शराब के नशे के कारण बर्बाद 10 साल का बचपन, यह खबर शासन-प्रशासन और हमसे कुछ कहती हैं- Shivpuri News

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प्रदीप मोंटू तोमर,शिवपुरी।
शराब के नशे में 10 साल का बचपन यह खबर मीडिया में पिछले 24 घंटे से सुर्खियों में है। यह खबर समाज से कुछ कहती हैं साथ में शिवपुरी के प्रशासन का चेहरा भी उजागर करती हैं जो इस खबर के सामने आया हैं। यह खबर शासन की उन योजनाओं के लिए भी चुनौती है जो बचपन को लेकर बनाई गई हैं। अगर समाज का यह दृश्य है तो यह योजना का क्रियान्वयन हो रही हैं।

यह खबर 2 मामले को उजागर करती है शासन के लिए बचपन की सुरक्षा के लिए बनाई गई योजनाएं कहाँ है धरातल पर तो नहीं दिख रही। वही बीच शहर में गांव डेरो जैसे कच्ची शराब का बिकना भी सवाल खड़े करती हैं। यह एक ओर चेहरा सामने आया है पार्षद एमडी गुर्जर का जिसने अपने वोटरों का परिवार समझा और परिवार के तरह लेकर इस कड़वे मामले को उजागर किया। वही बधाई के पात्र है शहर के युवा पत्रकार कपिल मिश्रा जिन्होने इस मामले को बड़ी ही मार्मिक शब्दों में अपने संस्थान में प्रकाशित किया। अगर देखा जाए तो यह सामान्य घटना है कि लेकिन समाज की कड़वी सच्चाई हैं। चलिए अब मूल खबर की ओर चलते हैं...........................

मामला शिवपुरी के शहर के फिजीकल क्षेत्र वार्ड क्रमांक 36 का है। वार्ड क्रमांक 36 के पार्षद एमडी गुर्जर के पास करौंदी कॉलोनी में रहने वाला एक 10 वर्ष का बालक उसके पास पहुंचा और कहां कि मेरी मेरी को शराब की लत हैं और वह सुबह से ही शराब पीने बैठ जाती हैं। पार्षद जब बच्चे के पास पहुँचा तो उकसी मां शराब पीती मिली उसका पिता भी अपने दोस्तो के साथ बैठकर उसके ही घर में दारू पी रहा था। इस घर में इस बच्चे की बडी बहन भी थी वह भी इन सबको शराब पीते हुए देख रही थी। कुल मिलाकर कह सकते है कि पूरा घर शराब का एक छोटा सा आहता लग रहा था।

मां बोली शराब पीने से बीमार नहीं होती, पिता बोला मजदूरी के बाद पीता हूं

कहते है कि शब्द शब्द होते है उनमें झूठ अपनी जगह तलाश लेता है,ऐसे ही कुछ तर्क दिए इस मासूम के माता-पिता ने,लेकिन दृश्य झूठ नहीं बोलते यह दृश्य देखकर पार्षद ने शराब पीने की वजह पूछी तो शब्दों ने तर्क रूपी झूठ तलाश ही लिया। मासूम की मां बोली कि उसे शराब पीना अच्छा लगता है, शराब पीने से वह बीमार नहीं होती। इस दौरान पार्षद के साथ खड़ा मासूम सिर्फ सिसक रहा था। वही पिता बोला मजदूरी के बाद थक जाता हूं इसलिए पीता हूं।

बीच शहर में बिक रही है कच्ची शराबः आवेदन के बाद भी एक्शन नही

शिकायत करने वाले बच्चे ने पार्षद को बताया कि उसके पड़ोस में राजकुमार आदिवासी कच्ची शराब बेचता है। वहीं से उसके माता.पिता दोनों शराब खरीदते हैं। जिसके बाद पार्षद अपने दो साथियों के साथ शराबी बनने का नाटक करके शराब खरीदने गए। उन्होंने राजकुमार से शराब मांगी तो वह थोड़ी देर में अंदर से कच्ची दारू लेकर आ गया।

