इस सकंट के समय में अगर कांग्रेस जिंदा है तो प्रकट हो, कहां ले जाओगे अपने इस मुंह को | khula khat

Bhopal Samachar
खुला-खत @ललित मुदगल। देश इस समय लॉकडाउन मोड पर हैं। कोरोना जैसे संकट में प्रशासन से इस महामारी से लडने के लिए युद्ध जैसी तैयारी कर रहा हैं। आम लोग भी घरो में रहकर कोरोना से जंग लड रहे हैं। लॉकडाउन के इस रंग में एक और रंग आ रहा हैं कि साथी हाथ बडाने का।  

साथी हाथ बडाना गाने का तात्पर्य यह हैं कि इस संकट की घडी में समाज का समाजिक चेहरा भी सामने आ रहा हैं। शहर के कुछ समाजसेवी लोग अपने पैसे से गरीबो को खाना खिला रहा हैं,कोई राशन की किट बांट रहा हैं तो काई अपने हाथ से भूखो को खाना खिला रहा हैं। इसमें से रोटरी क्लव,राजमाता विजयाराजे सिंन्धिया सेंटर फॉर डवलपमेंट,भाजपा की मोदी की किचिन,जेसीई स्वर्णा,जैसी कई संस्थाए सडक पर समाज सेवा कर रही हैं।

पीएम और सीएम राहत कोष में शहर के आमजन और व्यापारी राहत कोष में  दान दे रहे हैं। इस सकंट की घडी में छोटे-छोटे बच्चे भी अपनी गुल्लक तोड कर राहत कोष में जमा करा रहे है। कुल मिलाकर चारो ओर मदद सच्ची समाज सेवा ओर देश भक्ति की तस्वीरे आ रही हैं।

लेकिन इस सकंट की घडी में जहां भाजपा मोदी किचिन के नाम से,शिवपुरी विधायक राजमाता विजयाराजे सिंन्धिया सेंटर फॉर डवलपमेंट के नाम से जनता की सेवा कर रही हैं। कांग्रेस में केवल कर्मचारी कांग्रेस के राजेन्द्र पिपलौदा के नाम के अतिरिक्त एक भी कांग्रेसी नेता नजर नही आ रहा हैं। इस सकंट की घडी में शायद कांग्रेस ने अपने आप को होम कॉरन्टाईन कर लिया। राजनीति के माध्यम से समाज सेवा की बात करनी वाली कांग्रेस गायब हैं। अगर वह जिंदा है तो प्रकट हो।

अगर देखा जाए तो ग्वालियर के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का हाथ छोड भाजपा का दामन थाम लिया। इसमें शिवपुरी की आधी कांग्रेस रातो रात कांग्रेस से भाजपा में अपने आप कनवर्ड हो गई। तमाम सिंधिया समर्थक नेता भाजपा के सिंधिया के समर्थन में भाजपा के झंडे के नीचे खडे हो गए।

फिर भी तमाम नाम अभी कांग्रेस में बचे हैं,जिन्होने बकायदा प्रेस वार्ता या मिडिया को प्रेसनोट जारी कर यह दावा किया था कि वे मूल कांगेस में ही हैं,सिंधिया के साथ नही हैं। 14 महिने वह नेता जिनके कदम समाज सेवा के नाम से कलेक्ट्रेट में ही जमे रहते थे। उनके कदमो के निशान मिटते ही नही थे अब वे ऐसे गायब को गए जैसे गधे के सिर से सिंग।

यह खबर उन कनवर्ड कांग्रेसियो के लिए हैं जिनके अका ने समाजसेवा के नाम से अपना धर्म परिवर्तन कर लिया। अपने धर्म परिवर्तन के लिए बकायदा समाजसेवा को ही कारण बताया था। वह भी घरो से निकल कर बहार समाज सेवा के लिए नही आ रहे हैं। इन नेताओ ने ही 14 महीने के कांग्रेसकाल में सबसे ज्यादा सत्ता की मलाई खाई थी।

कहते हैं कि सकंट की घडी में ही अपने परायो की पहचान होती हैं यह सकंट की घडी में कोन ऐसे लोगो की सेवा कर रहा हैं जिनके पास अपने पेट की आग बुझाने के लिए खाना नही हैं। भूखे का पेट भरना ही सबसे बडा पुण्य का काम हैं,लेकिन सत्ता का स्वाद चखने वाले और अब बचे खुच कांग्रेसी यह न भूले की लोग घरो में बंद है तो उनका दिमाग भी बदं है वे सब याद रखेंगें की संकट की घडी में कोैन जनमानस के साथ खडा था।

भारत आस्थाओ का देश हैं धार्मिक देश हैं हमे विश्वास हैं कि हम इस सकंट की घडी से अवश्य बहार आऐंगें। जब मंदिर तक बंद हो चुके हैं लोगो ने घर-घर में मंदिर बना कर देवी की पूजा ओर रामनवमी का त्यौहार मनाया। इस सकंट से बहार आऐंगें ऐसा विश्वास हैं। जब सब समान्य हो जाऐगा तो यही नेता जिनका उल्लेख किया जा रहा हैं वह सफेद कपडे पहनकर फिर देश भक्ति और जनसेवा की बात करेंगें तो लोग मुंह पर कह देगें की कोरोना अपातकाल में साहब कहा थे।

फिर इस मुूंह को कहा ले जाओंगे साहब। कोई याद दिलाए ना दिलाए शिवपुरी समाचार डॉट कॉम जरूर अवश्य दिलाऐंगा कि कैसे कोरोना के रण के समय यह रण छोड कर भागे थे। वैसे ही आगे चुनाव आने वाले हैंं और कांग्रेस राज वापस लाने के लिए शिवपुरी की दोनो सीटो को बचाना हैं। अभी भी समय हैं.......आपके पास