कोरोना काल में शिव के कैबिनेट' लॉक' लेकिन नही होगा महाराज का 'राज' / Shivpuri News

Bhopal Samachar
ललित मुदगल @भोपाल। कांग्रेस के शासन काल में भाजपा की सत्ता को प्रकट करने के लिए  ग्वालियर राजघराने के महाराज पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मप्र में भाजपा की सत्ता प्रवाहित करने में भागीरथ की भूमिका अदा की हैं। लेकिन यह तपस्या सशर्त थी।

कोरोना काल में शिवराज ने मप्र में अपना राजतिलक तो करवा लिया,लेकिन अपने मंत्री मंडल का गठन नही किया। खबरे भोपाल और दिल्ली से आ रही हैं कि शिवराज कैबिनेट की जगह किचिन कैबिनेट गठन की योजना बना रहे हैं। और उन्होने अपनी किचिन कैबिनेट लॉक भी कर ली हैं। लेकिन इसमें मप्र में भाजपा की सत्ता को प्रकट करने वाले महाराज का राज नही होगा।


जानकारी मिल रही हैं कि यह पहला मौका होगा जब उनकी मर्जी की राज्य सरकार तो होगी लेकिन इसमे न तो उनके प्रभाव क्षेत्र ग्वालियर से कोई समर्थक मन्त्री होगा और न ही उनकी लोकसभा क्षेत्र से। जिन बाइस विधायको ने इस्तीफा दिए उनमें से 16 सिंधिया का समर्थक थे इनके कारण ही कमलनाथ सरकार सदन में संख्याबल खो बैठी और सरकार गिर गई। लेकिन अभी नई सरकार में इक्का दुक्का तबादलों को छोड़कर सिंधिया वैसा प्रभाव नही दिखा सके जैसा कांग्रेस में था ।

कमलनाथ सरकार में ग्वालियर चम्बल संभाग में सिंधिया का एकछत्र राज्य था। या ये कह लो की सिंधिया समर्थक मंत्रीओ का हैडक्वार्टर ग्वालियर का जयविलास पैलेस था,हालाकि ग्वालियर क्षेत्र में उनके विरोधी माने जाने वाले डॉ गोविंद सिंह और लाखन यादव जैसे दो लोग मंत्री भी थे।

लेकिन सिंधिया के छह समर्थक इमारती देवी,प्रद्युम्न सिंह और महेंद्र सिसोदिया उनके अपने इलाके से मन्त्री थे जबकि सागर से गोविंद राजपूत ,इंदौर से तुलसी सिलावट और रायसेन से प्रभुराम चौधरीं मंत्री थे। ये लोग सिर्फ मन्त्री ही नही थे बल्कि  सारे मलाईदार विभाग भी इनके पास थे।इनके पास राजस्व,परिवहन,महिला एवं बाल विकास,शिक्षा,स्वास्थ्य और श्रम जैसे मंत्रालय थे ।

माना जा रहा था कि सरकार गिराने के बदले जो डील हुई उसमें महराज को राज्यसभा और केंद्र में मन्त्री पद और सभी पूर्व मंत्रियों को मंत्री पद तथा इस्तीफा देने वालो को भाजपा का टिकिट देने की बात तय हुई थी ।

लेकिन कोरोना संकट के चलते सीएम के रूप में शिवराज सिंह ने अकेले शपथ ले ली क्योंकि मंत्रिमंडल को लेकर एकराय नही बन सकी । भाजपा चाहती थी कि फिलहाल केबिनेट छोटी हो जिसमें बमुश्किल दस बारह लोग हो।

जबकि सिंधिया चाहते थे कि उनके सभी छह लोग एक साथ मन्त्री बने। इसको लेकर सिंधिया अमित शाह से लेमर जेपी नड्डा और राजनाथ सिंह तक सबसे मिल चुके है और माना जा रहा  था कि बात बन जाएगी लेकिन अब उल्टा होता दिख रहा है ।

सूत्र कह रहे है कि कभी भी मंत्रिमंडल की शपथ हो सकती है और इसमें कुल जमा पांच ही लोग शपथ लेंगे जिनमे सिंधिया के सिर्फ दो लोग तुलसी सिलावट और गोविंद राजपूत होंगे। बाकी तीन में नरोत्तम मिश्रा,भूपेंद्र सिंह,यशोधरा राजे होंगी।  

इस तरह एक तो डर मिश्रा और यशोधरा का आँचल में रुतबा बढ़ जाएगा और ग्वालियर और गुना संसदीय क्षेत्र से फिलहाल कोई भी सिंधिया समर्थक मन्त्री नही बन पाएगा जो सिंधिया के लिए बड़ा झटका होगा ।

हालांकि अभी ये सब कयास ही है और सीएम ने अभी तक अपने पत्ते नही खोले है । इस बीच इमारती देवी ने एक चैनल से चर्चा में दावा किया कि 25 अप्रैल को मंत्रिमंडल शपथ लेगा और वे उसमें शामिल होंगी। भाजपा सूत्रों का कहना है कि जल्द ही शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे उसमें सिंधिया के बाकी लोग भी शामिल हो जाएंगे।