पार्षद गुर्जर का कहना है कि सिर्फ करौंदी में ही चार से पांच जगह कच्ची शराब बेची जा रही है। जिससे कई घर बर्बाद हो चुके हैं। शिवपुरी एसपी को भी शिकायती आवेदन दिया था। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

पुलिस ने दिया कड़ी कार्रवाई का आश्वासन

मीडिया ने S P राजेश सिंह चंदेल से बात की तो उन्होंने बताया कि समय.समय पर अवैध शराब के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। करौंदी क्षेत्र में शराब बिकने की सूचना आपके द्वारा दी गई है। अवैध शराब बेचना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जांच में कोई अवैध शराब का बेचते पाया जाता है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

शिवपुरी के ग्रामीण अंचल में कच्ची शराब पीने का चलन है। लेकिन अब शहरी क्षेत्रों में भी कच्ची शराब का चलन चल पड़ा है। सस्ती होने के कारण मजदूर तबके के लोग कच्ची शराब को खूब पसंद करते हैं और सुबह से लेकर शाम तक नशे में धुत रहते हैं। कच्ची शराब की लत अब महिलाओं को भी लग गई है। जिसके चलते कई घर बर्बाद होने की कगार पर पहुंच गए हैं।

खबर कहती है कि कहां है थ्री स्टार सोशल वर्कर

यह खबर कहती है कि यह करोंदी के एक घर का मामला नहीं है ऐसे कई घर हो सकते है। जहां शराब के कारण कई घर बर्बाद हो रहे हैं,ऐसे की कई मासूम नशे के नीचे दबकर अपने आने वाले भविष्य को बर्बाद होते देख रहे है। मजदूर वर्ग शराब पीता हैं कहने को सरकार इनकी गरीबी पर रहम करते हुए कई योजनाएं संचालित कर रही हैं लेकिन पैसा भी इनसे ही सबसे ज्यादा वसूल रही हैं। अगर यह शराब नहीं पीएगें तो सरकार के राजस्व की हानि होगी आबकारी के रूप मे जितना भी शराब का टैक्स सरकार को मिलता होगा वह यह गरीब मजदूर तबका देता होगा।

मेरे शब्दों में लिखे तो 15 रूपए किलो का गेहूं फ्री देकर सरकार ऐसे गरीब तबके केा 30 रुपए लीटर का शराब रूपी जीवन बर्बाद करने वाला पानी 300 रूपए लीटर में बेच रही हैं। गेहूं तो देती होगी प्रति व्यक्ति 5 से 10 किलो अर्थात 200 रुपए का अधिकतम फायदा लेकिन 1500 रु हर माह उससे शराब के रूप में वसूल रही हैं यह सरकार का गणित है।

लेकिन यहां एक सवाल यह भी जन्म लेता है कि यहां हालात कैसे सुधर सकते हैं। कच्ची शराब का यहां बिकना समस्या नहीं हैं प्रशासन बंद करवा देगा फिर यह विधिवत लाइसेंस वाली कलारी से खरीद लेगें। यहां कमी है जागरूकता की। शिवपुरी में कई समाज सेवी संस्थाएं काम करती हैं किसी एक को आगे आना चाहिए जो इनमें जाकर जागरूकता की ओर काम करे,इस मासूम को तलाश है ऐसी थ्री स्टार वाली संस्थाओं की जो इनके घर मोहल्ले में आकर जागरूकता का काम करे,लेकिन यह संभव नहीं है शहर की थ्री स्टार कल्चर वाली संस्थाएं भी थ्री स्टार कल्चर वाले लोगों के बीच जाकर काम करती हैं ऐसे गली मोहल्ले और मजदूरों के घर नहीं यह खबर समाज,प्रशासन और 30 रुपए लीटर का लाल पानी 300 रुपए लीटर में बेचने वाले शासन को आईना दिखाती हैं।