शिवपुरी। शहर के प्यासे कंठो की प्यास बुझाने वाली सिंध जलावर्धन योजना अपने निर्धारित सयम से शहर में न आने के कारण उसका लागत मूल्य दुगना गया हैं,सिंध की सफलता पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। सिंध सफल होने का दावा नपा करती हैं और उसे सफल सिद्ध करने के लिए झूठ का सहारा ले रही है। अभी भोपाल में सीएम ने इस योजना की बैठक ली थी इस बैठक में सीएम के सामने झूठे आंकडे परोस दिए हैं। यह हम नही कह रहे हैं इस बैठक का जारी सरकारी प्रेस नोट स्पष्ट बोल रहा है।
पहले पढते हैं सरकारी प्रेस नोट
भोपाल में आयोजित उच्चस्तीय बैठक में शिवपुरी प्रशासन की ओर से बताया गया था कि सिंध से हर दिन 20 से 22 एमएलडी पानी की सप्लाई की जा रही है। पांच एमएलडी भूजल स्त्रोतों और पांच एमएलडी माधव झील से सप्लाई होता है। शहर को 32.55 एमएलडी की जरूरत हैं। अगर इस आंकडे को सच मान लिया जाए तो शहर में अब कोई पेयजल समस्या नही है।
अब समझे सिंध के पानी और शहर की प्यास का गणित
सिंध से जो प्लांट लगाया गया है, उसकी क्षमता 40 से 42 एमएलडी पानी सप्लाई करने की है। यहां से हर दिन 22 एमएलडी यानी दो करोड़ लीटर पानी सप्लाई होने का दावा किया जा रहा है। अभी सिंध के कनेक्शन सिर्फ 6500 हुए हैं यानी इस तरह से हर दिन एक घर में तीन हजार लीटर से ज्यादा पानी सप्लाई किया जा रहा है जो कि संभव नहीं है।
जिस पानी की मात्रा से आधी आबादी की प्यास बुझाना था वह चंद घरों में दे दिया जाए, यह व्यवहारिक रूप से असंभव है। एक व्यक्ति को दिन में औसतन 135 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। यदि घर में पांच सदस्य भी हैं तो 650 लीटर पानी पर्याप्त होता है। दूसरी ओर शहर में योजना के तहत 19 टंकियां है जिनमें से सिर्फ आठ ही भरी जा रही हैं। शेष में अभी डिस्ट्रीब्यूशन लाइन से कनेक्शन ही नहीं किया गया है। ऐसे में नगर पालिका के पेश किए गए आंकड़े ही कठघरे में खड़े हो रहे हैं।
यहां हो रहा हैं प्रत्येक दिन पानी सप्लाई
शहर में इन पानी टंकियों पर यदि गौर किया जाए तो प्रत्येक सिंध जलावर्धन योजना के माध्यम से इन टंकियों को भरा जा रहा हैं और नागरिकों को पानी घर तक उपलब्ध कराया जा रहा हैं। इसमें लुधावली, कलेक्टर कोठी के पास, मनियर, फतेहपुर, ठकुरपुरा नई पानी की टंकी एवं पुरानी टंकी, भारतीय विद्यालय, पीएचक्यू लाईन अम्बेडकर भवन की टंकियों को रोजाना भरा जा रहा हैं। इसके बाद फिजीकल पानी की टंकी और बड़ौदी को सिंध की लाइन से जोड़ दिया गया हैं, लेकिन नल कनेक्शन न होने कारण यह अभी चालू नहीं की गई हैं।
बंद करना पड़ती है मोटर, क्योंकि भरने की जगह नहीं
सिंध जलावर्धन के लिए बनाए गए फिल्टर प्लांट के मैकेनिकल इंजीनियर अवनीश शुक्ला ने बताया कि हम पूरे समय मोटर चालू रखते हैं, जिससे आठ टंकियां भरी जा रही हैं। अभी थीम रोड और सीवर प्रोजेक्ट में लाइन फूटने के कारण एक हफ्ते जल प्रदाय बाधित रहा था। इसके अलावा मोटर गर्म होने पर एक-दो घंटे बंद की जाती है। कभी-कभी टंकियां खाली ही नहीं हो पाती हैं, इसलिए भी पानी की सप्लाई बंद करना पड़ती है। दरअसल टंकियों से पानी सप्लाई होने की पूरी लाइन ही नहीं है, इसलिए टंकियां जल्दी खाली ही नहीं हो पाती हैं।
प्रशासन का प्रेस नोट झूठ बोल रहा हैं
यह बात शहर के प्रत्येक नागरिक के संज्ञान में हैं कि शहर की प्यास अभी बोरबैल ही बुझा रहे है। माधव झील शहर की प्यास बुझाने के लिए अभी भी संघर्ष कर रही है। इसके बाद अभी भी सरकारी टेंकर और प्राईवेट टेंकर शहर में चलते देखे जा सकते है। प्रत्येक जनसुवाई में पानी के समस्या को लेकर आवेदन आते रहते हें। नपा ने अभी 6500 घरो में कनेक्शन दिए हैं। बाकी घर बोरबैल और माधव झील के पानी से प्यास बुझाते हैं। कुल मिलाकर सीएम के क्रोध से बचने के लिए नपा ने झूठे आंकडे परोसे हैं।
सिंध प्रोजेक्ट को पूर्ण करने के लिए बदलनी होगी नपा की टीम
सिंध जलावर्धन में वितरण का काम देख रहे इंजीनियर सचिन चौहान के पास न तो जनता की समस्या सुनने के लिए समय होता है और न ही योजना पर जानकारी देने का। उनसे कई बार फोन कर सिंध जलावर्धन के बारे में बात करने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
दरअसल वे सिर्फ मोबाईल फोन में सेव नंबर से फोन उठाते हैं जिससे अपनी लापरवाही का जवाब किसी को न देना पड़े। मुख्यमंत्री द्वारा ली जाने वाली समीक्षा बैठक में नपा के अधिकारियों की लापरवाही की गाज किसी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी पर गिर सकती है।