भाग्य ने मुझे दिया है, मैं लोगों को दे रहा हूं: THE STORY OF HARGYAN PRAJAPATI

Bhopal Samachar
शिवपुरी। यह एक ऐसे पल्लेदार की कहानी हैं, जिसने शून्य से शिखर तक सफर परिश्रम के साथ किस्मत पर सवार होकर तय किया हैं यह कहानी हमे तो प्रेरणा देगी साथ में ऐसे इंसान के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत का काम करेंगी जो अपनी पहली लडाई गरीबी से लड रहा हैं।

हम बात कर रहे हैं हरज्ञान प्रजापति की। आईए हम पहले पूरा परिचय कर ले। नाम हरज्ञान प्रजापति पुत्र स्व:श्री किशन सिंह प्रजापति गांव रायचंद खेडी हाल निवासी शिवपुरी गांव से जब शिवपुरी आए तो कार्य तो मजदूरी करना, अब राष्ट्रीय प्रजापति समाज के कार्यकारी अध्यक्ष, आरएसएस के सक्रिय कार्यकर्ता, सेवाभारती के सहरिया वनवासी बालक छात्रावास के अध्यक्ष जो फतेहपुर शिवपुरी में स्थित हैं, भाजपा नेताओ से करीबी संबंध,शिवपुरी की विधायक एंव मप्र की पूर्व कैबीनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया से करीबी रिश्ता, अब व्यवसाय नागरिक आर्पूति निगम में ट्रांसपोटेशन की ठेकेदारी करना।

हरज्ञान प्रजापति ने हमारी संवाददाता कंचन सोनी से बातचीत करते हुए कहा कि जब मैं हमारे गांव रायचंद खेडी में रहता था पिताजी ओर मां सहित 6 लोगो का परिवार था,पिताजी की सिचाई विभाग में टाईम किपर की नौकरी करते थे वेतन इतना था कि हमारा गुजारा नही हो पाता था,पिताजी सुबह मिटटी के बर्तन बनाकर नौकरी करने जाया करते थे।

पूरे घर का खर्च जब चलता था जब हम पिताजी के नोकरी के अतिरिकत सब मजदूरी करने जाया करते थे,मैं गांव से शिवुपरी मंडी में हम्माली करने आता था,गरीबी को करीब से देखा था या यू कह लो कि गरीबी को मैने जिया था,मै मजदूरी कर शहर से गांव साईकल किराए जाया करता था तो मैरा सपना था कि मैं अपनी साईकल खरीदू।

मैने सालो अपनी पीठ पर बोरी रखकर गाडिया भरी हैं मेरी पत्नि ने खेतो में जाकर घास कटा,गरीबी क्या होती। मेरे जीवन में मेरे गुरू आए ओपी शर्मा आए जो अधिकारी थे,उन्होने मुझे आगे बढने का रास्ता बताया मैने मेहनत की ओर किस्मत ने मुझे ईतना दिया कि मैने सोचा ही नही था।

समाज सेवा का विचार मन में कैसे आया इस प्रश्न पर मैने एक दिन 12 साल का लडका मजदूरी करते देखा वह अपने से ज्यादा वजन उठा रहा था,मैने उससे जाकर पूछा तो उसने बताया कि मां-बाप नही है इस कारण मजदूरी करनी पड रही हैं। उस दिन से मैने सोचा कि भगवान में सब कुछ दिया हैं अब मुझे भी कुछ लोगो के लिए भी करना चाहिए।

उस दिन से मैने लोगो की मदद करना शुरू कर दी। किसी गरीब को दवा दिलवाने में मुझे सबसे ज्यादा संतोष होता था। मैने हमारे समाज के गरीब कन्याओं के हाथ पीले कराने का संकल्प मन में लिया, इस कारण मैने प्रजापति समाज के सम्मेलन कराने शुरू कर दिए पिछले 8 सालो से प्रजापति समाज का सम्मेलन निर्वाध रूप से शिवपुरी शहर में हो रहा हैं और अभी तक 400 कन्याओ के इसमें हाथ पीले हो चुके हैं।

अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने में आए संघर्ष परेशानी के विषय में कहा कि संघर्ष तो मैने पैदा होने से अपने बच्चे होने तक किया हैं। समाज को एकत्रित कर सम्मेलन कराने में मुझे कई परेशानी आई,लेकिन ईश्वर की कृपा से सब काम बनते चले गए।

लो लोग गरीबी से लड रहे है ओर अपने सपनो को प्राप्त करने की सोच रखते हैं ऐसे लोगो को संदेश देते हुए हरज्ञान प्रजापति ने कहा कि वे सबसे पहले नशे से दूर रहे,क्यो कि मजदूर का सबसे बडा दुश्मन गरीबी नही नशा हैं वह अपनी अधिकतर कमाई नशे में खर्च कर देता हैं। इस कारण वह बचत नही कर पाता हैं।

आदमी कितना भी बडा हो जाए पर वह यह नही भूले कि मैं क्या था,अपनी औकात हमेशा याद रखे,किसी व्यक्ति ने अगर आपकी मदद की है तो उसका एहसान कभी न भूले,सभी को उनकी सहयता के बारे में बताए जिससे वह आपकी और मदद करेंगा।

हरज्ञान प्रजापति ने अपनी सफलता का श्रेय अपने गुरू ओपी शर्मा को दिया कि जीवन की दिशा और दशा उनके सहयोग और उनके हिसाब से चलने से सुधरी। भाग्य पर या किस्मत पर विश्वास करते हो इस प्रशन के जबाब में कहा कि दोनो पर मेरा ईश्वर पर अटूट विश्वास हैं,मेरे ईश्वर ने ही मेरे भागय का निर्माण किया हैं और ईश्वर ही आपको सही कर्म करने का रास्ता दिखाता हैं। मजदूरी तो मैने तो ठेकेदारी करने के 6 साल बाद तक की हैं।

हरज्ञान प्रजापति 8वी क्लास तक पढे हैं,उनके बच्चे अब उच्चशिक्षा ले रहे हैंं उनसे पूछा गया कि  आज की किताबी शिक्षा और नैतिक शिक्षा में क्या अंतर हैं। हरज्ञान ने कहा कि मुझे किताबी ज्ञान तो नही हैं,लेकिन मुझे मेरे पिताजी ओर गुरू ने नैतिक शिक्षा ही दी हैं।मेरे अर्थ में हमारी महान संस्कृति के संस्कार ही नैतिक शिक्षा हैं।

हमारा रामचरित मानस कहता हैं कि परहित सरिस धर्म नहीं भाई,परपीड़ा सम नहीं अधमाई' अर्थात दूसरों की भलाई के समान अन्य कोई श्रेष्ठ धर्म नहीं है और दूसरों को कष्ट देने के जैसा अन्य कोई निम्न पाप नहीं है,यही मेरी शिक्षा हैं।
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