शिवपुरी। पैसा खुदा तो नहीं लेकिन खुदा से कम भी नहीं यह पंक्तियां जिले की आठो जनपदों में चरितार्थ हो रही हैं। यहां पंचायतों में चल रहे निर्माण् कार्यों के भुगतान पर कमीशन का खेल चल रहा है। जनपद सीईओ से लेकर नीचे के स्टाफ तक को सरपंचों और सचिवों को पैसा देना पड रहा है तब कहीं जाकर उनका भुगतान हो रहा है। इतना ही नहीं इन पंचायतों में कई ठेकेदार भी सक्रिय हैं जो बडे बडे निर्माण कार्य स्वीक्रत कराकर घटिया निर्माण कर कमीशन देकर अपना भुगतान करा रहे हैं।
चैक डैम पंचायत नहीं ठेकेदार बनाते हैं पंचायतों में
ग्राम पंचायतों में बनने वाले चैक डैमों की बात करें तो इन चैक डैमों को पंचायत नहीं बल्की जनपदों में बैठे कुछ बडे ठेकेदार स्वीक्रत करा रहे हैं और इन ठेकेदारों के द्वारा जनपद के अधिकारियों से सांठगांठ कर मोटा कमीशन देकर चैक डैम स्वीक्रत कराकर उनका घटिया निर्माण कराकर लाखों रूपए की राशि का चूना लगाया जा रहा है।
सीईओ से लेकर परियोजना अधिकारी को भी कमीशन
जनपद पंचायतों की बात करें तो यहां एक माह में एक करोड से भी अधिक की राशि का भुगतान पंचायतों के खातों में किया जाता है। सामग्री से लेकर मजदूरी तक का भुगतान जनपद ही करती है। ऐसे में पंचायत का लाखों रूपए का भुगतान करने के ऐवज में 5 प्रतिशत जनपद के सीईओ और परियोजना अधिकारी से लेकर एकाउंट शाखा के कर्मचारियों तक को कमीशन का 10 प्रतिशत तक देना पडता है तब कहीं जाकर भुगतान होता है।
पैसा न देने पर नहीं होता भुगतान
एक सरपंच ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनकी पंचायत का करीब 15 लाख रूपए का भुगतान होना है लेकिन जनपद के बाबू से लेकर अधिकारी पहले कमीशन की मांग कर रहे है और न देने पर उसका भुगतान तक नहीं किया गया है।
शिकायतों कें बाद भी नहीं होती कार्रवाई
एक जनप्रतिनिधि ने बताया कि उनके द्वारा कई बार पंचायत में हुए भ्रष्टाचार की शिकायत की लेकिन अधिकारियों के द्वारा जांच के नाम पर मामले को लटकाया गया जिसके बाद उन्हें न्यायालय की शरण तक लेनी पडी।
भ्रष्टाचार पर लगे अंकुश
जनपदों में चल रहे पैसे के खेल को लेकर भ्रष्टाचार उन्मूलन समिति के जीतू ने बताया कि यदि जनपदों में चल रहे कमीशन के खेल को नहीं रोका गया तो वह आंदोलन करेंगे।