शिवपुरी। प्रथम पूज्य देव का एक नाम विघ्नहर्ता हैं इस नाम के अनुसार वह आपके सभी विघ्नहर लेते हैं। लेकिन शिवपुरी जिले की पोहरी तहसील में स्थित इच्छापूर्ण गणेश का मंदिर भक्तो के दर्शन तो देते ही हैं,यहां विघ्नहर्ता पंडितजी की भूमिका भी निभाते हैं,यह वह कुंवारी कन्याओ का वर तलाशने का कार्य करते हैं,मान्यता है कि अगर कोई युवती यह एक श्रीफल इस मनोकामना से चढा दे कि उसकी शादी मनचाहे लड़के से हो जाए तो यह इच्छा भी पूर्ण हो जाती हैं।
मप्र के शिवपुरी जिले की पोहरी तहसील जो जिला मुख्यालय से 30 किमी दूर हैं। पोहरी के किले में 200 वर्ष से अधिक पुराना इच्छापूर्ण गणेश जी का मंदिर स्थित हैं। अपने नाम के अनुरूप मंदिर में बैठे श्रीजी अपने भक्तों की हर इच्छा को पूर्ण करते हैं। इस मंदिर में जो गणेश प्रतिमा हैं वह एक महाराजा का रूप लेकर हैं यहां श्रीजी अपने एक अद्भुत मनमोहक अंदाज में विराजित हैं।
इस प्रतिमा को जब भक्त दर्शन कर अपने आंखों में भरते हैं देखते हैं तो वरबस ही उनकी दबी हुई इच्छा बहार निकल जाती हैं ऐसा लगता हैं कि भक्त इस प्रतिमा के दिव्य रूप से प्रभावित होकर अपने मन की बात कह देता हैं। अपनी इच्छा बता देता हैं और उसकी इच्छा पूर्ण हो जाती हैं। इसलिए इनका नाम इच्छापूर्ण गणेश पडा।
पोहरी दुर्ग सिंधिया स्टेट के अंतर्गत आता था जो उस समय के जागीरदारनी बाला बाई सीतोले हुआ करती थीं। उन्होंने 1737 में इस मंदिर का निर्माण कराया था। इस मंदिर में जो दिव्य प्रतिमा स्थापित है वह पुणे महाराष्ट्र से स्वयं बाला भाई साहिबा लेकर आई थी और एक खास बात की बालाबाई शितोले की खिड़की से भगवान श्री गणेश के दर्शन हुआ करते थे।
मनचाहा वर देते हैं कुंवारी लड़कियों को श्रीगणेश
पोहरी के इच्छापूर्ण श्रीगणेश कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर देते हैं। ऐसी मान्यता हैं कि अगर कुंवारी लड़कियां मनचाहे वर की मनोकामना लेकर एक श्रीफल ( नारियल गणेश ) जी को अर्पित करती हैं तो उनका यह इच्छापूर्ति अवश्य होती हैं।