शिवपुरी। मप्र की राजनीति में सबसे बडी खबर कि क्या होगा ग्वालियर राजघराने के महराजा का,यह सवाल मप्र की राजनीति में आज सबसे उपर हैं, कांग्रेस-भाजपा और आम जन भी इस मुददे पर नजर रख रहे हैं कि क्या सिंधिया MPPCC के अध्यक्ष बन पाऐंगें। इस मामले को लेकर ज्योतिषियो ने भी नजर रखनी शुरू कर दी और कुछ गणित भी निकाले हैंं।
भारत की ज्यातिष कहती हैं कि ग्रह ही आदमी के मालिक होते है चाहे वह राजा हो या रंक, ग्रह की चालो से ही आदमी का भविष्य बनता और बिगडता हैं। गूगल पर मोजूद कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव ग्वालियर राजघराने के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया की जन्म कुंडली के ग्रह भी इस मामले में कुछ बोल रहे हैं। शिवपुरी के युवा ज्योतिषाचार्य पंडित विकासदीप शर्मा ने इस कुंडली का अध्यन कर कुछ गणित निकाला हैं।
प्ंडित विकासदीप कहते हैं कि वर्तमान को देखे तो शनि में राहु अंतर्दशा के प्रभाव से ज्यादा परेशानी है, लेकिन वक्री शनिदेव 30 अप्रैल 2019 से 19 सितंबर 2019 को मार्गी होते ही अचानक अप्रत्याशित लाभ प्रदान करेंगे। 1 जनवरी 1971 को सुबह 9 बजकर 40 मिनट पर मुंबई में पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म हुआ। मकर लग्न में इनकी कुंडली के दशम भाव में मंगल, तुला राशि में स्थित है।
इस भाव में मंगल की स्थिति होने पर लग्न को उच्च देखने के कारण कुल दीपक योग बनता है। सिंधिया का प्रभाव अन्य राजनेताओं की अपेक्षा कहीं अधिक है। ज्योतिरादित्य को जनता भी काफी पंसद करती है, वहीं पार्टी के टॉप लीडर भी पसंद करते हैं। किसी की भी कुंडली में दशम भाव राजनीति का होता है, वर्तमान ग्रहों की स्थिति देखने के लिए चन्द्र कुंडली को देखा जाता है।
वर्तमान में शनिदेव अप्रैल 2019 से वक्री होकर 19 सितंबर 2019 तक प्रभावी है। जन्म कुंडली में भी वर्तमान में 2 सितंबर 2018 से 9 जुलाई 2021 तक शनि में राहु अंतर्दशा है। इसमें भी बहुत गहराई से देखा जाए तो 24 जून 2019 से 5 दिसंबर 2019 तक शनि, राहु में शनि की अंतर्दशा ज्यादा खराब है।
इसके बाद 5 दिसंबर 2019 से जैसे ही गुरु की प्रत्यंतर दंशा आएगी मान, सम्मान, वैभव दिलाएगी। कुंडली में शनि चतुर्थ भाव में स्थित है, जो दशमस्थ मंगल के साथ मिलकर उनकी कुंडली में अमात्य योग का निर्माण कर रहा है। जन्मपत्रिका में शनि मंगल जहां शुभ संबंध बना रहे हैं। वहीं लग्न स्थान को देख भी रहे हैं।
ग्रहों की इस स्थिति से इन्हें जनता में सम्मान और लोकप्रियता हासिल होने का संकेत मिलता है। सिंधिया की कुंडली में कई राजयोग हैं। इनकी कुंडली के बारहवें भाव में सूर्य और बुध की युति है, जो बुधादित्य योग तथा विपरीत राजयोग का निर्माण कर रहे हैं। तुला राशि में शनि उच्च का होता है, इस राशि में शनि की स्थिति के कारण नीच भंग राजयोग भी बन रहा है।
नवमांश कुंडली में लग्न वर्गोत्तम है। इसके साथ ही मेष राशि का मंगल रूचक योग बना रहा है और शनि योग का निर्माण कर रहा है। कुंडली में इन राजयोगों से स्पष्ट है, कि ज्योतिरादित्य अपने पिता के समान जनाधार प्राप्त करने में सफल हुए और इनका राजनैतिक जीवन सफल रहा है।
कुल मिलाकर आमतौर पर ग्रह जिस भाव को देखते हैं, उस भाव पर शुभ प्रभाव डालते हैं। भाव का स्वामी अगर अपने घर में हो या उसे देखता है, तो उस भाव के फल में वृद्धि होती है और व्यक्ति को इसका लाभ भी मिलता है। सिंधिया की कुंडली में ग्रहों की स्थिति भी कुछ इसी प्रकार है।
इनकी कुंडली में चतुर्थ भाव का स्वामी मंगल चतुर्थ भाव को देख रहा है।शुक्र जो पंचम भाव का स्वामी है वह पंचम भाव को देख रहा है।छठे भाव का स्वामी भी शुक्र है जो इस भाव पर अपनी दृष्टि डाल रहा है।लग्न के स्वामी शनि और पराक्रम के स्वामी बृहस्पति भी अपने भाव पर शुभ दृष्टि डाल रहे हैं।
इस श्रेष्ठ स्थिति के कारण ज्योतिरादित्य को राजनीति में कामयाबी का सफर तय करना आसन होगा। जनता के बीच इनकी गहरी पैठ होगी। राजनीति में अपने पिता के समान ही राजसुख भोगते रहेंगे।
