शिवपुरी। जो हमेशा आनंद में लीन रहता है और दुख में भी सुख को खोज लेता है। जिसके मन में किसी के प्रति कोई शिकायत का भाव नहीं होता और जो हमेशा दूसरों के प्रति अनुगृहित रहता है वही सच्चे मायनों में धार्मिक व्यक्ति है। उक्त उदगार मुंबई से चार्तुमास कर शिवपुरी पधारी जैन साध्वी पुनीत ज्योति जी महाराज ने पौषद भवन में श्रृद्धालुओं की धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
धर्मसभा में साध्वी मुक्ता श्री जी ने कहा कि यूं तो हमें संसार के समस्त प्राणियों के प्रति धन्यवाद का भाव रखना चाहिए। लेकिन इसकी शुरूआत अपने घर से होनी चाहिए। धर्मसभा में एक अन्य जैन साध्वी ने सुमुधर भजनों का गायन कर धर्माबलंबियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
धर्मसभा में साध्वी पुनीत ज्योति जी ने जीवन में पॉजिटिविटी के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि हमारी दृष्टि हमेशा दूसरों के दोषों और अवगुणों पर केन्द्रित रहती है। लेकिन यदि हम अवगुणों को नजरअंदाज कर गुणों पर अपना ध्यान केन्द्रित करें तो सारा नजरिया ही बदल जाता है। आधा गिलास खाली है इसके स्थान पर आधा गिलास भरा है, यह हमारी सोच होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि जिसने दुख में से सुख खोजने की कला सीख ली उसे संसार का बडे से बडा दुख भी दुखित नहीं कर सकता। उदाहरण देते हुए साध्वी पुनीत ज्योति जी ने कहा कि उनके पास एक महिला आती थी और उसने उनसे कहा कि उनके पति देव को धर्म में बिल्कुल रूचि नहीं है। न वह मंदिर स्थानक जाते हैं और न ही संत, साधू और साध्वियों के दर्शन करने में तथा उनके आर्शीवाद लेने में उनकी कोई रूचि नहीं है।
इसलिए वह बहुत दुखी रहती है। साध्वी जी ने कहा कि मैंने उनसे पूछा कि फिर तुम यहां कैसे आई, तो उक्त महिला ने कहा कि उसके पति उसे लेकर आए हैं और मैं जब तक यहां बैठूंगी तब तक वह बाहर खड़े रहेंगे लेकिन अंदर नहीं आएंगे। मुझे धर्म ध्यान करने से और दान पुण्य करने से भी वह मुझे नहीं रोकते, तो मैंने उनसे कहा कि क्या उनके यह गुण पर्याप्त नहीं हैं।
यदि तुम उनके अवगुणों के स्थान पर गुणों पर ध्यान केन्द्रित करो तो तुम्हारा दुख स्वयं तिरोहित हो जाएगा। साध्वी जी ने कहा कि इस संसार में हर क्षण आनंद की वर्षा हो रही है। लेकिन उस आनंद को ग्रहण करने की क्षमता हममे होनी चाहिए। साध्वी मुक्ता श्रीजी ने आज भी अपने प्रवचन में जीवन में धन्यवाद भाव की महता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति पर अनेक-अनेक लोगों के उपकार हैं। उन सबके प्रति सबसे पहले प्रात:काल में हमेें धन्यवाद अदा करना चाहिए। इस भाव से मन को विकारों और पापों से मुक्ति मिलती है। वहीं जीवन भी स्वस्थ रहता है। जैन साध्वी 11 मार्च गुरूवार को शिवपुरी से ग्वालियर के लिए पद बिहार करेंगी।