Shivpuri News- रक्षाबंधन की पूर्णिमा तिथि दो दिन, शनि बहन का साया-भद्रा के कारण हुआ लंका का विनाश

Bhopal Samachar
शिवपुरी। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पूरे देश में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। हमेशा की तरह इस बार भी रक्षाबंधन की तिथि, राखी बांधने के समय और भद्रा के साए को लेकर लोग जानना चाहते हैं। दरअसल इस बार भी रक्षाबंधन की तारीख को लेकर थोड़ा कंफ्यूजन है।

दरअसल सबसे पहले सावन की पूर्णिमा तिथि की बात करते हैं। सावन की पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 10.38 बजे शुरू होगी, इसलिए उदया तिथि तो 11 अगस्त को नहीं है और 12 अगस्त को सुबह 7 बजे समाप्त हो जाएगा, इस हिसाब से उदया तिथि 12 अगस्त को है। इसलिए कुछ लोग 11 अगस्त तो कुछ लोग 12 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार मनाने की बात कर रहे हैं।

अगर भद्रा के साए की बात की जाए तो इस बार रक्षा बंधन पर भद्रा रहने के कारण इसके शुभ मुहूर्त काफी कम हैं। इसलिए रक्षाबंधन का त्योहार 11 अगस्त को अधिकतर लोग मना रहे हैं। रक्षाबंधन पर्व 11 अगस्त को भद्रा के बाद मनाना उत्तम होगा। लेकिन इस बार 11 अगस्त को दोपहर और शाम दोनो समय में भद्रा है। इसलिए नीचे दिए गए मुहूर्त पर राखी बांधना अच्छा है।  

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त

  • अभिजीत मुहूर्त. दोपहर 12.06 से 12.57 तक
  • अमृत काल. शाम 6.55 से रात 8.20 तक
  • ब्रह्म मुहूर्त. सुबह 04.29 से 5.17 मिनट तक

भद्राकाल में राखी बांधना वर्जित क्यों

भद्राकाल का समय अशुभ होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भद्रा शनिदेव की बहन हैं। ऐसी मान्यता है जब माता छाया के गर्भ से भद्रा का जन्म हुआ तो समूची सृष्टि में तबाही होने लगी और वे सृष्टि को तहस.नहस करते हुए निगलने लगीं। सृष्टि में जहां पर भी किसी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य संपन्न होता भद्रा वहां पर पहुंच कर सब कुछ नष्ट कर देती।

इस कारण से भद्रा काल को अशुभ माना गया है। ऐसे में भद्रा काल होने पर राखी नहीं बांधनी चाहिए। इसके अलावा भी एक अन्य कथा है। रावण की बहन ने भद्राकाल में राखी बांधी जिस कारण से रावण के साम्राज्य का विनाश हो गया है। इस कारण से जब भी रक्षा बंधन के समय भद्राकाल होती है उस दौरान राखी नहीं बांधी जाती है।
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