खुला खत: शिवपुरी का सफेद सोना सरकारी पिंजरे में कैद,अब इस सोने को सिंधिया की आस- Shivpuri News

Bhopal Samachar
राहुल जैन रूद्र@शिवपुरी। मप्र के पर्यटक के नक्शे पर शिवपुरी पर्यटक नगरी के रूप में दर्ज है। यहां पर्यटन के नाम पर बहुत कुछ हैं लेकिन पर्यटक नही हैं। पर्यटक के अतिरिक्त जिले की पहचान उसके पत्थर के रूप में भी की जाती हैं। शिवपुरी स्टोन के नाम से विदेशो में अपनी पहचान बनाने वाला शिवपुरी स्टोन जिसे सफेद सोने के नाम से पहचाना जाता हैं वह अपनी पहचान खो रहा हैं,कारण सरकार की उपेक्षा और गलत नीतियों के कारण सरकार के पिंजरे में यह पहचान कैद हो चुकी हैं।

शिवपुरी की राजनीतिक ताकत की बात करे तो.........

अगर शिवपुरी की राजनीति की ताकत की बात करे तो अब नेताओं को प्लस प्लस करके जोडा जाए तो बराबर निकलेगा ग्वालियर का सिंधिया राजघराना,अगर सीधे शब्दों में कहे तो आजादी के बाद आज तक शिवपुरी की राजनीति की ताकत सिंधिया राजवंश ही रहा है। सिंधिया राजवंश की तीसरी पीढ़ी तक यहां से चुनाव लड़े हैं और जीतती आई हैं चौथी पीढ़ी महाआर्यमन सिंधिया के रूप यहां से चुनाव लड सकती है।

कुल मिलाकर सिंधिया राजवंश के सभी सदस्यों को वह चाहे किसी भी दल से चुनाव लड़ा हो शिवपुरी की जनता ने सिर आंखों पर रखा हैं। सिर्फ एक चुनाव सिंधिया राजवंश के ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां से हारे हैं,बाकी यह क्षेत्र सिंधिया राजवंश का अजेय किला रहा हैं।

वर्तमान की बात करे..........

वर्तमान में शिवपुरी की राजनीतिक ताकत की बात करे तो शिवपुरी जिले से आधा दर्जन मंत्री हैं। लोकसभा सदस्य भी भाजपा से हैं और सिंधिया जिन्होने शिवपुरी से अपनी राजनीतिक पारी की श्रीगणेश किया वह राज्यसभा सदस्य होने के साथ केन्द्र सरकार में मंत्री हैं,कुल मिलाकर आज जितनी ताकत शिवपुरी की राजनीति में है वह कभी नही रही। सीधे शब्दों में कहे तो राजनीति की ताकत का फूल पैकेज शिवपुरी के पास हैं।

लेकिन विकास कितना..........

आज देश की सबसे बडी समस्या की बात करे तो सबसे बडी समस्या बेरोजगारी होगी,अब शिवपुरी की बात करे तो यहां भी सबसे बडी समस्या बेरोजगारी है। अगर विकास की बात करे तो शहर का विकास जब ही होगा जब वहां का व्यापार और अर्थव्यवस्था ताकतवर होगी। वहां कोई बडी फैक्ट्री होगी उद्योग धंधे होगें।

अगर शिवपुरी की अर्थव्यवस्था की बात करे तो बाजार को छोडकर कृषि ही शिवपुरी की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार हैं,लेकिन कभी शिवपुरी जिले की मुख्य अर्थव्यवस्था का आधार शिवपुरी का पत्थर था,जो सरकार की नीतियों के कारण पिंजरे में कैद है। अगर शिवपुरी की पत्थर की बात होगी तो शिवपुरी स्टोन की अवश्य होगी जो शिवपुरी का सफेद सोना हैं। यह सोना शिवपुरी की अर्थव्यवस्था पर चार चांद लगता था क्योंकि शिवपुरी स्टोन ने अपनी पहचान विदेशो तक बनाई थी।

जानिए शिवपुरी स्टोन के विषय में..........

