करैरा विधानसभा उपचुनाव:प्रागीलाल के कांग्रेस में शामिल होने से भाजपा में भी खलबली / karera News

Bhopal Samachar
करैरा। करैरा विधानसभा क्षेत्र से पिछले तीन विधानसभा चुनावों से बसपा उम्मीदवार के रूप में विजयी उम्मीदवार के छक्के छुड़ाने वाले प्रागीलाल जाटव के कांग्रेस में शामिल होने से भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस के उन टिकट दावेदारों में भी बेचैनी व्याप्त हो गई, जो उपचुनाव में कांग्रेस टिकट के दावेदार हैं।

कांग्रेस में टिकट के संभावित दावेदार उन्हें अवसरवादी की संज्ञा दे रहे हैं और उनका तर्क है कि प्रागीलाल को टिकट देने से कांग्रेस का निष्ठावान कार्यकर्ता हतोत्साहित होगा और मतदाताओं में भी इसका अच्छा संदेश नहीं जाएगा। कांग्रेसियों के साथ-साथ भाजपा में भी इसलिए घबराहट है क्योंकि प्रागीलाल की मजबूत उम्मीदवारी वह पिछले तीन विधानसभा चुनावों से देख रहे हैं।

2008 में प्रागीलाल ने जहां कांग्रेस उम्मीदवार बाबू रामनरेश को पीछे ढकेल कर दूसरा स्थान प्राप्त किया। वहीं 2013 और 2018 के चुनाव में प्रागीलाल जाटव ने भले ही तीसरा स्थान प्राप्त किया लेकिन उनके मतों की संख्या 40 हजार से अधिक रही। भाजपा को इसलिए भी परेशानी है क्योंकि यदि कांग्रेस प्रागीलाल को टिकट देती है तो भाजपा के संभावित उम्मीदवार जसवंत जाटव भी जाटव हैं और जाटव मतों के धु्रवीकरण का नुकसान भाजपा को उठाना पड़ सकता है।

इस कारण भाजपा में भीतर ही भीतर यह सुगवुगाहट भी शुरू हो गई है कि यदि कांग्रेस से प्रागीलाल जाटव की उम्मीदवारी तय होती है तो भाजपा जीत के लिए उम्मीदवार परिवर्तित करने पर भी विचार कर सकती है। उन परिस्थितियों में भाजपा की ओर से रमेश खटीक को टिकट का दावेदार माना जा सकता है।

प्रागीलाल ने कल भोपाल में प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में अपने कुछ साथियों के साथ कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी। प्रागीलाल को कांग्रेस में लाने का श्रेय बसपा के पूर्व विधायक लाखन सिंह बघेल को है। जिन्होंने प्रागीलाल की पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और अशोक सिंह से मुलाकात कराई थी।

प्रागीलाल को बसपा में लाने का श्रेय लाखन सिंह बघेल को है, जो कि 2003 के चुनाव में करैरा से बसपा उम्मीदवार के रूप में विजयी हुए थे। लाखन सिंह प्रागीलाल के इस मायने में राजनैतिक गुरू भी माने जाते हैं और वह ही 2008 से प्रागीलाल को करैरा से विधानसभा चुनाव लड़ा रहे हैं।

लगातार तीन चुनाव काफी कम मतों से हारने के कारण प्रागीलाल के प्रति करैरा में एक तरह से सहानुभूति का वातावरण देखा जा रहा है। यह माना जा रहा था कि प्रागीलाल अभी तक नहीं जीते तो इसका कारण उनका गलत पार्टी चयन था।  लेकिन अब उनके कांग्रेस में आने से यह माना जा रहा है कि यदि पार्टी उन्हें उपचुनाव में टिकट देगी तो वह काफी मजबूत चुनौती भाजपा उम्मीदवार के समक्ष पेश करेंगे।

करैरा उपचुनाव में भाजपा का उम्मीदवार तो लगभग तय है। भाजपा इस बार नबंवर 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से लडऩे वाले जसवंत जाटव को टिकट देने जा रही है। भाजपा के पत्ते खुल गए हैं।  लेकिन इसका लाभ उसे मिलता हुआ नजर नहीं आ रहा। इसका एक तो कारण यह है कि नबंवर 2019 से अब तक करैरा की सिंध नदी में काफी पानी बह चुका है।

डेढ़ साल में जसवंत जाटव अपने व्यवहार और कार्यप्रणाली के कारण काफी विवादास्पद हो चुके हैं। आम जनता से उनके रिश्ते चुनाव जीतने के बाद ठीक नहीं माने जा रहे और करैरा में अवैध उत्खनन को बढ़ावा देने का भी उन पर आरोप लगा। जसवंत जाटव कांग्रेस में विशुद्ध रूप से सिंधिया समर्थक रहे हैं और सिंधिया के समर्थन में ही उन्होंने अपनी विधायकी से इस्तीफा दिया था।

