शिवपुरी। समाधि मंदिर पर शुरू हुए भगवान मुनि सुब्रत स्वामी जी के मंदिर की अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव के तीसरे दिन भगवान का धूमधाम से जन्मकल्याणक मनाया गया। जैसे ही भगवान के जन्म लेने की घोषणा आचार्य कुलचंद्र सूरि जी और पंन्यास प्रवर कुलदर्शन विजय जी ने की वैसे ही पूरा हॉल भगवान की जय.जयकार के नारों से गूंज उठा।
जैन धर्माबलंबी महिलाओं, पुरूषों और बच्चों ने नाच गाकर भगवान के जन्म की खुशियां मनाई। जैसे ही भगवान मुनि सुब्रत स्वामी का जन्म हुआ वैसे ही इंद्र का सिंहासन कम्पाएमान हो उठा। अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव के तीसरे दिन भगवान मुनि सुब्रत स्वामी के जन्म के साथ ही उनके पाठशाला गमन, विवाह, राजआभिषेक और नव लोकंतिक देवों द्वारा उनसे दीक्षा की विनती को भी साकार रूप दिया गया। आयोजन में तीसरे दिन की नवकारसी के लाभार्थी परम गुरू भक्त परिवार शिवपुरी रहे।
वहीं स्वामी वात्सल्य का लाभ डॉ. कुलदीप जैन, मदनलाल गुप्ता, रोहित गर्ग आदि परिवार ने उठाया। अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव में भगवान मुनि सुब्रत स्वामी परमात्मा आदि 9 जिन बिम्बों की प्रतिष्ठा किया जाना है। जिन बिम्बों का नगर प्रवेश और गंभारा प्रवेश हो चुका है और मांगलिक विधान के साथ अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव का शुभारंभ होगा। जिसमें वेदिका पूजन, क्षेत्रपाल पूजन, पाठला पूजन, भैरव स्थापना आदि रश्मों का निर्वहन प्रथम दिन हुआ। प्रतिष्ठा महोत्सव के दूसरे दिन भगवान मुनि सुब्रत परमात्मा का च्यवन कल्याणक मनाया गया।
तीसरे दिन जैन धर्माबलंबियों ने प्रतिष्ठा महोत्सव को लेकर उत्साह चरम पर पहुंच गया। मंच पर विधि कारक मंत्रोच्चार कर रहे थे। वहीं पंन्यास प्रवर कुलदर्शन विजय जी भगवान के जन्म को लेकर धर्माबलंबियों का उत्साह बढ़ा रहे थे। भगवान मुनि सुब्रत स्वामी के पिता के सुमित्र राजा और पदमावती रानी की भूमिका में दीपक सांखला तथा उनकी धर्मपत्नी श्रीमति मंजू सांखला शाही वेशभूषा में थीं। जबकि इंद्र इंद्राणि के रूप में सुनील सांड और उनकी धर्मपत्नी श्रीमति सुमन सांड थीं।
जैसे ही मंत्रोच्चार के बीच भगवान के जन्म की घोषणा हुई, वैसे ही पूरा पांडाल हर्षातिरेक में गूंज उठा। इस अवसर पर मुनि सुब्रत दादा का पूरा परिवार विराज