इस मामले में कार्यालय के चपरासी ने खुद स्वीकार किया है कि बाबू के कहने पर उसने स्कूल के शिक्षकों को फोन लगाकर उनसे ओटीपी लिए थे।

स्कूलों में कंटनजेंसी राशि का सही और पारदर्शी उपयोग हो इसके लिए विभाग ने भुगतान की एप से आन लाइन व्यवस्था स्कूलों को सौंपी, जिसमें शाला प्रभारी सहित स्कूल के दो शिक्षक अलग-अलग स्तर पर मेकर, क्रिएटर, वैरीफायर बनाए गए हैं। इनमें से एक शिक्षक आवश्यक सामग्री क्रय करेगा, दूसरा उक्त खरीदी गई सामग्री या कराए गए कार्य का भौतिक सत्यापन करेगा जबकि अंतिम स्तर पर शाला प्रभारी उस संबंधित फर्म को ओटीपी के जरिए सीधे खाते में भुगतान करेगा। यह सारा कार्य शिक्षक को अपने मोबाइल या कम्प्यूटर से करना था।

यहां हुआ यह कि कार्यालय में पदस्थ चपरासी राधे ने क्षेत्र के करीब सौ स्कूलों के प्रभारियों को कार्यालय समय बाद फोन लगाएं और कंटनजेंसी राशि जारी करने की बात कह कर कथित तौर पर उनकी ओटीपी ले ली और इसके जरिए भुगतान बदरवास की स्टेशनरी, हार्डवेयर से जुड़ी कुछ चुनिंदा फर्मों के खाते में कर दिया गया।

चपरासी ने फोन लगाकर लिए ओटीपी, शिक्षकों के भी आडियो प्रसारित

मीडिया ने राधे से पूछा तो उसने स्वीकार किया कि बाबूजी (सचिन गुप्ता) के कहने पर उसने शिक्षकों को फोन लगाएं और ओटीपी हासिल की। राधे ने भुगतान की यह प्रक्रिया कार्यालय के कंप्यूटर से न होने की बात कही है और बदरवास कस्बे के संध्या कंप्यूटर सेंटर के लैपटॉप से भुगतान होना बताया है। इस मामले में शिक्षकों के कुछ आडियो भी इंटरनेट मीडिया पर बहुप्रचारित हुए हैं। उनमें कुछ शिक्षक यह कहते सुनाई दे रहे हैं कि वे भुगतान के बाद नकद पैसा ले आए हैं। वहीं बिल के संबंध में भी अनभिज्ञता जाहिर कर रहे हैं। बातचीत में कमीशन और रिश्वत की बात की बात भी सामने आ रही है।

इनका कहना है
मैं संबंधितों से इस मामले पर विस्तृत जानकारी लेता हूं और आश्वासन देता हूं कि इस मामले की उच्च स्तरीय और विशेषज्ञ अधिकारियों की टीम गठित कर जांच करवा कर सब कुछ स्पष्ट किया जाएगा।
उमराव मरावी, CEO जिला पंचायत
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