Shivpuri News- साइकिल पर निकला एक पर्यावरण रक्षक: जिसका उद्देश्य महात्मा के जीवन दर्शन को लोग समझे

Bhopal Samachar
शिवपुरी।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक की यात्रा का सफर और लक्ष्य लेकर निकले 74 वर्षीय पर्यावरण रक्षक, जिसके अंदर 18 वर्ष के युवाओं जैसा जोश है, जी हां हम बात कर रहे हैं आईआईटी प्रोफेसर स्पिक मैके के संस्थापक डाॅ किरण सेठ की जिन्होंने देशवासियों को पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण रहित वातावरण और मानसिक एकाग्रता बढ़ाने के लिए ध्यान गतिविधि करने की पहल की है। खास बात यह है कि उन्होंने 15 अगस्त 2022 तक का लक्ष्य तैय किया हैं उनका लक्ष्य 26 जनवरी 2023 तक का रखा हैं

यात्रा करते समय शिवपुरी पहुंचे डॉ सेठ किरण
कश्मीर से कन्याकुमारी तक का लक्ष्य रखते हुए बीच में कल शिवपुरी पहुंचे डाॅ किरण सेठ उन्होंने लोगों को बताया अपना उद्देश्य और समझाया कि हम सब कुछ भूलते जा रहे हैं हमारा शास्त्रीय संगीत, लोक कलाएं आदि वह विधा हैं जिनका संरक्षण और संवर्धन नहीं हुआ तो यह कलाएं लुप्त होती जाएंगी और इन कलाओं के संरक्षण के लिए आवश्यक है लोगों में जागरूकता। स्पिक मैके के डॉक्टर किरण ने कहा कि वह महात्मा गांधी को अपना आदर्श भी मानते हैं और चाहते हैं कि महात्मा की अहिंसा और महात्मा के जीवन दर्शन को लोग समझे। इसीलिए महात्मा गांधी के सिद्धांतों को लोगों के बीच पहुंचाना उनका लक्ष्य है।

स्पिक मैके क्या है
बीच युवा भारतीय शास्त्रीय संगीत और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सोसायटी ; स्पिक मैके, एक स्वैच्छिक युवा आंदोलन जिनमें से अमूर्त पहलुओं को बढ़ावा देता है भारतीय सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देकर भारतीय शास्त्रीय संगीत, शास्त्रीय नृत्य, लोक संगीत, योग, ध्यान, शिल्प और अन्य पहलुओं भारतीय संस्कृति के यह दुनिया भर के 300 से अधिक शहरों में अध्यायों वाला एक आंदोलन है।, स्पिक मैके की स्थापना डॉ किरण सेठ ने 1977 में आईआईटी दिल्ली में की थी ।

स्पिक मैके की शुरुआत
डॉ0 किरण सेठ लंबे समय तक आईआईटी दिल्ली से भी जुड़े रहे और उसके बाद देश के पर्यावरण और संस्कृति को साथ जोड़ते हुए दिल्ली में ही 1977 में स्पिक मैके की स्थापना की। आज यह संस्था अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त है। इसके वार्षिक सम्मेलन देश के हर आईआईटी में आयोजित हो चुके हैं। स्पिक मैके देश के 500 शहरों में मौजूद हैए 2000 से अधिक शैक्षणिक संस्थाएं इससे जुड़ी हुई है। पूरे वर्षभर में 5000 से अधिक कार्यक्रम आयोजित होते हैंए इसमें सरकारी स्कूलों में होने वाले कार्यक्रम भी शामिल हैं। इस तरह डॉण् किरण सेठ के प्रयासों से स्पिक मैके ने युवाओं को भारतीय संस्कृति से जोड़ने का अत्यन्त महत्वपूर्ण कार्य किया है।

किरण सेठ के बारे में
किरण सेठ,आईआईटी खड़गपुर से एक युवा स्नातक, कोलंबिया विश्वविद्यालय,न्यूयॉर्क में अपने डॉक्टर की पढ़ाई कर रहे थे, जब उन्हें ब्रुकलिन संगीत अकादमी,न्यूयॉर्क में उस्ताद नासिर अमीनुद्दीन डागर और उस्ताद जिया फरीदुद्दीन डागर द्वारा ध्रुपद संगीत कार्यक्रम में भाग लेने का मौका मिला। शहर ।

1976 में भारत लौटने पर उन्होंने दिल्ली में पढ़ाना और शोध कार्य करना शुरू किया ,जहां उन्होंने छात्रों के साथ मिलकर 1977 में  शुरुआत की,और डागर ब्रदर्स द्वारा इसका पहला संगीत कार्यक्रम , दिल्ली में 28 मार्च को आयोजित किया गया था।

