53 चिताओं की राख ठंडी नहीं हुई: शिवपुरी में ओवरलोडिंग चल रही है बसे, ठूंस ठूंस कर भरी जा रही है सवारियां - Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। मध्यप्रदेश के सीधी बस हादसे के बाद परिहवन विभाग ने नियम तोड़कर चल रहे वाहनों पर कार्रवाई करने का अभियान शुरू किया है। खुद परिवहन आयुक्त सड़कों पर उतरकर ओवरलोडिंग वाहनों और अन्य नियमों को तोडऩे वालों पर कार्रवाई कर रहे हैं। इसके बाद भी शिवपुरी जिले में परिहवन विभाग सिर्फ कार्रवाई की रस्म अदायगी में जुटा हुआ है। जब शासन से आदेश आए तो दो चेक पोस्ट लगाकर चेकिंग की और इतिश्री कर ली।

दूसरी ओर शहर के मुख्य बायपास से ही ओवरलोडिंग वाहन नियमों को मुंह चिढ़ाते हुए गुजरते रहे। शिवपुरी से ग्वालियर, श्योपुर आदि रूटों पर चलने वाली बसें क्षमता से अधिक सवारी भरकर घूम रही हैं। ऐसा नहीं है कि बसें अभी ओवरलोड होकर चल रही हैं। यह लंबे समय से चला आ रहा है, लेकिन परिवहन विभाग ने कभी इसकी सुध लेना जरूरी नहीं समझा। सीधी हादसे के बाद आदेश आए तो उसकी खानापूर्ति के लिए कार्रवाई दर्शा दी।

दीपावली के पहले गई थी 10 लोगों की जान

पोहरी के पास दीपावली के एक दिन पहले 13 नवंबर को पिकअप वाहन पलट गया था जिसमें 10 लोगों की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई थी। उस समय इस हादसे को गंभीरता से नहीं लिया गया और कोई कार्रवाई इसके बाद नहीं देखी गई। दूसरी ओर इसके बाद पुलिस ने भी कोई अभियान नहीं चलाया। अब जब सीधी बस हादसे के बाद हर जिले को चेकिंग करने के निर्देश दिए गए हैं तब भी परिवहन विभाग का आलम यह है कि सड़कों पर वाहनों को चेक करने के बजाए सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है।

बस संचालकों की मनमानी, किराया बढ़ाया और क्षमता से अधिक सवारी

बस संचालकों ने भी लॉकडाउन के बाद दोबारा बस सेवाएं शुरू होने के साथ ही किराए में बढ़ोत्तरी कर दी थी। उनका तर्क था कि बसों में क्षमता से कम सवारी बैठाई जा रही हैं इसलिए किराया बढ़ाया गया है। अब बस संचालक क्षमता से अधिक सवारी भर रहे हैं और किराया भी मनमाना वसूल कर रहे हैं।

बस संचालक अब श्योपुर तक के 150 रुपये, दतिया 120, गुना 120 व 150, पिछोर 80, कोलारस 40 और पोहरी 50 रुपये कर दिया है। किराए में 30 प्रतिशत तक की वृद्धि करने के बाद भी क्षमता से अधिक सवारी भरकर लोगों की जान को जोखिम में डाल रहे हैं। इसके अलावा गुना बायपास और ग्वालियर बायपास पर सवारी को लेकर अक्सर बस संचालक भिड़ भी जाते हैं। तीन दिन पहले ही दो बस संचालकों ने सवारी बैठाने के विवाद में जमकर मारपीट हुई और मामला एफआइआर तक पहुंच गया।

आरटीओ न ऑफिस आतीं न फोन उठातीं, ऑफिस में भी कटरों का दबदवा

आरटीओ मधु सिंह से जब कार्रवाई के संबंध में जानकारी लेने के लिए संपर्क किया गया तो उन्होंने कई बार फोन लगाने के बाद भी रिसीव नहीं किया। इसके अलावा आरटीओ दफ्तर में भी कम ही आती हैं। परिवहन विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो यहां पर उनका पूरा तीन से चार कटर (दलाल) करते हैं। इनके लिए ऑफिस में बकायदा कुर्सी भी लगी हुई है।

इसके अलावा शिवपुरी परिवहन विभाग में अपने खुद के नियम बना रखे हैं। हर ट्रांसफर फाइल में क्रेता-विक्रेता होने के बाद भी दलाल का शपथ पत्र लगाया जाना अनिवार्य किया हुआ है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद भी बीएस-4 वाहनों का रजिस्ट्रेशन नहीं किया जा रहा है।
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