शिवपुरी। सरकारी मशीनरी और स्वास्थ्य विभाग किस असंवेदनशीलता के साथ कार्य करता है इसकी नजीर कल तब देखने को मिली जब लंबे और घंटे इंतजार के बाद किसी तरह से कोरोना निगेटिव श्रमिक अमृत की लाश को उसके गृह ग्राम भेजने का इंतजाम किया जा सका और जब शव गाड़ी में रखा जा रहा था तो पता चला कि वह तो पूरी तरह से सड़ चुका था और उसमें से बुरी तरह से बदबू आ रही थी। मानवता को शर्मशार करने वाली इस घटना ने सभी को दुखी कर दिया।
पिछले दिनों कोरोना संदिग्ध अमृत की जिला अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हुई थी और बाद में आई रिपोर्ट में यह साबित हुआ कि वह कोरोना संदिग्ध नहीं है तो स्वास्थ्य विभाग तथा प्रशासन ने राहत की सांस ली। लेकिन तब तक उसे कोरोना मरीज मानकर व्यवहार करना शुरू कर दिया गया था। उसकी लाश को ऐसे डी-फ्रीजर में रखा गया जो चल ही नहीं रहा था और जिसके चलते गर्मी के कारण लाश बुरी तरह सडऩे लगी थी।
रिपोर्ट आने के बाद अमृत की लाश को ले जाने के लिए उसका मित्र मो. सय्यूम तैयार था। कल सुबह से ही वह इंतजार कर रहा था कि प्रशासन गाड़ी का इंतजाम करेगा और वह अपने मित्र की लाश को उसके गांव अंतिम संस्कार के लिए ले जाएगा लेकिन दोपहर तक उसे आश्वासन देकर टरकाया जाता रहा। सोशल मीडिया में भी इसकी खबरें खूब चलीं।
बताया जाता है कि जब इसकी जानकारी बस्ती के स्वास्थ्य विभाग को लगी तो उन्होंने झांसी फोन लगाकर उनसे शिवपुरी एम्बुलेंस भेजने के लिए कहा। ताकि अमृत के शव को बस्ती ले जाया जा सके। शाम साढ़े 4 बजे झांसी प्रशासन द्वारा भेजी गई गाड़ी आई और उसमें अमृत के मृत देह को भेजने की तैयारी की जाने लगी। गाड़ी को सेनिटाईज कर पीएम हाऊस भेज दिया गया।
लेकिन जैसे ही शव को गाड़ी में रखने के लिए उठाने का प्रयास किया तो पता चला कि वह पूरी तरह सड़ चुका है और लाश ने पानी छोड़ दिया है। ऐसी स्थिति में एंबुलेंस चालक ने गाड़ी में बॉडी रखने से इंकार कर दिया। तब उसे कहा गया कि हम उचित प्रबंध करते हैं। किसी तरह एक पीली पन्नी मंगाई गई। जिसमें अमृत की मृत देह को लपेटा गया और उसे एम्बुलेंस में रखवाकर रवाना किया गया। इस दुखद प्रसंग ने मानवता को अवश्य शर्मशार कर दिया है।