हेल्थ डिपार्टमेंट का कारनामा, आत्मा कर दिया ट्रांसफर, 2 माह पहले सुसाइड कर चुकी है नर्स- Shivpuri News

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शिवपुरी। स्वास्थ्य विभाग पर अभी तक लापरवाही के कारण इलाज के दौरान मौत होने के आरोप लगते थे। सीधे शब्दों मे लिखे तो एक जिंदा आदमी को आदमी बनाने का काम स्वास्थ्य विभाग कर देता था। इसी आत्मा प्रेम के कारण फिर स्वास्थ्य विभाग सुर्खियों में बना हुआ है,कारण विभाग ने एक ऐसा ट्रांसफर किया है जो व्यक्ति जिंदा नही है उसकी 2 माह पूर्व मौत हो चुकी है।

उल्लेखनीय है कि बैतूल निवासी 28 वर्षीय तन्वी दबंडे शिवपुरी में बतौर नर्सिंग स्टाफ पदस्थ थी। वह डिप्रेशन का शिकार हो चुकी थी, ऐसे में भोपाल के किसी डॉक्टर से वह अपना इलाज करवा रही थी। यही कारण था कि वह चाहती थी कि उसका स्थानांतरण उसके घर के आसपास या भोपाल हो जाए, ताकि वह अपना उपचार ठीक से करा सके और अपने स्वजनों की सहायता से डिप्रेशन से बाहर निकल सके।

यही कारण है कि वह अपने स्थानांतरण के लिए लंबे समय से प्रयास कर रही थी। यहां तक कि उसने खुद के व्यय पर स्थानांतरण करने के लिए आवेदन भी किए, लेकिन उसका स्थानांतरण नहीं हो सका, जिसके चलते वह लगातार और अधिक डिप्रेशन में चली गई।

इसी क्रम में दिसम्बर माह में जब संविदा स्वास्थ्य कर्मियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की तो खोड़ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ रहते हुए उसे लगातार 90 घंटों तक ड्यूटी करनी पड़ी, जिसके चलते उसने 20 दिसम्बर को अपने सरकारी आवास में अत्यधिक नींद की गोलियों का सेवन कर लिया। नींद की गोलियों के ओवर डोज से तन्वी की मौत हो गई। तत्समय तन्वी की मौत पर किसी ने कुछ नहीं बोला, स्वास्थ्य विभाग के लोग इसे नींद की गोलियां खाकर अज्ञात कारणों के चलते आत्महत्या से जोड़ कर देख रहे थे।

इसी क्रम में 23 फरवरी की शाम स्वास्थ्य विभाग के नर्सिंग स्टाफ के स्थानांतरण की सूची जारी हुई। इस सूची में सातवें नंबर पर तन्वी दबंडे का नाम अंकित है। उसने स्वयं के व्यय पर अपना स्थानांतरण करवाया था। सूची के अनुसार उसका स्थानांतरण जिला चिकित्सालय रायसेन पदस्थ किया गया है। सूची सामने अाने के बाद तन्वी से जुड़े नर्सिंग स्टाफ में इस बात की चर्चाएं होने लगी हैं कि यह स्थानांतरण अगर पहले हो जाता तो शायद तन्वी यूं न जाती। उसके साथ कम कर चुकी एक नर्स ने नाम और पहचान उजागर न करने की शर्त पर बताया कि वह कई बार कहती थी कि वह यहां काफी अकेला महसूस करती है, काफी परेशान रहती है।

वह चाहती है कि कैसे भी उसका ट्रांसफर घर या घर के आसपास किसी जिले में हो जाए तो परेशानी काफी हद तक खत्म हो जाएगी। नर्स के अनुसार वह खुद के स्थानांतरण के लिए लंबे समय से प्रयास कर रही थी। बकौल नर्सिंग स्टाफ उसकी इच्छा पूरी तो हुई लेकिन उसकी मौत के बाद.....। उसके साथ काम कर चुकी नर्सों के अनुसार वह काफी होनहार थी और उसे उत्कृष्ट काम के लिए कई बार सम्मानित भी किया गया था। अगर यह ट्रांसफर पहले हो जाता तो शायद तन्वी आज भी हमारे बीच होती।
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