स्वच्छता में रिकार्ड बनाने वाल अस्पताल अब नवजातो की मौत का भी रिकार्ड बना सकता हैं | Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। स्वच्छता के मामले में कभी प्रदेश में नंबर 1 का तमगा हासिल करने वाला शिवपुरी का जिला अस्पताल अब नवजातो की मौतो में भी रिकार्ड बनाने को अग्रसर हैं। यह अभी आए ताजा आकंडो से स्पष्ट दिख रहा हैं। शिवपुरी में स्वास्थय विभाग की बात करे तो वह स्वयं ही बीमार दिखता हैं।

शिवपुरी में मेडिकल कॉलेज के खुलने और पर्याप्त स्टॉफ भी होने के बाबजूद भी शिवपुरी के मरिजो को कोई फायदा नही हैं। मेडिकल कॉलेज के अधिकांश डॉक्टरो ने अपनी क्लीनिक खोलकर प्रैक्टिस शुरू कर दी है,अस्पताल में जाने वाले मरिजो को कोई विशेष लाभ नही हैंं।


मप्र प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के साथ शिवपुरी के जिला चिकित्सालय में व्यवस्थाएं चारों खाने चित है। यहां न तो स्टाफ है और न ही उपकरण। हर माह करोडो रूपए के बजट को ठिकाने लगाने वाले जिला चिकित्सालय की हालात यह है कि यहां बीते 3 माह से अल्ट्रासाउंट की मशीन बंद पडी है। ऐसा नहीं है कि मशीन में कोई खराबी है। बल्कि इस मशीन से अल्ट्रासाउंड करने बाले चिकित्सक अब सिविल सर्जन बन गए है।

बता दें कि यह हालात सिर्फ जिला चिकित्सालय की ही खराब नहीं बल्कि मेडीकल में भी व्यवास्था चरमाराई होई है। कॉलेज में भी रेडियोलॉजिस्ट के तीन पद है लेकिन वर्तमान में वह तीनों पद भी खाली है। जिसके चलते हालात यह है कि जिला चिकित्सालय में अल्ट्रासांउड न होने के चलते प्री मैच्योर बच्चे पैदा हो रहे है। जिनका अल्ट्रासाउंड न होने से पहले ग्रोथ पता नहीं चल पा रही है।

प्रसूता महिलाओं के लिए जिला अस्पताल शिवपुरी में सोनोग्राफी की सुविधा भी तीन महीने से बंद पड़ी है। बीते साल 2019 में 856 बच्चे मरे हुए पैदा हुए हैं और 1580 बच्चे कम वजन केे जन्मे हैं। मातृ एवं शिशु रोग विशेषज्ञों पर सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। लेकिन शिवपुरी जिले के सरकारी अस्पतालों में प्रसूताओं को अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं मिल पा रही है।

महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार हर दिन 2 से 3 बच्चे मरे पैदा हो रहे हैं। जबकि हर दिन 4 से 5 बच्चे कम वजन के जन्मते हैं। जिला अस्पताल शिवपुरी में दो सोनोग्राफी मशीनें हैं, जिनमें से एक पर प्रसव पूर्व जांचें की जाती हैं और दूसरी मेटरनिटी में लगी है।

जिला अस्पताल के एक मात्र रेडियोलॉजिस्ट डॉ. एमएल अग्रवाल 16 अक्टूबर से सिविल सर्जन बन गए हैं। इससे सोनोग्राफी मशाीन चलाने वाला कोई नहीं है। मेटरनिटी में एकमात्र अल्ट्रासाउंड मशीन है, जो सिर्फ प्रसव के लिए भर्ती प्रसूताओं के लिए उपयोग में लाई जा रही है। प्रसूताओं की नौ माह में तीन अल्ट्रा सोनोग्राफी जरूरी है।

शिवपुरी में मेडिकल कॉलेज खुल जाने के बाद भी रेडियोलॉजिस्ट के पद खाली हैं। जबकि मेडिकल कॉलेज संचालित हुए एक साल होने जा रहा है। अल्ट्रा सोनोग्राफी की समस्या ग्रामीण महिलाओं के साथ आ रही है। बीते साल में मरे हुए 856 बच्चे पैदा होने का आंकड़ा चौंकाने वाला है।

जुलाई में मरे हुए बच्चों की संख्या 107 तक पहुंच चुकी है। कांग्रेस संगठन और विधायकों को चाहिए कि वे जिले की इस गंभीर समस्या पर ध्यान देकर जिले के मरीजों का हित करने का प्रयास करें और माननीय मुख्यमंत्री को इससे अवगत करावें।

शिकायत के बाद भी नहीं सुधरी व्यवस्थायें
सिविल सर्जन बनने के बाद डॉ अग्रवाल ने सीएमएचओ डॉ एएल शर्मा को पत्र लिख कर उक्त समस्या का समाधान करने की गुहार लगाई थी, लेकिन इन तीन महीने में रेडियोलॉजिस्ट की व्यवस्था नहीं हो पाई है। प्रसूताओं के साथ पथरी के मरीजों की भी जांच नहीं हो पा रही। अल्ट्रा सोनोग्राफी के लिए मरीजों को निजी नर्सिंग होम पर मोटी फीस चुकाकर जांच कराना पड़ रही है।

इनका कहना है
16 अक्टूबर को सिविल सर्जन का पदभार संभाल लिया था। अस्पताल प्रबंधन के कामों में व्यस्त रहने के कारण अल्ट्रा सोनोग्राफी नहीं कर पा रहे। दूसरे रेडियोलॉजिस्ट की व्यवस्था के लिए सीएमएचओ को पत्र लिख चुके हैं।
डॉ. एमएल अग्रवाल
सिविल सर्जन, जिला अस्पताल शिवपुरी

इनका कहना हैं।
जिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट की व्यवस्था के लिए डीन के साथ बैठक करेंगे। मेडिकल कॉलेज के माध्यम से रेडियोलॉजिस्ट की जल्द व्यवस्था कराएंगे। जिससे यहां आने वाले मरीजों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी।
डॉ.एएल शर्मा, सीएमएचओ शिवपुरी
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