बदरवास पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव एवं विश्व शांति महायज्ञ 22 जनवरी से- Badarwas News

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बदरवास।
बदरवास पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव एवं विश्वशांति महायज्ञ जो की 22 जनवरी से 27 जनवरी को संपन्न होने होने वाला है इसमें भगवान आदिनाथ का पंचकल्याणक मनाया जाएगा जिसमें की पाषाण से भगवान बनने की पूरी प्रक्रिया दिखाई जाएगी जिसमें घुरवार रोड पर अयोध्या नगरी में अयोध्या नगरी बनाई गई है इसमें एक विशाल पंडाल तैयार किया जा रहा है

उसी के सामने एक विशाल भोजन शाला का निर्माण किया गया है साथ ही पूरे नगर की साज.सज्जा की जाएगी इसमें कि 22 जनवरी को बालक ऋषभदेव का गर्भ कल्याणक पूर्वरूप दिखाया जाएगा 23 जनवरी को गर्भ कल्याणक उत्तररूप मनाया जाएगा 24 तारीख को भगवान का जन्म कल्याणक मनाया जाएगा जिसमें की भव्य जुलूस निकाला जाएगा 25 तारीख को भगवान का तप कल्याणक मनाया जाएगा 26 तारीख को ज्ञान कल्याणक कल्याण दिखाया जाएगा और 27 तारीख को मोक्ष प्राप्त दिखाया जाएगा

पात्रों का चयन किया गया जिसमें बाल ब्रह्मचारी सम्राट प्रतिष्ठाचार्य विनय भैया बंडा की उपस्थिति में आशीष भैया, दीपक भैया और महाराज जी श्री 108 निर्यपक अभय सागर महाराज जी, प्रभात सागर महाराज जी, निरीह सागर महाराज जी के सानिध्य में पात्रों के चयन की घोषणा की गई जिसमें सोधर्म बनने का सौभाग्य संजीव कुमार महावीर, महावीर प्रसाद, संजीव कुमार, राजेंद्र कुमार, सांदखेड़ावालों को कुबेर इंद्र महेश कुमार विवेक कुमार चिलाबाद बालों को महायज्ञ नायक शिखर चंद राजेश कुमार आनंद कुमार शिशुपाल ,कुमार मुकेश कुमार सुमेला बालो को सनत इंद्र प्रकाश चंद जलज कुमार दीपक कुमार सुनील कुमार नीरज कुमार कटरा बालो क ईशान इंद्र शीतल प्रकाश सचिन कुमार नितिन शुभम शिवानी अखाई वाले महेंद्र इंद्र महावीर प्रसाद राजकुमार विवेक कुमार डूंगासरा बालो को राजा श्रेयांस पारस कुमार प्रवीण कुमार बारोदिया बालो बाहर से सैकड़ों लोगों की उपस्थिति रही जिसमे कार्यक्रम के पश्चात वात्सल्य भोज का आयोजन किया गया।

घुरवार गांव के निकट सिंध नदी से प्राप्त हुई थी भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा की कहानी

जैन मिलन अध्यक्ष एवम मीडिया प्रभारी नीरज नवनीत जैन ने बताया बात आज से करीब 5 साल पहले की है की बदरवास नगर से कुछ ही दूरी पर स्थित घूरवार गांव के निकट सिंध नदी के किनारे एक पत्थर जैसी शिला उल्टी पड़ी हुई थी जिसमे आसपास के सभी लोग सामान्य पत्थर समझ कर कभी ध्यान नहीं देते थे एक दिन अचानक गांव के व्यक्तियों उपयोग में लेने के लिए उस पत्थर को सीधा किया तो देखा कि इसमें तो कोई प्रतिमा जैसी लग रही है जो को जैन लोग पूजा किया करते है।

जैसे ही ये बात बदरवास के लोगो को लगी जैन समाज के लोग बहा पहुंचे और उस प्रतिमा को बदरवास जैन मंदिर में लाकर रख दी जिसके सामान्य दर्शन सभी लोग करने लगे कुछ ही दिन पश्चात पर्युषण पर्व प्रारंभ हुए जिसमे आर्यिका रत्न पूर्णमति माताजी की शिष्या संगस्थ बहनों का बदरवास में धर्म प्रभाबना के लिए आना हुआ तब देखा उन्होंने की मंदिर जीर्ण शीर्ण अवस्था में है साथ ही मंदिर तो बहुत छोटा है और समाज भी उसमे जब एक साथ आती है तो आ नही पाती और जब दीदी ने बो प्रतिमा को देखा तो कहा ये प्रतिमा तो बहुत अदभुत नजर आती है तब दीदी ने ये प्रतिमा आर्यिका मां पूर्णमति जी को दिखाई तो माताजी ने बताया ये तो अतिशयकारी प्रतिमा है।

और जब ये प्रतिमा आचार्य श्री 108 विद्यासागर महाराज को दिखाई गई तब उन्होंने बताया ये चमत्कारी पाश्र्वनाथ भगवान की प्रतिमा है जिस सर्प की आकृति के फन बने हुए है जब भगवान पाश्र्वनाथ पर कमठ द्वारा उपसर्ग किया गया था तो देवी पद्मावती द्वारा उनकी रक्षा की थी बस तब से ही बदरवास जैन समाज मंदिर के जीर्णोद्धार में लग गया और एक छोटी सी जैन समाज ने आपस में मिलकर एक भव्य और विशाल जिन मंदिर का निर्वाण कर लिया जिसमे तीन शिखर और तीन बेदियो का ये मंदिर तीन साल में बनकर तैयार हो गया।

जिसमे चौबीस नए भगवान भी विराजमान किए जाएंगे साथ ही आदिनाथ भगवान की अति मनोहारक पाषाण की प्रतिमा भी आई है साथ ही मुनिसुव्रत भगवान की प्रतिमा भी विराजमान की जाएगी इन सब को प्रतिष्ठित करने के लिए पंचकल्याण प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन किया जाना था परंतु कोरोना काल के कारण कुछ देरी से ही सही पर अब भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव एवम विश्व शांति महायज्ञ का आयोजन 22 जनवरी से 27 जनवरी तक आचार्य श्री 108 विद्यासागर महाराज के परम प्रभाबक शिष्य निर्यापक मुनि श्री 108 अभय सागर महाराज मुनि श्री प्रभात सागर महाराज मुनि श्री निरीह सागर महाराज एवम प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्रह्मचारी सम्राट विनय भैया के सानिध्य में संपन्न होने जा रहा है।
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