सत्य कष्टदायी हो सकता है लेकिन फलस्वरूप ईश्वर की प्राप्ति होती है : कथा व्यास- Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। कमलेश्वर महादेव पर आयोजित हो रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन भगवान श्री राम और कृष्ण जन्म का सजीव चित्रण सुनकर श्रोता नृत्य करने लगे। कथा में यजमान सोनम-सन्जू सेन सहित उनके परिजनों मित्रों द्वारा सहयोग किया जा रहा है। कथा वाचक गौरवकृष्ण शास्त्री द्वारा सुनाई जा रही भागवत सुनने के लिये श्रोताओं की भीड़ बढ़ती जा रही है।

शास्त्री ने कहा श्रीकृष्ण का अवतार के लिए सत्य की साधना करनी पड़ती है। मां देवकी ने सत्य की साधना की सत्य की साधना कष्टदायी हो सकती हैं, लेकिन इसके फल के रूप में हमें श्रीकृष्ण ही प्राप्त होंगे। वह हमारे जीवन को आनंद से भर देंगे। भगवान कृष्ण सभी समस्याओं का समाधान हैं।

उनके मार्गदर्शन में जीवन अगर चलने लगा तो जीवन का हर मार्ग आनंद से भर जाएगा। प्रभु कृष्ण भक्तों के प्रार्थना रूपी निर्मल झील में प्रतिदिन स्नान करते हैं। प्रार्थना में भाषा की प्रधानता नहीं होती, प्रार्थना तो भाषा शुन्य होती हैं, लेकिन इसमें भाव जरूरी हैं।

राम की तरह जीवन नहीं होगा तो कथा समझ नहीं आएगी

संगीतमय कथा करते हुए गौरवकृष्ण शास्त्री ने श्रीकृष्ण जन्म से पहले नवम स्कंध के अर्तंगत राम कथा सुनाते हुए कहा कि भागवत में श्रीकृष्ण जन्म से पहले राम कथा की चर्चा इस कारण होती हैं, कि जब तक हमारा जीवन राम की तरह नहीं रहेगा, तब तक श्रीकृष्ण कथा हमें समझ नहीं आएगी। भागवत कथा एक ऐसी कथा हैं जिसे सुनने ग्रहण करने से मन को शांति मिलती हैं। अपने शरीर में भरे मेल को साफ करने के लिए अगर इसे मन से ग्रहण करें तो यह अमृत के समान हैं। इससे मैं अर्थात अहंकार समाप्त होता हैं। मानव का सबसे बड़ा दुश्मन हमारे अंदर बैठा अहंकार हैं। श्रीमद् भावगत कथा अपने मन में बँठा मैं और अहंकार को समाप्त करने का उचित माध्यम हैं।

श्री कृष्ण जन्म होते ही पांडाल में नृत्य करने लगे श्रद्धालु

श्रीमद् भागवत कथा में शास्त्री ने समुद्र मंथन, वामन अवतार, राम जन्म, कृष्ण जन्म की कथा सुनाते हुए कहा कि जब-जब अत्याचार और अन्याय बढ़ता हैं, तब-तब प्रभु का अवतार होता हैं। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता हैं। जब कंस ने सभी मर्यादाएं तोड़ दी तो प्रभु श्रीकृष्ण का जन्म हुआ।

जैसे ही कृष्ण जन्म का प्रसंग आया नन्हे बालक को कृष्ण का रूप धारण करवा कर कथा स्थल पर लाया गया। बालकृष्ण के कथा स्थल पर आते ही भक्त भक्ति में डुबकर नृत्य करने लगे। राधा कृष्ण का उदघोष करते हुए उन्होंने बालकृष्ण के दर्शन किए। कथा समापन पर आयोजन से जुड़े भक्तों व महिलाओं ने आरती कर प्रसाद ग्रहण किया।
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