इसकी कुछ प्रमुख गतिविधियों में शामिल हैं, उत्सव श्रृंखला, विरासत श्रृंखला, छात्रों और शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय सम्मेलन, राष्ट्रीय स्कूल गहनता, पार्क में संगीत, स्पिक मैके छात्रवृत्ति कार्यक्रम, विरासत की सैर, प्रख्यात विचारकों द्वारा वार्ता, योग और ध्यान शिविर,स्क्रीनिंग क्लासिक सिनेमा आदि।

डाॅ0 किरण सेठ ने बताया साइकिल यात्रा का उद्देश्य
डॉ ण्किरण सेठ ने कहा कि इस साईकिल यात्रा का उद्देश्य देश में युवाओं के बीच में सरल और सादगीपूर्ण तरीके से स्वास्थ्य ठीक रखना, पर्यावरण के प्रति जागरूक करना, स्पिक मैके के उद्देश्यों में साथ देने के लिए नए लोगों को जोड़ना है। संवाद में डॉ0सेठ ने कहा कि वेस्ट और बेस्ट के चयन का समय चल रहा है। हमने वेस्ट का कल्चर देखा, जो कि हमारे चारों तरफ है, इसमें हम बहुत कुछ खोते जा रहे हैं। रोज नए लक्ष्य,कभी न खत्म होने वाली भूख है। वहीं हमारी संस्कृति और संस्कार हैं, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सिद्धान्त हैं कि जो हमारे पास है हम उसी में खुशी खोजते हैं, संतोषी रहते हुए अच्छे रहते हैं। हमारे युवा दुनिया के श्रेष्ठ युवा हैं, सिर्फ इन्हें हमारी संस्कृति से जोड़ते हुए अच्छा माहौल देने की जरूरत है।

बच्चों को पहले सीखने के लिए तैयार करना होगा
वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पर डॉ0सेठ ने कहा कि आजकल बच्चों को सीधे युद्ध में उतार दिया जाता है जबकि उन्हें हथियार चलाना ही नहीं आता। हमें विद्यार्थियों को पहले यह सीखाना होगा कि सीखना कैसे है घ्ए जब तक बच्चे यह नहीं समझेंगे तब तक वे 10 मिनट के काम को 10 घंटे में करेंगे। यदि योद्धा प्रशिक्षित होकर युद्ध लड़ने जायगा तो जीतने की संभावनाएं ज्यादा होगी। इसलिए बच्चों के सर्वांगीण विकास के साथ उनके ध्यान और ठहराव पर फोकस करना चाहिए।

हमें विरासत में मिला ध्यान.
डॉ 0सेठ ने कहा कि आज सबसे बड़ी समस्या कंसंट्रेशन हो गई है। बच्चे ध्यान से कोई काम नहीं कर पाते हैं। इसके लिए सबसे जरूरी योग है। जहां.जहां जिन संस्थाओं में बच्चों को योग से जोड़ा गया, उनके परिणाम बेहतर आए। जिन्हें शास्त्रीय संगीत और गायन की शिक्षा दी गई वो ध्यान केन्द्रित करने में काम आई। वर्तमान समय में बच्चों को तनाव से दूर रखने के लिए ये गतिविधियां करना बहुत जरूरी है।

स्पिक मैके के प्रमुख उद्देश्य और कार्य.
स्पिक मैके का प्रमुख उद्देश्य देश की गौरवशाली समग्र विरासत से युवाओं को परिचित कराना है। साथ ही संस्कृति और विरासत को आत्मसात करने के लिए आयोजन करना है। देश और विदेश के विभिन्न कलाओं के प्रख्यात कलाकार स्पिक मैके से जुड़े हुए हैं। विभिन्न कलाओं से युवाओं को जोड़ने के लिए देशभर में पूरे वर्ष गतिविधियां संचालित होती रहती है। स्पिक मैके हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, विभिन्न वाद्य के बारे में आयोजन, संगीत कार्यक्रम, शास्त्रीय नृत्य, लोक संगीत, लोक गायन, लोकनृत्य, पेंटिंग, हेरिटेज वॉक, आध्यात्मिक संगीत, रंगमंच ;नाटक, क्लासिक्स फिल्म, योग कार्यक्रम, प्रख्यात हस्तियों द्वारा वार्ताएं, मास्टर शिल्पकारों द्वारा शिल्प के माध्यम से युवाओं को भारतीय संस्कृति से जोड़ते है
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