अब बोर्ड पैटर्न पर होगा 5वी और 8वीं की परीक्षाओं का वार्षिक मूल्यांकन

Bhopal Samachar
शिवपुरी। स्कूल शिक्षा मंत्री डाॅ प्रभुराम चौधरी ने मीडिया कार्यशाला में कहा कि राज्य सरकार का पूरा फोकस शिक्षा में गुणवत्ता सुधार पर केन्द्रित है। इस दिशा में लगातार नवाचार एवं सुधारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं।

एक्सपोजर विजिट

मंत्री डाॅ. चौधरी ने बताया कि गुणवत्ता में सुधार की दृष्टि से विभागीय अधिकारियो, प्राचार्यो एवं शिक्षको को स्थानीय निजी स्कूलो, दिल्ली, नोएडा एवं दक्षिण क¨रिया के स्कूलो का भ्रमण कराया गया, ताकि प्रदेश में गुणवत्ता सुधार के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा प्रणाली को लागू किया जा सके।

मूलभूत विषयो पर प्रभावी कार्यवाही

स्कूल शिक्षा मंत्री ने बताया कि विभाग द्वारा समुचित काॅपी चेकिंग व्यवस्था पर बल दिया गया है। काॅपी चेकिंग में सुधार के लिये सघन अभियान चलाया गया। राज्य एवं जिला स्तर के अधिकारियो ने स्कूलो का भ्रमण कर सुनिश्चित किया कि विद्यार्थियो की काॅपियाँ सही तरीके से चेक की जाएं। उन्होने बताया कि अभियान में लगभग 3000 विद्यालयो में शिक्षको द्वारा की जा रही काॅपी चेकिंग की जांच की गई।

काॅपी चेक नहीं करने वाले तथा करेक्शन अंकित नहीं करने वाले शिक्षको के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही भी की गई। गलती करने वाले शिक्षको की वेतन-वृद्धि रोकने और वेतन कटौती की कार्यवाही भी की गई। लापरवाही बरतने वाले शिक्षको को शोकाॅज नोटिस जारी किए गए।

खराब परीक्षा परिणाम देने वाले शिक्षको पर कार्यवाही

डाॅ. प्रभुराम चौधरी ने बताया कि तीस प्रतिशत से कम परीक्षा परिणाम देने वाले शिक्षको की दक्षता का आकलन करने के लिए परीक्षा आयोजित की गई, जिसमें 6 हजार से ज्यादा शिक्षको को शामिल किया गया। शिक्षको की दक्षता सुधार के लिए प्रशिक्षण भी आयोजित किया गया। जिन शिक्षको के परीक्षा परिणाम अच्छे नहीं रहे, उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की गई।

पालको एवं शिक्षको के मध्य संवाद

मंत्री डाॅ. चौधरी ने जानकारी दी कि अभिभावको एवं शिक्षको के मध्य संवाद स्थापित करने के लिए नियमित पालक-शिक्षक बैठक (पीटीएम) की व्यवस्था की गई। इस बैठक में छात्र की प्रोफाइलिंग, दक्षता उन्नयन वर्क बुक, प्रतिभा-पर्व परिणाम, ब्रिज-कोर्स और अर्द्धवार्षिक परीक्षा पर शिक्षको एवं अभिभावको के मध्य चर्चा हुई। इन बैठको में लगभग 40 लाख अभिभावको ने भाग लिया। इसके अलावा, बाल दिवस पर 'प्रिय अभिभावक' नाम से एक पत्र भी अभिभावको को भेजा गया, जिसमें छात्र-छात्राओ की गुणवत्ता और दक्षता में सुधार के लिए उनकी पढ़ाई पर ध्यान देने संबंधी अपील की गई।

बोर्ड पैटर्न पर वार्षिक परीक्षा

राज्य शासन द्वारा वर्तमान अकादमिक सत्र से कक्षा 5वीं और 8वीं के बच्चो का बोर्ड पैटर्न पर वार्षिक मूल्यांकन किये जाने का निर्णय लिया गया है। कक्षा 5वीं और 8वीं की परीक्षा में पास होने के लिए विद्यार्थियो को 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करना होगे। ऐसा न होने पर 2 माह बाद पुनः परीक्षा ली जाएगी।

