नरवर। मानवता को शर्मसार करने वाली खबर नरवर से आ रही हैं जहां एक कोरोना पॉजीटिव मरीज के शव को प्रशासन एम्बूलैंस उपलब्ध नही करा पाया और उसके शव को लावारिसो की तरह हाथ ठेले से लाया गया ओर फिर उसे ट्रेक्टर ट्रॉली में रखकर ले जाया गया।
सनातन संस्कृति के हिन्दू धर्म में मानव के सौलह संस्कार होते हैं। यह संस्कार मानव के जिंदा होने से मरने तक पर दाहसंस्कार को अंतिम संस्कार अर्थात सौहलवा संस्कार माना गया है। मानव का सबसे पहला संस्कार गर्भाधान माना गया हैं इसके बाद जन्म लेने के बाद नामाकरण संस्कार,मुंडन संस्कार जनेउ संस्कार,विवाह संस्कार ओर मृत्यु हो जाने पर अंतिम संस्कार यह सौलह संस्कारो में से प्रमुख संस्कार हैं।
हिन्दु धर्म में अंतिम संस्कार बडा ही महत्वपर्ण होता है। अंतिम यात्रा इस संस्कार एक एक अंग होता है। अंतिम यात्रा से जब हमारे सामने से गुजरती हैं तो हम श्रृद्धा भाव से सिर झुकाकार उसको प्रणाम करते हैं चाहे हम मरने वाले व्यक्ति को पहचानते हो या नही लेकिन उसकी अंतिम सफर को प्रणाम करना हमारी संस्कृति है।
लेकिन कोरोना काल चल रहा हैं समाजिक नियम सभी बदल गए हैं। कोरोना के प्रोटोकॉल के कारण अब कोरोना पॉजीटिव मरीज का शव परिजनो को नही दिया जाता है,लेकिन उसकी अंतिमयात्रा भी नही निकाली जाती हैं केवल एक या परिजनो के साथ उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है।
बीते रोज नरवर नगर के वार्ड नम्बर 5 में रहने वाले सेवानिवृत आरआई गणेशीलाल आर्य की 74 वर्ष की आयु में कोरोना से दुखद मौत हो गई। गणेशीलाल आर्य की 14 सितम्बर को कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आई थी। इसके बाद उन्हें होम आईसोलेशन में रखा गया। लेकिन उन्हें जिला अस्पताल नहीं भेजा गया। उनके पुत्र व पुत्र वधु भी कोरोना संक्रमित होने के कारण होम आईसोलेशन में थे।
लेकिन गणेशीलाल की लगातार हालत बिगड़ती जा रही थी। वहीं परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों ने उन्हें आश्वस्त किया था कि वह होम आईसोलेशन में रहकर ही स्वस्थ हो जाएंगे। इसलिए वह निश्चिंत हो गए थे और उन्होंने किसी दूसरे अस्पताल या किसी दूसरे शहर में जाने की नहीं सोची। लेकिन शाम के समय उनकी घर पर ही मौत हो गई।
परिजनों का कहना है कि उनके शव को ले जाने के लिए उन्होंने स्वास्थ्य केन्द्र में सम्पर्क किया। इसके बाद भी उन्हें एम्बुलेंस या कोई शव वाहन नहीं दिया गया। इस कारण वह घर से ठेले में उनका शव रखकर गांव के बाहर खड़ी ट्रेक्टर ट्रॉली तक लेकर पहुंचे। जहां से उन्हें अंतिम संस्कार के लिए मुक्तिधाम पर ले जाया गया।
अब इस पूरे मामले मे सवाल उठ रहे हैं कि पूरे नरवर नगर में एक एैम्बूलेंस तक नही थी,जिससे मरने वाले को सम्मान पूर्वक शमशान घाट ले जाया जाता,लेकिन ऐसा नही हुआ शव को हाथ ठेले पर रखकर ले जाया गया। वह भी किसी सुरक्षा के,इससे कोरोना का संक्रमण फैलने का खतरा बड गया।