पूर्व CMO रामनिवास शर्मा की कागजी लड़ाई के वजह से 46 बीघा करोड़ों रुपए की जमीन अब होगी नपा के रिकॉर्ड में दर्ज- Shivpuri News

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शिवपुरी।
27 साल पहले 1995 में ट्रांसपोर्ट नगर बनाने हेतु साडा (अब नपा में विलय) ने नोहर कलां गांव में 46 बीघा जमीन को क्रय किया था। बाद में प्रशासनिक हस्तक्षेप से उक्त जमीन को ट्रांसपोर्ट नगर बनाने के लिए उपयुक्त नहीं पाया गया। इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि नगर पालिका उक्त जमीन को खरीदकर भूल गई और जिनसे खरीदी उन व्यक्तियों ने कब्जा कर अवैध उत्खनन करना शुरू कर दिया।

इसकी सुध पूर्व सीएमओ रामनिवास शर्मा ने प्रशासन को दिलाई। उन्होंने प्रदेश सरकार की मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया और कलेक्टर को पत्र लिखकर पूरी वस्तु स्थिति से अवगत कराया। मांग की कि उक्त जमीन को नगर पालिका अपने कब्जे में लेकर विकास का कोई प्लान बनाए। कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने रिकॉर्ड देखने के बाद बताया कि उक्त जमीन साडा ने खरीदी थी और भूमि स्वामी ने सांठगांठ कर उसे रिकॉर्ड में साडा के नाम से दर्ज नहीं होने दिया। अब हम उक्त जमीन को शासकीय रिकॉर्ड में दर्ज करा रहे हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार 1995 में शिवपुरी में ट्रांसपोर्ट नगर बनाने हेतु जब प्रशासन और शासन ने पहल की तो विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण शिवपुरी (साडा) ने ट्रांसपोर्ट नगर बनाने हेतु 1995 में नोहर कलां में 46 बीघा जमीन लगभग 15 लाख रूपए में क्रय की। हालांकि अब फोरलेन होने के कारण उक्त जमीन करोड़ों रुपए की है। साडा ने जमीन क्रय हरिया, हल्लू कुशवाह, अजुद्दी कुशवाहा और हमीर मिस्त्री से खरीदी थी।

उस समय कलेक्टर और साडा के अध्यक्ष अजय पाल सिंह थे। उनके स्थानांतरण के बाद कलेक्टर के रूप में आईएएस अधिकारी प्रभांशु कमल की पदस्थापना हुई और उन्हें ट्रांसपोर्ट नगर के लिए उक्त स्थल उपयुक्त नहीं लगा। जिस कारण उन्होंने ट्रंासपोर्ट नगर का स्थान परिवर्तित कर गुना रोड पर ट्रांसपोर्ट नगर बनाने का निर्णय लिया। जिससे नोहरीकलां की उक्त जमीन लगभग लाबारिश हो गई और उक्त जमीन पर अवैध कब्जा विक्रेताओं ने कर अवैध उत्खनन शुरू कर दिया। उक्त जमीन का स्वामित्व परिवर्तन भी नहीं हुआ और शासकीय रिकॉर्ड में उक्त जमीन विक्रेताओं के नाम ही दर्ज रही।

वर्ष 2000 में विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) का विलय नगर पालिका में हो गया और साडा की सम्पत्तियों पर नगर पालिका का स्वामित्व स्वमेव हो गया। 2009 में शिवपुरी नगर पालिका अधिकारी पद पर रामनिवास शर्मा की नियुक्ति हुई। उनके संज्ञान में जब यह मामला आया तो उन्होंने वर्ष 2010 में उक्त जमीन पर से अवैध अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की। लेकिन राजनीतिक प्रभाव के बलबूते अतिक्रामक सीएमओ शर्मा का स्थानांतरण कराने में सफल रहे और उक्त जमीन पर फिर अतिक्रामकों का कब्जा हो गया।

लेकिन सीएमओ रामनिवास शर्मा के मन में कहीं न कहीं कांटा लगा रहा और वह इस जमीन को मुक्त कराने की कागजी लड़ाई लड़ते रहे और समय-समय पर शासन और प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र लिखते रहे। जिसका परिणाम यह हुआ कि अब करोडों की नगर पालिका की जमीन अब मुक्त होने जा रही है। कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने बताया कि भूमि को रिकॉर्ड में दर्ज कराया जाए और फिर पूरे मामले की जांच कराएंगे।

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