शिवपुरी स्टोन को शिवपुरी जिले की अर्थव्यवस्था के लिए कितनी महत्वपूर्ण है अगर उसे एक लाईन में लिखने की कोशिश करे तो वह शिवपुरी की अर्थव्यवस्था की लाईफ लाईन थी। शिवपुरी के जंगलों से निकलकर विदेशों में अपनी पहचान वाला पत्थर शिवपुरी जिले को सालाना लगभग 75 करोड़ रुपए का टर्नओवर देने वाला रोजगार था जो अब बंद हैं,अगर इस व्यवसाय को सही दिशा मिलती रहती तो आज इस व्यवसाय की दशा 150 करोड़ रुपए से अधिक का टर्नओवर वाली होती। क्यो कि इस व्यवसाय पर 2014 से ताला लगा हुआ है।

इन देशों तक जाता हैं शिवपुरी स्टोन

शिवपुरी के पत्थर की दुबई, ब्रिटेन सहित अन्य देशों में मांग है।सबसे ज्यादा इस पत्थर का उपयोग ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी में किया जाता था। सारा माल शिवपुरी से ट्रक में लोड होकर देश के बंदरगाहों पर जाता हैं और समुद्री रास्ते विदेशो तक जाता हैं। अपनी विशेष क्वालिटी के कारण यह विदेशों में डिमांड में बना रहता था,लेकिन अब शिवपुरी स्टोन उपलब्ध न होने के कारण राजस्थान के कई खदानों के पत्थरो ने अपनी पकड़ बना ली।

खदानो से निकलकर पॉलिश होकर जाता था विदेशी: एक सैकडा फैक्ट्री बंद

शिवपुरी स्टोन खदान से निकलकर शिवपुरी आता था और शिवपुरी के आसपास स्थित फैक्ट्रियों में आकर कटाई छटाई और पॉलिश होकर लडकियों की पेटी में पैक होकर अपनी यात्रा शुरू करता था और विदेशों में जाता था। जिले में लगभग एक सैकड़ा फैक्ट्री पॉलिश की थी अब लगभग 10 फैक्ट्री ही बची हैं जो अपने अस्तित्व को लड रही हैं। इन फैक्ट्रियों के बंद हो जाने के कारण लगभग 1 हजार कारीगर बेरोजगार हो गया है।

जिले की पत्थर खदानों पर 50 हजार से अधिक मजदूर काम करते थे। इन मकानों से मजदूरों को हर महीने 5 से 12 हजार रुपए तक आमदनी होती थी। खदानों को बंद करने पर यह सब बेरोजगार हो गए अब किसी अन्य क्षेत्र में मजदूरी कर रहे हैं या पलायन हो गए है। सफेद गोल्ड के इस कारोबार से बेलदार,कारीगर,बंधानी,फैक्ट्री के कारीगर,मुनीम और ट्रक व्यवसाय पर सीधा सीधा असर पडा हैं।

सफेद सोने को अब सिंधिया से आस

शिवपुरी के सफेद सोने को अब सिंधिया की आस हैं,सरकार एक कारखाना खोलती हैं या एक व्यक्ति को रोजगार देती है,या एक किसी यूनिट के लिए लोन देते हैं तो बडी बडी खबरे अखबारों के दफ्तरों को प्रकाशित करने के लिए पहुंच जाती हैं,लेकिन यह समझ में नही आता 50 हजार लोगों की जीविका चलाने वाले व्यापार पर ध्यान क्यों नही है यह सबसे बड़ा सवाल है।

हम पर्यावरण विरोधी नही हैंं लेकिन व्यापार विरोधी भी नही हैं नई नीति सरकार को बनानी चाहिए जिससे वन भी बच जाए और व्यापार भी इस मुद्दे पर शिवपुरी के किसी नेता ने बात नही की सोचा नही बयान तक नही दिया। इस कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ही एक जनप्रतिनिधि है इस कारोबार को जिंदा कर सकते हैं क्योंकि वह इससे पहले 5 खदानो का शुरू करवा चुके हैं। वह ही इस सफेद सोने के कारोबार की तारणहार बन सकते हैं। सिंधिया से जुड़े लोगों को यह बात उन तक रखना चाहिए,अगर वह शिवपुरी का विकास चाहते है और शिवपुरी की मरी हुई अर्थव्यवस्था में जान फूकना चाहते है तो इस कारोबार को जिंदा रखने के लिए उनको जंग लड़नी चाहिए।