शिक्षको को प्रोत्साहन

डाॅ. प्रभुराम चौधरी ने बताया कि प्रदेश में 'वाॅल आफ फेम' नाम से सम्मान योजना प्रारंभ की गई है। यह योजना कक्षा तीसरी से आठवीं तक के विद्यार्थियो में बुनियादी दक्षता के उन्नयन के लिए शिक्षको और शालाओ द्वारा किये जा रहे प्रयासो को सम्मान एवं प्रोत्साहन देने के लिए प्रारंभ की गई है। इसके अन्तर्गत तीन श्रेणियां कांस्य, रजत एवं स्वर्ण चैम्पियन शामिल हैं। यह बेसलाईन/मिडिल लाईन/एण्ड लाईन टेस्ट में बुनियादी दक्षता प्राप्त करने वाले विद्यार्थियो  के प्रतिशत पर आधारित है। इस योजना के अन्तर्गत इस वर्ष प्रदेश में 851 स्वर्ण चैम्पियन, 2187 रजत चैम्पियन और 4566 कांस्य चैम्पियन प्रमाण-पत्र सहित कुल 7600 विद्यालयों को अवार्ड प्रदान किए गए हैं।

शिक्षकों के आनलाइन स्थानांतरण

इस वर्ष पारदर्शी प्रक्रिया के तहत शिक्षको के आनलाइन स्थानांतरण किये गए। इस व्यवस्था से लगभग 35 हजार शिक्षक मनचाही जगह पर पदस्थापित हुए।

यूथ क्लब

विद्यार्थियो में वैज्ञानिक अभिरुचि, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति चेतना उत्पन्न करने तथा सांस्कृतिक, बौद्धिक, खेलकूद, कला एवं हस्तशिल्प के क्षेत्र में कौशल एवं रुचि को प्रोत्साहित करने का अवसर प्रदान करने के प्रयास किये गए हैं। उन्होने बताया कि विद्यार्थियो को स्कूल के समय के बाद विभिन्न गतिविधियो में संलग्न करने के लिए सभी माध्यमिक विद्यालयो में विज्ञान मित्र क्लब और सभी प्राथमिक विद्यालयों में यूथ एवं ईको क्लब का गठन किया गया है।

शैक्षिक संवाद

स्कूल शिक्षा मंत्री ने बताया कि पीयर लर्निंग के तहत शिक्षको के कक्षा-शिक्षण अनुभवो और समस्याओ पर विचारो के आदान-प्रदान एवं समाधान के लिए संकुल स्तर पर प्रतिमाह के अंतिम सप्ताह में एक दिन शैक्षिक संवाद आयोजित किया जा रहा है। इसमें शिक्षक अपने विषय एवं कक्षाओ की उपलब्धियों और समस्याओ पर विचार-विमर्श कर समाधान प्राप्त करते हैं।

एनसीईआरटी पाठ्यक्रम

मंत्री डाॅ. चौधरी ने जानकारी दी कि विद्यार्थियो को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओ में बेहतर प्रदर्शन करने योग्य बनाने के उद्देश्य से प्रदेश में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू किया गया है। सत्र 2019-20 में कक्षा 6वीं से 10वीं तक सामाजिक विज्ञान और कक्षा 11वीं में कला संकाय की एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू कर दिया गया है। वर्ष 2021-22 तक क्रमिक चरणों में सभी विद्यालयों में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के सभी विषयों में यह पाठ्यक्रम लागू कर दिया जाएगा।

गरीब बच्चों का प्रायवेट स्कूल में प्रवेश

उन्होने बताया कि निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्रदेश के प्रायवेट स्कूलो की प्रवेशित कक्षा में कमजोर वर्ग के बच्चो के लिये 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित कर लगभग 12 लाख से अधिक बच्चों का निःशुल्क प्रवेश करवाया गया है। डाॅ. चौधरी ने कहा कि शिक्षको की कमी को भी क्रमवार रूप से पूरा किया जा रहा है। उच्च माध्यमिक शिक्षक एवं माध्यमिक शिक्षक वर्ग के लिए पात्रता परीक्षा आयोजित की गई है। इसमें लगभग 22 हजार शिक्षको की शीघ्र ही नियुक्ति की जाएगी।

