रोचक खबर: देश विदेश में शिवपुरी नाम के 4 स्थान, 1 जिला,1 कस्बा और 1 भूतपूर्व के साथ विदेशी शिवपुरी भी - Shivpuri News

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काजल सिकरवार शिवपुरी।
मप्र की पर्यटक के नक्शे पर शिवपुरी जिले का नाम अंकित हैं। शिवपुरी जिले को मप्र की पर्यटक नगरी कहा जाता हैं साथ में इस नगरी का नाम भगवान शिव के नाम से रखा गया हैं ऐसा कोई प्रमाण लिखित में नही है लेकिन यह प्रमाणित है कि शिवपुरी को सिपरी को कहा जाता था फिर इसका नाम बदलकर शिवपुरी रखा गया इसका विधिवत गजट नोटिफिकेशन ग्वालियर राजवंश के द्वारा किया गया। यह खबर शिवपुरी का नाम कैसे रखा गया के विषय में नही हैं बल्कि देश विदेश में शिवपुरी नाम के कितने स्थान हैं इस विषय पर केन्द्रित है।

यह जानकारी शिवपुरी जिले के निवासियों के लिए रोचक है इस विषय को सर्च करने पर सर्च आया कि देश विदेश में शिवपुरी नाम के 4 स्थान हैं। लेकिन जिला 1 एक ही हैं,1 कस्बा हैं और 1 ग्राम पंचायत है जो भूतपूर्व हो चुकी हैं और वह स्थान जिसे शिवपुरी के नाम से पहचाना जाता है वह विदेश में,सबसे खास बात है यह है कि जो स्थान विदेश में है वहां एक तालाब हैं और कहा जाता है कि भगवान विष्णु इसमे अपनी शैया में निंद्रासन पर हैं। विदेश शिवपुरी का नाम भगवान विष्णु के कारण ही रखा गया है। आइए जानते है इन सभी शिवपुरी के बारे में....

कस्बा शिवपुरी, जिला ऋषिकेश उत्तराखंड प्रदेश

शिवपुरी एक छोटा सा गांव है जो ऋषिकेश से 16 किमी की दूरी पर स्थित है। हिन्दू भगवान शिव को समर्पित कई मन्दिरों के कारण इस स्थान का नाम शिवपुरी पड़ा, जिसका अर्थ होता है भगवान शिव का घर। यह छोटा सा ग्रामीण क्षेत्र गंगा नदी के तट पर बसा है और रिवर राफ्टिंग गंतव्य के रूप में जाना जाता है। शिवपुरी में कैंप के कई स्थान है जहाँ से साहसिक गतिविधि में रुचि रखने वाले लोग शिवपुरी से ऋषिकेश तक राफ्टिंग के रोमांच का आनन्द ले सकते हैं। यह जगह अपने शांत और सुन्दर वातावरण के लिये भी जाना जाता है।

यह है विदेशी शिवपुरी:यह शिव को नही भगवान विष्णु को हैं समर्पित

नेपाल के काठमांडू से लगभग 10 कि.मी दूर स्थित एक कस्बा है इस स्थान का नाम शिवपुरी हैं,यह स्थान अपने बुढानिलकण्ठ मंदिर के कारण प्रसिद्ध हैं। इस मंदिर में भगवान विष्णु की सोती हुई प्रतिमा विराजित हैं। यह मंदिर नेपाल में काफी प्रसिद्ध है यहां काफी संख्या में काफी लोग दर्शन करने आते हैं।

यह है इस मंदिर की पौराणिक कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के समय समुद्र से विष निकला था तो सृष्टि को विनाश से बचाने के लिए शिव जी ने इस विष को अपने कंठ यानि गले में ले लिया था। जिस कारण उनका गला नीला हो गया था। इस कारण ही भगवान शिव को नीलकंठ कहा जाने लगा।

जहर के कारण उनका गला जलने लगा तो वे काठमांडू के उत्तर की सीमा की ओर गए और झील बनाने के लिए त्रिशूल से एक पहाड़ पर वार किया, जिससे एक झील बनी। कहते हैं इसी झील के पानी से उन्होंने अपनी प्यास बुझाई। कलियुग में नेपाल की झील को गोसाईकुण्ड के नाम से जाना जाता है

माना जाता है कि मंदिर में विराजमान इस मूर्ति की लंबाई लगभग 5 मीटर है और तालाब की लंबाई 13 मीटर है। ये तालाब ब्रह्मांडीय समुद्र का प्रतिनिधित्व करता है। इस मूर्ति को देखने पर इसकी भव्यता का अहसास होता है। तालाब में स्थित विष्णु जी की मूर्ति शेष नाग की कुंडली में विराजित हैं, मूर्ति में विष्णु जी के पैर पार हो गए हैं और बाकी के ग्यारह सिर उनके सिर से टकराते हुए दिखाई देते हैं। इस प्रतिमा में विष्णु जी के चार हाथ उनके दिव्य गुणों को दर्शाते हैं। बता दें पहला चक्र मन का प्रतिनिधित्व करना, शंख चार तत्व, कमल का फूल चलती ब्रह्मांड और गदा प्रधान ज्ञान को दर्शा रही है।

और अंत में अब यह है भूतपूर्व शिवपुरी

मप्र का टीकमगढ जिला इसके एक गांव का नाम शिवपुरी था जिसे 4 फरवरी 2022 मप्र सरकार ने कुंडेश्वर कर दिया। जब सोशल पर यह पोस्ट पोस्ट हुई तो शिवपुरी में बवाल मच गया था लेकिन बाद में यह क्लीयर किया गया कि शिवपुरी जिले का नाम नही बदला गया बल्कि टीकमगढ़ जिले के एक ग्राम पंचायत का नाम बदलकर कुंडेश्वर किया गया हैं।
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