ऐसे किजिए महालक्ष्मी पूजा,क्या महत्व हैं इस पूजा का ओर यह क्यों की जाती है / SHIVPURI NEWS

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शिवपुरी। आश्विन मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को महालक्ष्मी पूजा या जीवित्पुत्रिका व्रत का विधान है आज घर-घर में पार्थिव हाथी के साथ महालक्ष्मी का पूजन किया जाएगा। पं.लक्ष्मीकांत शर्मा मंशापूर्ण मंदिर के अनुसार आज हाथी पर बैठी महालक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए जिससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं महालक्ष्मी व्रत धन ऐश्वर्य समृद्धि और संपदा की प्राप्ति के लिए किया जाता है माता लक्ष्मी के 8 रूप माने गए हैं।

जिसमें से आज गज लक्ष्मी रूप की पूजा होती है वैसे यह व्रत राधा अष्टमी से प्रारंभ होकर आज पित्र पक्ष में पढऩे वाली अष्टमी को पूर्ण होता है जो इस व्रत को 16 दिन तक नहीं रख सकते, वह आज इस व्रत को रखकर लाभ अर्जित कर सकते हैं।

महालक्ष्मी व्रत की पूजन विधि

शाम के समय स्नान कर पूजा स्थल पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं। केसर मिले चंदन से अष्टदल बनाकर उस पर चावल रखें फिर जल से भरा कलश रखें। अब कलश के पास हल्दी से कमल बनाएं। इस पर हाथी पर सवार माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें और उसको सुंदर सजाएं।

इसके अलावा पूजन स्थल पर माता लक्ष्मी की मूर्ति के सामने श्रीयंत्र रखें फिर कमल के फूल से देवी मां की पूजा करें। पं.लक्ष्मीकांत शर्मा के अनुसार इस व्रत में सोलह का विशेष महत्व है सोलह गांठ का कलावा धारण करना चाहिए, सोलह बार जल में डुबकी लगाकर स्नान करना चाहिए, सोलह श्रृंगार माता लक्ष्मी को समर्पित करना चाहिए और सोलह सामग्री से माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।

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