Shivpuri News- टाइगर प्रोजेक्ट पर टाइम लिमिट न होने वजह से आगे सरका प्रोजेक्ट,सफारी की जगह गलत

Bhopal Samachar
शिवपुरी। कूनो में चीता आने के बाद शिवपुरी की राजनीति पर शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में टाइगर लाने का प्रेशर आ गया है,लेकिन पार्क प्रबंधन पर टाइम लिमिट न होने के कारण यह प्रोजेक्ट इस वर्ष पूर्ण होते नहीं दिख रहा हैं। टाइगर आने से पूर्व जो तैयारियां पार्क प्रबंधन को करनी थी वह पूरी नहीं हुई हैं। इस कारण यह प्रोजेक्ट आगे सरक सकता हैं।

माधव नेशनल पार्क में टाइगर लाने जब NTCA और मंत्रालय से स्वीकृति मिली थी तब अधिकारियों का कहना था कि नवंबर तक तीन फ्री रेंज टाइगर यहां लाए जा सकते हैं। लेकिन अब यह मुश्किल लग रहा है। टाइगर को लाने के लिए जो तैयारियां आवश्यक है उन्हें पूरा करने में पार्क प्रबंधन को फरवरी मार्च तक का समय लग सकता है।

पार्क के स्टाफ का प्रशिक्षण भी नहीं हुआ है। वन चौकियों पर व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं हैं। टाइगर यदि दिसंबर में लाए भी जाते हैं तो उनकी मॉनिटरिंग के लिए जो संसाधन आवश्यक हैं उनकी व्यवस्था में भी समय लग रहा है।

श्रेय के लिए टाइगर लाने की जल्दबाजी

जनप्रतिनिधि जल्द से जल्द टाइगर की पुनर्स्थापना भी करना चाहते हैं ताकि समय रहते इसका श्रेय लिया जा सके। इसी फेर में टाइगर सफारी की जगह भी जल्दबाजी में चुन ली गई जो अब परेशानी बन रही है। इसी तरह फ्री रेंज टाइगर को भी दिसंबर तक लाने के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा है,लेकिन पार्क प्रबंधन की तैयारियां पूरी नहीं हैं।

बाड़े का निर्माण शुरू नहीं

अक्टूबर का महीना शुरू हो चुका है, लेकिन अभी तक वाड़े का निर्माण भी अभी शुरू नहीं हुआ है। विभाग की ओर से इसके टेंडर लगाकर आर्डर कर दिया गया है। वाड़े के निर्माण में ही अभी एक से डेढ़ महीने का समय लगेगा। इसके बाद अधिकारी निरीक्षण कर उपयुक्तता देखेंगे। निर्माण के बाद विभाग को मॉनिटरिंग के लिए विशेष वाहनों और चौकियों के निर्माण की जरूरत होगी।

पार्क की कमाई के लिए जरूरी है टाइगर

प्रदेश के जिन पार्कों में टाइगर है। वहां की सालाना आय 6 से 8 करोड़ होती है जबकि माधव नेशनल पार्क की वार्षिक आय महज 25 से 30 लाख रुपये के बीच रहती है। इसके अतिरिक्त जो टूरिस्ट आते हैं वे बाहर शॉपिंग भी करते हैं, होटल में ठहरते हैं। इससे उद्योग यहां खड़े हो जाते हैं जो अभी शिवपुरी में नहीं है। इसलिए टाइगर आने से बड़ा लाभ प्रबंधन भी देख रहा है।

75 परिवार बने हैं बाधा

रिजर्व फॉरेस्ट में कुल 468 परिवारों को मुआवजे का मामला था जिसमें से महज 172 परिवार ही मुआवजा लेने के बाद जमीन खाली करके गए थे। जबकि अन्य डटे रहे। 172 परिवारों से जो जमीन नेशनल पार्क को मिली है वह प्रस्तावित टाइगर कॉरिडोर में आती है। इस पर चारागाह बना दिया गया। शेष कई परिवारों को भी पिछले कुछ महीनों में विस्थापित किया गया और करीब 1200 बीघा जमीन पार्क प्रबंधन ने मुक्त करा ली है। लेकिन 75 परिवार अब भी जगह नहीं छोड़ने पर अड़े हुए हैं।

इनका कहना हैं

2 दिसंबर तक टाइगर लाने की अधिकारिक टाइमलाइन नहीं थी। जब तैयारियां पूरी हो जाएंगी इसके बाद अधिकारिक तिथि तय की जाएगी। कुछ परिवारों का मुआवजे का मामला है जिसमें शासन सतय पैकेज के अनुसार मुआवजा देकर उन्हें विस्थापित किया जाएगा। इसके लगातार प्रयास कर रहे है और अधिकांश लोगों ने सहमति भी जताई है।
उत्तम शर्मा, सीसीएफ सिंह परियोजना
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