नियमो को खूंटी पर टांगकर स्कूल संचालकों ने अवैध हॉस्टल खोल लिए | Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। जिले भर में संचालित प्राइवेट स्कूल संचालकों द्वारा अवैध रूप से हॉस्टल का संचालन किया जा रहा है। जिसमें छात्रों के अभिभावकों को विभिन्न प्रकार के सुहाने सपने दिखाकर छात्रों को एक मोटी रकम लेकर भर्ती तो कर लिया जाता है। हॉस्टल में छात्र के भर्ती हो जाने पर उनका आर्थिक शोषण तो किया ही जाता है साथ ही उन्हें सुविधाओं के नाम पर महज खाना पूर्ति की जा रही है।

जिला मुख्यालय पर ही दर्जनों विद्यालयों में शासकीय स्वीकृति लिए बिना ही हॉस्टलों का संचालन किया जा रहा हैं। एक हॉलनुमा कमरे के अंदर पलंग डाल दिए गए हैं। जहां पर न तो पंखे ही पर्याप्त मात्रा में हैं और उसमें पर्याप्त प्रकाश एवं हवा के लिए खिडक़ी दरवाजे तक नहीं हैं।

साथ ही शासकीय नियमों के अनुसार अग्निशमन यंत्र, फस्र्टएड बॉक्स, नहाने एवं शौच जाने की व्यवस्था, स्टडी हॉल, मीनू के अनुसार भोजन व्यवस्था नहीं, खेल का मैदान तक की सुविधा नहीं है। लेकिन फिर भी जिला मुख्यालय पर दर्जनों निजी विद्यालयों द्वारा हॉस्टलों का संचालन किया जा रहा हैं। जिसकी जानकारी जिला प्रशासन के साथ-साथ शिक्षा अधिकारी तक को होने के बाबजूद भी ऐसे हॉस्टल संचालकों के विरूद्ध कोई ठोस कार्यवाही आज तक नहीं की गई।

जबकि हॉस्टल में रहने वाले छात्रों की पूर्ण जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी की होती हैं। यदि खुदा न खास्ते भविष्य में कोई दुर्घटना घटित होती हैं तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? जबकि छात्रों के पालकों से विद्यालय संचालकों द्वारा 40 से 50 हजार रूपए प्रतिमाह बसूल किए जा रहे हैं।

शहर में यदि नजर दौड़ाई जाए तो कत्था मिल के सामने, सर्किट हाउस रोड़, फतेहपुर, मनियर, नवाब साहब रोड़, होटल ग्रीनब्यू रोड़, पोहरी रोड़, झांसी रोड़, झीगुरा, सर्कूलर रोड़ सहित विभिन्न स्थानों पर स्कूल संचालकों द्वारा अधिक से अधिक पैसा कमाने के उद्देश्य से छात्रावासों का संचालन किया जा रहा हैं। जागरूक नागरिकों ने जिला प्रशासन से शहर भर में संचालित अवैध छात्रावासों के विरूद्ध कार्यवाही करने की मांग की हैं।

शहर संचालित हॉस्टल का क्यों नहीं करते अधिकारी निरीक्षण
शहर में संचालित निजी विद्यालय के संचालकों द्वारा शासन की स्वीकृति के बगैर हॉस्टलों का संचालन किया जा रहा हैं। जिसमें विद्यालय संचालकों द्वारा अपने कर्मचारियों की टीम गांव-गांव भेजकर अपने-अपने विद्यालय में विभिन्न प्रकार की सुविधाओं के सपने अभिभावकों को दिखाकर आकर्षित किया जाता हैं।

विद्यालय संचालकों द्वारा फैलाए मकड़ जाल में अभिभावक फंसकर अपने बच्चों को हॉस्टल में भर्ती करा देते हैं। जिनमें हमेशा ही सुविधाओं का अभाव बना रहता हैं, लेकिन इसके बाबजूद भी जिला शिक्षा अधिकारी, बीआरसी द्वारा अवैध रूप से चल रही इन हॉस्टलों का आज तक निरीक्षण नहीं किया गया। जिससे यह तथ्य स्पष्ट होता हैं कि बिना शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मौन स्वीकृति है। जिससे ये विद्यालय संचालक वेखौफ होकर हॉस्टलों का संचालन कर रहे हैं।

मीनू के अनुसार नहीं दिया जाता पौष्टिक भोजन
शहर भर में निजी विद्यालयों द्वारा संचालित छात्रावासों में अभिभावकों को बताए गए मीनू के अनुसार पौष्टिक भोजन नहीं दिया जाता है। जबकि छात्रों के अभिभावकों से हजारों रूपया पौष्टिक भोजन के नाम पर बसूल किया जाता है।

नियमानुसार छात्रों को सुबह का चाय नास्ता, दोपहर का भोजन व शाम का भोजन मीनू के अनुसार दिया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है। वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा इन विद्यालय संचालकों से एक मुस्त मोटी रकम लेकर इन्हें खुली छूट दे रखी है।

हॉस्टलों में खेल मैदान के साथ नहीं है आवश्यक सुविधायें
निजी विद्यालय संचालकों द्वारा संचालित छात्रावासों में खेल मैदान के साथ जो आवश्यक सुविधायें होनी चाहिए वे नहीं है। जिसमें अग्निशमन यंत्र, फस्र्टएड वॉक्स शौचालय, हवादार कमरे साथ-साथ प्रकाश एवं पंखों की व्यवस्था जैसी मूल भूत सुविधायें तक उपलब्ध नहीं है। अधिकांश विद्यालयों में खेल के मैदान तक नहीं हैं।

जिसमें खेल कर बच्चे स्वस्थ रह सकें। निजी विद्यालयों द्वारा संचालित छात्रावासों में छात्रों को गुफानुमा कमरों में रखा जा रहा है। जिससे छात्रों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। जो छात्रों के साथ उनके अभिभावकों के साथ एक तरह से छल किया जा रहा हैं।

हॉस्टलों में हादसा होने पर जिम्मेदार कौन?
निजी विद्यालय संचालकों द्वारा शासन की मान्यता के बगैर संचालित छात्रावासों में यदि कोई दु:खद हादसा घटित होता हैं तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? जबकि शहर भर में संचालित छात्रावासों में रहने वाले छात्रों की जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी की होती हैं 

लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी तो क्या किसी अन्य अधिकारी ने भी निजी विद्यालय द्वारा संचालित छात्रावासों की ओर मुंह करके भी नहीं देखा हैं कि छात्रावास किस स्थिति में संचालित किए जा रहे हैं। साथ ही इनमें रह रहे छात्र किस स्थिति में रह रहे हैं। गत माह में 11 जून 2019 को कोटा के एक छात्रावास तीसरी मंजिल पर हुई घटना जैसी यदि कोई घटना घटित होती हैं तो उसका जिम्मेदार कौन?
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