पोहरी। खबर पोहरी तहसील के अहेरा गांव से आ रही हैं,जहां एक निवासरत युवती ने सरकारी तंत्र रिश्वत खोरी और जानबूझकर जांच अटकाने के कारण जहर गटक लिया। बताया जा रहा था इस युवती की नियुक्ति आंगनवाडी कार्यकर्ता के रूप में हो गई थी,लेकिन अपत्ति लगा दी गई,अपत्ति क्लीयर होने के बाद फिर दूसरी अपत्ति लगा दी,इस मामले में लगातर देरी और घूस की डिमांड तहसीलदार कर रहे थे। इस कारण इस आंगनवाडी कार्यकर्ता ने जहर गटक लिया।
जानकारी के अनुसार पोहरी तहसील के अहेरा गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नंदिनी आदिवासी की नियुक्ति में जानबूझकर डाले रहे अड़ंगे और उनके निराकरण में अफसरों द्वारा की जा रही देरी से तंग आकर रविवार की शाम उस युवती ने कीटनाशक निगल लिया। उसे गंभीर हालत में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में चयन होने के बाद उसकी नियुक्ति से पहले कुछ लोगों ने आपत्ति लगा दी। इसके बाद इस मामले की जांच हुई तो वह जांच में पात्र पाई गई। इसके बाद नियुक्त हो पाती कि फिर एक आपत्ति लगा दी गई। इस बार जांच पोहरी तहसीलदार ओपी राजपूत को करनी थी।
लेकिन उन्होंने जांच में लगातार देरी की। इस बीच युवती दो बार जनसुनवाई में भी पहुंची लेकिन वहां से भी सिर्फ आश्वासन मिला। सुनवाई न होने से परेशान होकर युवती ने कीटनाशक गटक लिया।
जनसुवाई में आश्वासन:मेरे पास नहीं थे घूस के पैसे इसलिए मुझे परेशान किया गया
मेरा चयन होने के बाद रानी परमार पत्नी नागेंद्र परमार ने आपत्ति लगाई कि नंदिनी का विवाह नहीं हुआ है। जबकि हकीकत यह है कि विज्ञप्ति जारी होने से पहले मेरा विवाह हो गया था। साल 2016 से जीजा के पास रह रही हूं। हम गरीब आदिवासी पर अधिकारियों को मोटी रकम देने के लिए नहीं है। इसलिए मेरी नियुक्ति नहीं की जा रही है।
जबकि अपत्ति लगाने वाली रानी परमार कृष्णगंज की रहने वाली है। उसने सरपंच से सांठ गांठ कर अहेरा गांव के राशन कार्ड, वोटर कार्ड, आधार कार्ड बनवा लिए हैं। जबकि अहेरा गांव में आदिवासी वर्ग के अलावा दूसरे अन्य वर्ग के लोग नहीं रहते हैं। इससे पहले मेरी जेठानी लक्ष्मी आदिवासी कार्यकर्ता थी, जिसकी पुलिस में नौकरी लगने से पद खाली हुआ।
पहली आपत्ति लगाई तो जांच में मै पात्र पाई गई। इसके बाद दूसरी बार फिर से आपत्ति लगा दी। इसकी जांच में लगातार देरी की जा रही थी। तहसीलदार ओपी राजपूत लगातार देरी कर रहे थे। जनसुनवाई में भी सुनवाई नहीं हुई। मैं पढ़ी लिखी बेरोजगार महिला हूं और बार-बार अनुराेध के बाद भी सुनवाई नहीं हो रही। मुझे अपने परिवार का पालन-पोषण करने कार्यकर्ता की नियुक्ति की जरूरत है। लेकिन अफसर से लेकर सब मिले हुए हैं। जानबूझकर मामला उलझाए जाने से मैं हताश हो गई। इसलिए मैंने आत्मघाती कदम उठाया।
अपील करने पर जांच किस वजह से नहीं हो पाई है, इसकी जांच कराएंगे
कार्यकर्ता पद के लिए अपील करने पर जांच किस वजह से नहीं हो पाई है, इसकी जांच कराएंगे। जांच करा निराकरण कराया जाएगा, लेकिन युवती द्वारा कीड़े मारने की दवा खाना गलत बात है। जो भी समस्या थी उसके बारे में खुलकर बताना था, अफसर जरूर उसकी बात सुनते और प्रकरण हल कराते।
अनुग्रहा पी.,कलेक्टर शिवपुरी
सीडीपीओ को जिम्मेदार बता आत्महत्या की धमकी दी थी, फिर भी अनदेखी
खंड स्तरीय चयन समिति पोहरी ने कार्यकर्ता पद के लिए चयन होने के बाद आपत्ति लगा दी। नंदिनी ने 7 नवंबर 2019 को जिला कार्यक्रम अधिकारी को आवेदन दिया था कि जानबूझकर आपत्ति लगाकर परेशान किया जा रहा है। आवेदन में नंदिनी ने चेतावनी दी थी कि नौकरी नहीं मिली तो कार्यालय के सामने जान दे दूंगी और इसकी जिम्मेदारी सीडीपीओ की होगी।