मंगलम चुनाव: संस्था पर कब्जा रखने के लिए बदल दिया गया संस्था का बायोलॉज, यह चुनाव कैसे वैध माना जाए | Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। समाज सेवा के लिए अग्रणी संस्था मानी जाने बाली मंगलम संस्था इन दिनों चर्चा का केन्द्र बनी हुई है। क्योंकि इस संस्था में जब सदस्यों को समाजसेवा के लिए सदस्य बनाया गया था तब किसी भी प्रकार की कोई शर्त नहीं थी। लेकिन जैसे जैसे मंगलम संस्था की चुनावी प्रक्रिया का समय आया तो कुछ चुनिंदा सदस्यों ने मिलकर मंगलम संस्था के बायलोज में बदलाब कर दिया और उसमें शर्त डाल दी कि 10 साल पुराना ही सदस्य चुनाव प्रक्रिया में भाग ले सकता है।

जिसका परिणाम यह हुआ है कि बीते रोज चुनाब के लिए आवेदन आमत्रिंत किए गए। जिसमें 936 सदस्यों मेें से 484 सदस्य 10 साल पूर्व के सदस्य है। इनमें से ही 91 सदस्यों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। और 30 सदस्यों ने निर्वाचन प्रक्रिया में सदस्य बनने के लिए अपने आवेदन जमा किए। अब देखना यह है कि इस मंगलम संस्था में 936 सदस्यों में से 2 तिहाई सदस्य भी उपस्थिति नहीं हो सके। तो क्या यह चुनावी प्रक्रिया वैध मानी जाएगी।

यहां बता दे कि मंगलम संस्था शहर में समाज सेवा का काम करती है। यहां पर कुछ चुनिंदा लोगों ने संस्था पर अपना कब्जा जमा रखा है। जिसके चलते इस बार बायलोज में परिवर्तिन करते हुए चुनावी प्रक्रिया में 10 साल पुराने सदस्यों को ही चुनाव लडने का अधिकार दिया गया है। जबकि संस्था का कोई भी सदस्य चुनाव लडऩे का हकदार होता हैं।

जिसमें यह विचारणीय पहलू है कि विधानसभा चुनाव में भी यह बायलोज काम करता है कि अगर कोई प्रत्याशी तत्काल में पार्टी छोडकर दूसरी पार्टी से चुनाव लडता है। अगर वह जीत जाता है तो उसे जिस पार्टी के सिम्बल से चुनाव में उतारा गया है उसी पार्टी का वह विधायक घोषित होता है।

लेकिन यहां समाजसेवा करने के लिए ही दूसरों से प्रमाणिकता लेना पड़ेगी। जबकि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में ऐसा कहीं भी किसी भी संस्था में नियम नहीं हैं? संस्था का कोई भी सदस्य मतदान में भागीदारी निभाने का भी हकदार होता हैं। तो फिर संस्था में ऐसे कौन से लोग हैं जो नियमों में ही बदलाव कर अपना कब्जा बरकरार रखना चाहते हैं।

दिव्यांगों की सेवा के लिए बनाई गई संस्था मंगलम में शहर के समाज सेवी लोगों ने सेवाकार्य करने के उदेश्य से इस संस्था में 936 लोग सदस्य बन चुके है। और लगातार सेवा कार्य के लिए और भी सदस्य बनने के इच्छुक है। परंतु इस संस्था के सदस्यों द्धारा सदस्यता शुल्क बढाए जाने के कारण शहर के समाज सेवी लोगों ने इस संस्था से दुरियां बनाना प्रारंभ कर दी है।

लेकिन अब देखना यह है कि क्या अब यह समाज सेवी संस्था में जिस तरह से चुनावी प्रक्रिया चल रही है। चुनिंदा सदस्यों ने आनन फानन में यह निर्णय लिया है। क्या कारण है कि इस चुनाव में इसी संस्था के पूरे सदस्यों को दरकिनार किया जा रहा है। जो इस चुनाव में पूरे पर सबाल खड़े कर रहा है।

यदि नए सदस्यों के साथ इस तरह का व्यवहार रहा तो भविष्य में नए सदस्य संस्था में जुडऩे के लिए सौ बार सोचेंगे? साथ ही इस प्रक्रिया के चलते नए सदस्यों को जोडऩे में संस्था के समक्ष समस्या खड़ी हो जाएगी।

इनका कहना है

अपने लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए यह प्रक्रिया अपनाई गई है। जो पूर्णत गलत है। इसे तत्काल निरस्त कर नियम में बदलाब किया जाना चाहिए। क्योंकि जब सदस्य बनाए गए थे तब यह नहीं बताया गया कि चुनाव लडने के लिए 10 साल की सदस्यता को रखा जाएगा।
अनुराग जैन,सदस्य मंगलम संस्था

10 साल पुराना सदस्य ही समाज सेवा कर सकता है क्या नए सदस्य समाज सेवा नहीं कर सकते है ? क्या,जब पूर्व में हम जब सदस्य बने थे? तब हमको इस तरीके की जानकारी क्यों उपलब्ध नहीं कराई गई? यह बिल्कुल गलत है। इस प्रक्रिया को तत्काल निरस्त करना चाहिए
अजय शर्मा,सदस्य मंगलम संस्था

सदस्य संख्या 936 है। जिसमें से 484 सदस्य ऐसे है जिसकी सदस्यता को 10 साल से ज्यादा हो गया है। परंतु पिछले कुछ डायरेक्टर इस पात्रता में रखे गए है जिनकी सदस्यता को अभी 10 वर्ष पूरे नहीं हुए है उन्हें भी उस चुनाव में लडने का अधिकार दिया गया है यह गलत हैं। नियम सबके लिए समान होते हैं।
मुकेश जैन पत्रकार,सदस्य मंगलम संस्था

हमारी संस्था में सदस्य संख्या 936 है। जिसमें से 484 सदस्य ऐसे है जिसकी सदस्यता को 10 साल से ज्यादा हो गया है। परंतु पिछले कुछ डायरेक्टर इस पात्रता में रखे गए है जिनकी सदस्यता को अभी 10 वर्ष पूरे नहीं हुए है उन्हें भी उस चुनाव में लडने का अधिकार दिया गया है।

यह कहा तक सही है। यह सरासर मनमर्जी है। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए न तो सदस्यों को मंगलम में बुलाया गया। घर घर रजिस्टर भेजकर साईन करा लिए और नियम को पास करा लिया।
राजेन्द्र मजेजी,मंगलम संस्था सचिव