दक्षता-सुधार

स्कूल शिक्षा मंत्री ने बताया कि कक्षा 8वीं एवं 9वीं में प्रवेशित विद्यार्थियो की दक्षता सुधार के लिए कक्षा 9वीं में प्रवेशित सभी विद्यार्थियो के लिए ब्रिज कोर्स चलाए जा रहे हैं, जिसमें हिन्दी, अंग्रेजी एवं गणित की पढ़ाई कराई जा रही है। इसके लिए लगभग 20 हजार शिक्षक तैनात किये गए हैं।

एक परिसर-एक शाला

डाॅ. प्रभुराम चौधरी ने जानकारी दी कि स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा एक ही परिसर में पृथक-पृथक इकाई में संचालित विद्यालयों का एकीकरण किया गया है। इससे एक परिसर की सभी शालाएँ एक यूनिट की तरह संचालित की जा रही हैं। इससे एक ही परिसर में कक्षावार एवं विषयवार शिक्षको की उपलब्धता बढ़ेगी। विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को दृष्टिगत रखते हुए गुणवत्ता में वृद्धि होगी। उन्होने बताया कि लगभग 16 हजार परिसरों में स्थित 35 हजार शालाओ को एक परिसर-एक शाला के रूप में चिन्हित कर इनका विलय किया गया है।

स्टीम काॅन्क्लेव

मंत्री डाॅ. चौधरी ने बताया कि विद्यार्थियों को 21वीं सदी के हिसाब से शिक्षित करने के मकसद से क्रिएटिविटी, क्रिटिकल एनालिसिस, को लेबोरेटिव लर्निंग, कम्युनिकेशन आदि स्किल विकसित करने की दृष्टि से स्टीम आधारित शिक्षा पद्धति को लागू किया जाएगा। इसके संबंध में विमर्श करने के लिए विगत 30 एवं 31 अक्टूबर को दो दिवसीय स्टीम काॅन्क्लेव आयोजित की गई, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर के विषय-विशेषज्ञो, शिक्षा से जुड़े संस्थानो, प्रदेश के शासकीय एवं अशासकीय स्कूलों के प्रतिनिधि एवं शिक्षको ने भाग लिया।

कक्षा साथी एप से विद्यार्थियों का रियल टाइम मूल्यांकन

स्कूल शिक्षा मंत्री ने बताया कि पायलेट परियोजना में प्रदेश के 13 विद्यालयो में 'कक्षा-साथी' एप के माध्यम से बच्चो को  पढ़ाया जा रहा है। इससे विद्यार्थियों का रियल टाइम मूल्यांकन किया जा सकेगा। इसमें भोपाल जिले के 8 एवं रायसेन जिले के 5 विद्यालयों में 'कक्षा-साथी' एप से अध्यापन प्रारंभ किया गया है।

डाॅ. चौधरी ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश को देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में लाने के लिए आधारभूत संरचना और संसाधनों में सुधार के साथ शिक्षको की कमी को दूर करने और शालाओ का सशक्तिकरण कर उन्हें उच्च गुणवत्तायुक्त संस्थानो में विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

डाॅ. चौधरी ने कहा कि एलीमेंट्री एजुकेशन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, क्योकि प्री-प्रायमरी शिक्षा बच्चो की संज्ञानात्मक, मानसिक और शारीरिक क्षमताओ को सुनिश्चित करती है। इससे प्रारंभ से ही विद्यार्थियो में शिक्षा की नींव मजबूत होती है। उन्होने बताया कि 5 जिलो छिन्दवाड़ा, भोपाल, सागर, शहडोल एवं सीहोर के 15 विद्यालयो में प्री-प्रायमरी शिक्षा के लिये पायलट प्रोजेक्ट क्रियान्वित किया जा रहा है। इसे आगे वृहद् रूप में लागू किया जाएगा।
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