जिले में कोरोना के सेंकड डोज लगवाने वाले 2.50 लाख लोग मिसिंग, 5 करोड की वैक्सीन खराब होने की कगार पर - Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। कोरोना को जंग में हराने वाला टीके के टीकाकरण महाअभियान में कभी प्रदेश में शीर्ष पायदान पर रहा शिवपुरी जिला वर्तमान में सेकंड डोज के मामले में लगातार पिछड़ता जा रहा है कि वह अचंल के दूसरे जिले दतिया और मुरैना से पिछड़ गया हैं। अगर आंकडो की बात करे तो 35 प्रतिशत लोग ही अभी कोरोना प्रूफ हुए हैं,यह आंकड़ा भी उन लोगो का है जो पहला डोज लगवा चुके हैं।

जबकि इस आंकड़े के अंदर जाए तो इसमें से सेंकड़ डोज लगवाने वाले लगभग 1 लाख लोग मिसिंग हैं,सीधा सा अर्थ है कि जिले में सेंकड़ डोज लगवाने वाले 1 लाख लोग टीका केन्द्रो पर नही पहुंचे हैं। जिससे लगभग 1 लाख वैक्सीन खराब होने की ओर हैं अगर इस संख्या हो रूपए में देखे तो लगभग जिले में 5 करोड की वैक्सीन दम तोड़ने की तैयारी कर रही हैं।

दतिया 54.31 प्रतिशत,मुरैना में भी 46.75 प्रतिशत हुआ टीकारण

दतिया में सबसे अधिक पहला डोज लगवाने वाले 54.31 प्रतिशत लोग सेकंड डोज भी लगवा चुके हैं। मुरैना में भी 46.75 प्रतिशत लोग सेकंड डोज लगवा चुके हैं और ग्वालियर में भी हर दूसरे व्यक्ति को दोनों डोज लग चुके हैं। जबकि शिवपुरी में इसका प्रतिशत काफी कम है। इससे साफ जाहिर होता है कि प्रशासन ने जो मेहनत और कार्ययोजना प्रथम डोज का लक्ष्‌य पूरा करने के लिए बनाई थी वह सेकंड डोज के मामले में उतनी गंभीर नहीं है।

त्यौहार में रफ्तार सुस्त रही टीकाकरण की
दशहरा से शुरू हुए त्योहारी सीजन में भी टीकाकरण में की रफ्तार काफी धीमी हुई है। पिछले 20 दिन में हर दिन औसतन 4 हजार लोगों ने ही टीका लगवाया। इसमें महाअभियान के दिन भी शामिल हैं। यदि महाअभियान को हटा दिया जाए तो यह आंकड़ा बेहद कम हो जाता है। स्थिति यह है कि सेकंड डोज की पेंडेंसी ढ़ाई लाख के पार पहुंच चुकी है और प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग का अमला उन लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है जो सेकंड डोज लगवाने के लिए सामने नहीं आ रहे हैं। अब घर-घर जाकर सेकंड डोज लगाने की तैयारी की जा रही है।

शहर से गुजरते दो नेशनल हाइवे बढ़ाते हैं संक्रमण का खतरा

शिवपुरी की सीमा उत्तरप्रदेश और राजस्थान से लगी हुइ है जिसके चलते यहां संक्रमण का खतरा अधिक है। नेशनल हाइवे पर हर दिन लाखों लोग सफर करते हैं जो दूसरे प्रदेशों से आते हैं। ऐसे में कौन संक्रमण को बांट कर चला जाए कोई नहीं कह सकता। दूसरी लहर में भी शहर में संक्रमण की शुरुआत इंदौर, भोपाल सहित महाराष्ट्र से लौटकर आए लोगों के कारण हुई थी। जिसके बाद सैकड़ों लोगों की मौत यहां हुई। तीन दिन पहले जो संक्रमित मिले हैं वह भी उत्तरप्रदेश बॉर्डर के पास मिले हैं जिससे आशंका है कि संक्रमण उसी रास्ते आया हो। इनकी कोई ट्रेवल हिस्ट्री भी नहीं थी।

25 फीसद ने लगवा लिए हैं सेकंड डोज, लेकिन डेटा अपडेट नहीं

जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. संजय ऋषिश्वर ने बताया कि ढ़ाई लाख में से 25 फीसद लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने सेकंड डोज लगवा लिया है, लेकिन उनका नाम अभी हमारी लिस्ट में अपडेट नहीं हुआ है। अब इन्हें कॉलिंग कर सर्टिफिकेट का वैरीफिकेशन कर अपडेट की जा रही है। अभी त्योहार और कृषि संबंधी कार्यों के कारण प्रशासनिक अमला भी थोड़ा व्यस्त रहा था। अब 10 नवंबर के बाद एक बार फिर व्यापार पैमाने पर टीकाकरण को लेकर अभियान चलाया जाएगा।

ऐसे तो खराब हो जाएंगे ढ़ाई लाख डोज

लोगों को यह लग रहा है कि पहला डोज लगवाने के बाद वे सुरक्षित हो गए हैं और अब संक्रमण भी नहीं बचा है। यही गलतफहमी फिर से शहर को कोरोना की चपेट में ला सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार पहला डोज लगवाने के बाद पूरी इम्युनिटी विकसित नहीं होती है। दूसरा डोज लगने के बाद ही पूरी तरह से शरीर में एंटीबॉडी बनती हैं। कई देशों में तो अब दोनों डोज के बाद बूस्टर डोज भी लगना शुरू हो गए हैं। यदि समय पर यह ढ़ाई लाख लोग नहीं आए तो एक समय सीमा के बाद पहला डोज भी बेअसर हो जाएगा। ऐसे में सरकार को भी करोड़ों रुपये का नुकसान होगा। रिपोर्टों के अनुसार सरकार एक वैक्सीन 200 रुपये में ले रही है। ऐसे में यदि ढ़ाई लाख डोज खराब हुए तो 5 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।