शिवपुरी। मध्यप्रदेश सरकार ने लोगों की समस्याओं के निराकरण के लिए जनसुनवाई शुरू की लेकिन यह जनसुनवाई असुनवाई में तब्दील हो रही है। यहां कई आवेदन पेंडिंग हैं साथ ही लोगों की शिकायतों पर अधिकारी तक गौर नहीं कर रहे हैं। जनसुवाई में आवेदन दे देकर लोगो की चप्पले तक घिसने लगी हैं लेकिन उनकी सुनवाई नही हो रही हैं।
पति की मौत के बाद क्लैम के लिए भटकती महिला
गांधी कालोनी की रहने वाली पूनम श्रीवास्तव के पति की सडक हादसे में मौत हो गई और वह बीमा कंपनी क्लैम के लिए कई बार चक्कर लगा चुकी है। उनकी जब सुनवाई नहीं हुई तो जनसुनवाई में पहुंची लेकिन यहां भी उनकी सुनवाई तक नहीं हुई नतीजा ढांक के तीन पात ही रहा।
राशन न मिलने की पांच बार कर चुके शिकायत
करैरा के ग्राम सुनारी के लोग जनसुनवाई में पांच बार आवेदन दे गए कि राशन दुकान से उन्हें राशन तक नहीं मिल रहा है। ऐसे में उनकी शिकायतों पर आज तक गौर ही नहीं किया गया है और ग्रामीण किराया खर्च कर हर बार जनसुनवाई में आवेदन देते हैं लेकिन यहां भी उन्हे आश्वासन ही मिल रहा है।
पीएम आवास के लिए भटक रही मनको बाई
नपा में पीएम आवास के लिए मनको बाई पांच माह से चक्कर लगा रही है लेकिन सूची में अब तक उसका नाम ही नहीं जोडा गया है जबकि वह कई बार आवेदन दे चुकी है। इसकी शिकायत करने मनको 10 बार जनुसनवाई में भी पहुंची लेकिन हजारों रूपए की पगार लेने वाले अधिकारियों ने उसकी सुध तक नहीं ली।
पति की मौत के बाद क्लैम के लिए भटकती महिला
गांधी कालोनी की रहने वाली पूनम श्रीवास्तव के पति की सडक हादसे में मौत हो गई और वह बीमा कंपनी क्लैम के लिए कई बार चक्कर लगा चुकी है। उनकी जब सुनवाई नहीं हुई तो जनसुनवाई में पहुंची लेकिन यहां भी उनकी सुनवाई तक नहीं हुई नतीजा ढांक के तीन पात ही रहा।
राशन न मिलने की पांच बार कर चुके शिकायत
करैरा के ग्राम सुनारी के लोग जनसुनवाई में पांच बार आवेदन दे गए कि राशन दुकान से उन्हें राशन तक नहीं मिल रहा है। ऐसे में उनकी शिकायतों पर आज तक गौर ही नहीं किया गया है और ग्रामीण किराया खर्च कर हर बार जनसुनवाई में आवेदन देते हैं लेकिन यहां भी उन्हे आश्वासन ही मिल रहा है।
पीएम आवास के लिए भटक रही मनको बाई
नपा में पीएम आवास के लिए मनको बाई पांच माह से चक्कर लगा रही है लेकिन सूची में अब तक उसका नाम ही नहीं जोडा गया है जबकि वह कई बार आवेदन दे चुकी है। इसकी शिकायत करने मनको 10 बार जनुसनवाई में भी पहुंची लेकिन हजारों रूपए की पगार लेने वाले अधिकारियों ने उसकी सुध तक नहीं ली।