उपचुनाव मेंं एंटीइंकंबेंसी फैक्टर जसवंत जाटव को परेशान कर सकता है। चूकि पिछले चुनाव में कांग्रेस से लड़े जसवंत जाटव अब भाजपा उम्मीदवार हैं, इस कारण एंटीइन्कंबेंसी फैक्टर से भाजपा को ही नुकसान होगा। जसवंत जाटव की उम्मीदवारी से करैरा में भाजपा टिकट के आकांक्षी भी कहीं न कहीं मन में खिन्नता पाले हुए हैं। पिछले विधानसभा चुनाव मेें भाजपा उम्मीदवार के रूप में लड़े राजकुमार खटीक के समर्थक सोशल मीडिया पर उनकी दावेदारी के लिए समर्थन जुटा रहे हैं।

पिछले चुनाव में भाजपा उम्मीदवार राजकुमार को पराजित करने में मुख्य भूमिका निभाने वाले भाजपा के पूर्व विधायक रमेश खटीक ने निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ा था और वह पराजित तो हो गए थे। लेकिन 10 हजार से अधिक मत लेकर उन्होंने राजकुमार की हार सुनिश्चित कर दी थी। चुनाव के बाद रमेश भाजपा में आ गए लेकिन टिकट की आस उनके मन में अभी भी है।

स्थानीय भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी को भांपकर भाजपा संगठन ने तय किया है कि क्षेत्र में  जसवंत जाटव, पूर्व विधायक रणवीर सिंह रावत, पूर्व विधायक ओमप्रकाश खटीक और रमेश खटीक एक साथ दौरा करेंगे और एक जुटता का संदेश देंगे। लेकिन यह उपाय कितना कारगर सिद्ध होता है यह देखने की बात होगी। कांग्रेस ने हालांकि प्रागीलाल जाटव की उम्मीदवारी अभी तय नहीं की है।

वह सिर्फ पार्टी में शामिल हुए हैं और प्रागीलाल भी यहीं बात कहते हैं। लेकिन उनके उम्मीदवार बनने की संभावना से भाजपा खैमे में बेचैनी का वातावरण अवश्य है। भाजपा का एक बड़ा गुट मानता है कि प्रागीलाल की कांग्रेस उम्मीदवारी से भाजपा को करैरा सीट जीतना आसान नहीं होगा।

इस कारण कोशिश यह है कि सिंधिया की सहमति से करैरा से भाजपा उम्मीदवार को बदलने का दांव खेला जाए। ऐसी स्थिति में जसवंत जाटव को किसी निगम मंडल का अध्यक्ष बनाकर संतुष्ट किया जा सकता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या सिंधिया इसके लिए सहमत होंगे।

वहीं दूसरी ओर करैरा में कांग्रेस टिकट के दावेदार पूर्व विधायक शंकुतला खटीक, केएल राय, दिनेश परिहार, मानसिंह फौजी, योगेश करारे और शिवचरण करारे आदि हैं। ये सभी कांग्रेस टिकट के लिए अपना वायोडेटा दे चुके हैं। इनमें से अधिकांश सिंधिया समर्थक हैं और टिकट का मोह ही उन्हें कांग्र्रेस में बनाए रखे हुए हैं। इसलिए पार्टी नेताओं को आशंका है कि यदि वह जीत गए तो सिंधिया के पास जाने में उन्हें देर नहीं लगेगी और यदि टिकट मिला तो वह एक झटके में भाजपा में शामिल हो जाएंगे और शायद यही सिंधिया समर्थकों का कमजोर पक्ष है।

सिंधिया समर्थकों में शंकुतला खटीक, केएल राय और योगेश करारे का नाम लिया जा रहा है। जिला कांग्रेस संगठन जिन उम्मीदवारों की पैरवी कर रहा है, सूत्रों के अनुसार वे हैं दिनेश परिहार और मानसिंह फौजी।

इनमें मानसिंह फौजी सेना से सेवानिवृत होकर राजनीति कर रहे हैं और दिनेश परिहार  पंचायत राजनीति से जुड़े हुए हैं। ऐसी स्थिति में टिकट किसे मिलेगा यह सुनिश्चित रूप से तो नहीं कहा जा सकता। लेकिन या तो प्रागीलाल जाटव की उम्मीदवारी की संभावना है अथवा पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा कराए गए सर्वे के बाद कांग्रेस टिकट का फैसला लेगी। लेकिन प्रागीलाल के कांग्रेस में शामिल होने से करैरा की राजनीति में अवश्य उबाल आ गया है।  
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