ज्योतिरादित्य सिंधिया को पीसीसी प्रसिटेंड बनाने शिवपुरी से सुलगे 7 सवाल,सवाल खडा करेंगें बवाल

Bhopal Samachar
Ex-Rey @ Lalit Mudgal / शिवपुरी। वर्तमान समय में प्रदेश कांग्रेस के लिए संकट की घडी है। सरकार आरोपो ओर प्रत्यारोपो की आग से घिरी हैं। मंत्री अपनी ही सरकार को घेर रहे है तो कांग्रेसी अपने ही सरकार के मंत्री के पूतले को आग के हवाले कर रहे हैंं। तो दूसरी ओर ज्योतिबाबू के समर्थको में सिंधिया को पीसीसी प्रसिटेंड नही बनाए जाने के कारण दिलो में आग सुलग रही हैं।आईए कांग्रेस में लगी इस आग का एक्सरे करते हैं कही ये आग कांग्रेस संगठन और सत्ता को भस्म न कर जाए।  


आज शहर मे चर्चा का विषय बना कांग्रेस अध्यक्ष शैलेंद्र टेड़िया के नेतृत्व में माधव चौक चौराहे पर टांगे गए पोस्टर का। इस पोस्टर में सिंधिया समर्थको ने प्रदेश के नाथ कमलनाथ से सुलगते हुए 7 सवाल पूछे हैं। बताया गया हैं कि उक्त सवालो को सीएम को भी फैक्स किए है।

यह पूछे सवाल
01 क्या 2019 का विधानसभा चुनाव ज्योतिरादित्य के नेतृत्व में नहीं लड़ा गया
02 क्या विधानसभा चुनावों में अबकी बार सिंधिया सरकार का नारा नहीं दिया गया
03 क्या पिछले 5 वर्षों से मध्यप्रदेश में सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाने की मांग नहीं उठ रही है
04 क्या सिंधिया जी ऊर्जावान कद्दावर नेता नहीं है
05 क्या आपको मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष बनाने में साथी की भूमिका नहीं निभाई
06 क्या सिंधिया शीर्ष नेतृत्व को अल्टीमेटम दे सकते हैं नहीं यह सिंधिया को कमजोर करने की साजिश है
07 क्या आज आपका दायित्व नहीं है 96 घंटे से मध्य प्रदेश कांग्रेस का वातावरण ठीक नहीं है 6 सेकंड में इस प्रकरण को ठीक कर सकते है

इन सवालो से सिंधिया समर्थको ने वह पूछा है जो सत्य हैं। भाजपा ने भी प्रदेश के चुनावो में महाराज पर ही बार किया था। यह सत्य है कि कांग्रेस के इस महाराजा रूपी चेहरे से ही भाजपा डरी थी। ये सवाल सत्य हैं। सरकार बनवाने में सिंधिया की निर्णायक भूमिका थी। अब यह सवाल पूरे प्रदेश में सिंधिया समर्थक कांग्रेसी नेताओ के दिलो में सुलग रहे हैं।

राष्ट्रीय नेतृत्व इन सवालो की आग को किस तहर बुझाता हैं यह देखने का विषय हैं, इन सवालो ने कांग्रेस में अंदरूनी तोर पर आग तो लगा ही दी हैं। कही यह आग सिंधिया समर्थको के दिलो से निकल कर कांग्रेस में नही लग जाए।

इस मामले में अपने राम का कहना हैं कि सिंधिया न प्रदेश अध्यक्ष पद की मांग करी हो या न करी हो। कांग्रेस छोडने की धमकी दी हो या न दी हो,लेकिन मीडिया ने यही महौल बना दिया। अब लडाई सिंधिया की साख की हो गई हैं,अगर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नही बने तो उनके समर्थको में यह संदेश जा सकता हैं कि नाम ही बडा है काम बडा नही होता है।

समर्थक टूट सकते हैं। अगर सिंधिया ने कांग्रेेस का दामन छोड दिया तो सरकार गिर सकती हैं ओर सगठन भी दो फाड हो जाऐगा ओर यह बात प्रदेश कांग्रेस में आग लगने से कम नही हैं।
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