शिवपुरी। मडीखेडा जलावरधन योजना 12 साल यानि 4380 दिन बाद भी शहर की ढाई लाख आबादी के कंठों को तर नहीं कर सकी है। इसके पीछे कारण है कि योजना की सही तरीके से मॉनिटरिंग न करना और योजना में हुए जमकर भ्रष्टाचार के चलते आज भी आबादी दो दो कटटी पानी के लिए तरस रही है।
114 करोड से अधिक की राशि खर्च करने के बाद भी यदि शहर को पानी नहीं मिल पा रहा है तो इसमें नपा का पूरी तरह से रबैया ढुलमुल रहा है। योजना का क्रियान्वयन करने वाले चाहे कंपनी हो फिर जिम्मेदार सबने अपनी जेबे भरी जनता के कंठों से उनका कोई लेना देना नहीं रहा।
दोशियान को मिला था काम, नहीं कर सकी पूरा
गुजरात की दोशियान कंपनी को योजना का काम दिया गया था लेकिन उसके प्रोजेक्ट इंचार्ज मकवाना ने योजना को पलीता लगाया और उस समय काम देख रहे योजना के प्रभारी इंजीनियर गुप्ता ने भी काम पर ध्यान नहीं दिया। समय सीमा बीत जाने के बाद भी काम पूरा नहीं हो सका।
ठेंगडे की लाइन कभी भी फट जाती है
मडीखेडा योजना की मुख्य लाइन में जो पाइप डाले गए हैं यदि उन्हें ठेंगडे के पाइप कहा जाए तो अतिश्योक्ति न होगी क्योंकि वह पाइप पानी की प्रेशर से ही फट जाते है और बाद में उनमें पैबंद लगाकर उनको सही किया जाता है।
खामियों का इंटकबैल
भले ही डैम के समीप इंटकबैल पीएचई ने तैयार करवाया लेकिन यह इंटकबैल भी खामियों से भरा है। इसमें गेट न लगने से सिल्ट जमा हो गई। इसके अलावा इसकी तोड फोड कर किसी तरह से यहां पाइप और मशीनों को लगाया गया।
डीआई लाइन डले तो बने बात
मुख्य पाइप लाइन आए दिन फूट रही है ऐसे में गर्मियों की शुरूआत हो गई है और कई इलाकों में पानी का संकट गहरा गया है ऐसे में नए सिरे से डीआई लाइन डालने के लिए प्रस्ताव भोपाल भेजा गया था लेकिन अब तक इसे स्वीक्रति नहीं मिली है।
कई इलाकें की टंकियों का नहीं हो सका जुडाव
मडीखेडा योजना के क्रियान्वयन के लिए टंकियों का निर्माण भी कराया गया लेकिन कई टंकियों का मुख्य लाइन से जुडाव तक नहीं हो सका है जिससे आज भी शहर के कई इलाकों में सिंध का पानी दूर की कौडी साबित हो रहा है।
टंकियों से लीकेज की भी शिकायत
मडीखेडा योजना के लिए बनाई गई नई टंकियों से भी पानी के लीकेज की शिकायत सामने आई थी जिसके बाद नपा के इंजीनियरों ने आनन फानन में टंकियों का रिपेयरिंग वर्क कराया था। इससे लगता है कि यह टंकियां भी ज्यादा दिन नहीं चलेंगी।
योजना का क्रियान्वयन करने वाले अधिकारियों पर गिरे गाज
मडीखेडा योजना का क्रियान्वयन करने वाले कर्मचारियों और ठेकेदार पर सख्त कार्रवई होना चाहिए क्योंकि 12 साल के लंबे इंतजार के बाद भी यदि शहर की आवाम के कंठ सूखे है। ऐसे में जिम्मेदार लाखों करोडों का घोटाला कर विसलेरी से अपना गला तर कर रहे हैं।