क्या भाजपा रोक पाऐगी कांग्रेस की विजयी रथ: क्या कांग्रेसी लगा पाऐगी करैरा में जीत की हैट्रिक - KARERA NEWS

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शिवपुरी।
करैरा विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में इस बार कांग्रेस के लिए जीत की हैट्रिक बनाने की चुनौती है। कांग्रेस इस सीट से 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में जीत हांसिल कर चुकी है। जबकि भाजपा को करैरा विधानसभा सीट से आरक्षित होने के बाद पहली बार जीतने का मौका 2008 के चुनाव मेंं मिला था। भाजपा को अब दूसरी जीत का इंतजार है। देखना यह है कि 10 नबंवर को जब परिणाम निकलकर सामने आएगा तो कांगे्रस के मनसूबे पूरे होते हैं या भाजपा के।

2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जीतने वाले जसमंत जाटव उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी हैं। 2018 में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी राजकुमार खटीक को लगभग 14 हजार मतों से पराजित किया था। श्री खटीक की पराजय का एक प्रमुख कारण यह था कि भाजपा के पूर्व विधायक रमेश खटीक सपाक्स पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतर आए थे और उन्होंने लगभग 10 हजार वोट लेकर भाजपा प्रत्याशी की हार सुनिश्चित कर दी थी।

श्री खटीक 2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रूप में विजयी हुए थे। कांग्रेस 2013 के विधानसभा चुनाव में भी करैरा से विजयी हुई थी। कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमति शंकुतला खटीक ने भाजपा प्रत्याशी ओमप्रकाश खटीक को 10 हजार से अधिक मतों से पराजित किया था। 

कांग्रेस की विजय 2013 और 2018 में इसलिए भी उल्लेखनीय रही थी कि दोनों विधानसभा चुनावों में बसपा प्रत्याशी ने लगभग 40 हजार मत प्राप्त किए थे। 2008 से 2018 तक तीनों विधानसभा चुनाव में बसपा ने वर्तमान में कांग्रेस प्रत्याशी प्रागीलाल जाटव को टिकट दिया था। लेकिन इस चुनाव में परिस्थितियां अलग हैं। एक तो बसपा प्रत्याशी राजेंद्र जाटव उतनी दमदारी और मजबूती से चुनाव नहीं लड़ रहे और उनकी निर्वलता कहीं न कहीं कांग्रेस को मजबूत करने का काम कर रही है। लेकिन कांग्रेस इस बात से बेपरवाह है।

कारण यह है कि अभी तक कांग्रेस की ओर से प्रचार की मुख्य भूमिका ज्योतिरादित्य सिंधिया निर्वहन करते थे। परंतु वर्तमान में वह भाजपा प्रत्याशी के लिए काम कर रहे हैं। इस मायने में करैरा का चुनाव सिंधिया के लिए प्रतिष्ठा का चुनाव बन चुका है और इसे महसूस कर वह प्रचार में पूरा जोर लगा रहे हंैं। उनकी करैरा विधानसभा क्षेत्र में कई सभाएं हो चुकी हैं।

29 अक्टूबर को भी वह विधानसभा क्षेत्र में सभा संबोधित करने आ रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, नरोत्तम मिश्रा, यशोधरा राजे सिंधिया भी करैरा में प्रचार में जुटे हुए हैं। जबकि कांग्रेस में प्रचार अभियान का पूरा दायित्व कमलनाथ के कंधों पर है। कल राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की भी क्षेत्र में सभा हुई थी। लेकिन उस सभा का कितना सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा यह कहना मुश्किल है। क्योंकि श्री पायलट कांग्रेस में खुद संकट में घिरे हुए हैं और ऐसी स्थिति में वह गुर्जर मतदाताओं को कैसे कांग्रेस के पाले में लाने में सफल होंगे।

करैरा में कांग्रेस का पूरा दारोमदार प्रत्याशी प्रागीलाल जाटव पर है जो तीन चुनावों से लगातार हार रहे हैं। इस कारण उनके पक्ष में थोड़ा सहानुभूति का वातावरण है, जिसे वह कितना भुना पाते हैं यह देखने की बात रहेगी। कांगे्रस, भाजपा और बसपा तीनों प्रत्याशी जाटव जाति के हैं और क्षेत्र में लगभग 40 हजार जाटव मतदाता हैं।

2013 और 2018 के चुनाव में प्रागीलाल जाटव इन मतों पर अपनी पकड़ साबित कर चुके हैं। लेकिन उपचुनाव में क्या वह ऐसा कर पाएंगे, यह एक बड़ा सवाल है। विधानसभा क्षेत्र में एंटीइंकंबेंसी फैक्टर का खामियाजा भी भाजपा को भोगना पड़ सकता है। चुनाव में धनबल भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हुआ नजर आ रहा है और इसका कितना प्रभाव रहेगा। इस पर भी जीत और हार निर्भर रहेगी। 
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