मातृ दिवस पर मार्मिक कहानी : 12 साल में शादी, 14 में तलाक, शिक्षक बनकर बोली नहीं करूंगी शादी, 3 अनाथों का बनी सहारा - Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। आज मातृ दिवस है। आज हम आपको एक ऐसी संघर्ष भरी कहानी बताने जा रहे है जो चौंकाने वाली है। यह कहानी है एक बालिका बधु से टीचर बनी एक तलाकशुदा महिला की। जिसने अपने जीवन में सिर्फ और सिर्फ संघर्ष किया है। इस बुजुर्ग महिला को बालकाल से ही जीवन में संघर्ष करना पड़ा। जहां 12 साल की उम्र में विवाह हुआ। 14 साल की उम्र ससुराल से बेदखल और बालिग होते ही तलाक हो गया। यह मार्मिक कहानी किसी और की नहीं बल्कि 68 साल की रिटायर्ड शिक्षका गंगा चौहान की है। रिटायर्ड शिक्षिका ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वह मां तो नहीं बन पाई, लेकिन अब वयोवृद्ध अवस्था में मां का फर्ज जरूर निभा रही है।

अपने बीते समय को याद करते हुए गंगा चौहान ने बताया कि 12 वर्ष में उसके माता पिता ने उसकी शादी विदिशा के गंजबासौदा में कर दी। उन्हें पढ़ने लिखने का बहुत शौक था। शादी के बाद भी वह पड़ने में रुचि रखती थी इसी के चलते उन्होंने पढ़ाई जारी रखने का फैसला लिया। पढ़ाई में समय देना ससुरालियों को खटकने लगा था। और आए दिन पति समेत परिजनों से विवाद होने लगा।

जिसका नतीजा यह हुआ कि उसके पति ने एक दिन उसे मायके पर छोड़ गया और फिर लेने नहीं आया। करीब दो साल ही वह ससुराल में रही। इसके चार साल बाद एक दिन उसके पति की अचानक एक चिठ्‌ठी आई जो लिफाफे में बंद थी। उसे खोलकर देखा तो उसमें तलाक से जुड़े हुए दस्तावेज थे। यह उसके जीवन का पहला झटका था। दूसरा झटका हाल ही में उसके मां के रूप में लगा जिसमें उसकी मां का दिमागी संतुलन बिगड़ चुका था।

तलाक के बाद शादी न करने का फैसला

68 वर्षीय गंगा ने बताया कि उसकी शादी 1969 में विदिशा के गंजबासौदा में हुई थी। इसके 2 साल बाद उसके पति ने उसे मायके पर छोड़ दिया और 1975 में उसका तलाक हो गया। इससे उसे काफी अघात लगा और उसने ठान ली कि अब में दोबारा शादी नहीं करुंगी। इस दौरान उसकी नौकरी सहायक शिक्षक के पद पर लग गई।

जिसके बाद वे अपने माता पिता की सेवा करने के साथ-साथ अपनी नौकरी पर भी ध्यान देने लगी। दिन व दिन गुजरते गए माता-पिता का देहांत हो गया। जिसके बाद वे अपने भतीजे के यहां शिवपुरी के कमला गंज निवास पर आकर रहने लगी समय के फेर में उसके भतीजे की भी मौत हो गई। गंगा अब भतीजे के 3 बच्चे और बच्चों की मां नीलू चौहान के साथ रह रही थी।

कोरोना ने दी गहरी चोट

बुजुर्ग महिला गंगा चौहान ने बताया कि उसके भतीजे की मौत के बाद पिछले साल कोरोना की बीमारी की चपेट में आने से उसकी भतीजी बहू नीलू चौहान की भी मौत हो गई। जिसके बाद उसके स्वर्गीय भतीजे के 3 बच्चे खुशी चौहान (9) आरब चौहान (10) और परी चौहान (11) अनाथ हो गए। 68 वर्ष की उम्र में भी वह उन बच्चों पालन पोषण में लगी हुई हैं। गंगा चौहान का कहना है कि महिलाओं को कभी भी आस नहीं तोड़नी चाहिए। जीवन में उतार-चढ़ाव के पल आते रहते हैं हिम्मत बनाए रखना चाहिए जब भी मौका लगे तो मातृ धर्म का महिलाओं को पालन करना चाहिए।

यहां बता दे कि यह परिवार कोरोना काल में भी सुर्खियों में रहा है। कोरोना काल में सिद्धिविनायक अस्पताल की एम्बुलेंस नीलू चौहान की कोरोना पॉजिटिव होने के बाद भी लाश को घर के आंगन में पटककर छोड गई थी। नीलू के बच्चे कोरोना पॉजिटिव मां की डेड बॉडी से लिपटकर रोते रहे। इसका वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुए थे। परंतु अब इन अनाथ हुए बच्चों के लिए मां के बाद यह सहारा बनी है।
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