D M पीयूष माली से श्रीगणेश हुआ जिले में ​हुए 13 करोड़ रुपए घोटाला का, खरीद का अनुबंध ही नही | SHIVPURI NEWS

Bhopal Samachar
एक्सरे ललित मुदगल, शिवपुरी। जिले में हुए 13 करोड़ के चने घोटाले की अब परते उखडना शुरू हो गई हैं। इस घोटाले को अंजाम दने के लिए इसको शिवपुरी के नागरिक आपूर्ति निगम शिवपुरी की आफिस में ही पकाया गया था। आरटीआई से जानकारी के अनुसार जिले में खरीद केन्द्रो की सोसायटी ओर नान के बीच खरीद के अनुबंध नही नही हुए हैं,जानकारी मांगने पर आनन-फानन में अनुबंध किए गए हैं ओर अनुबंधो पर शिवुपरी के डीएम पीयूष माली के हस्ताक्षर है वे भी 5 जून के। मतलब जब खरीद बंद हो गई उसके बाद अनुवंध किए गए हैं,सवाल बडा है ऐसा क्यों।

जानकारी के अनुसार जिले में चने की खरीद 23 से शुरू हो गई थी। किसानो की फसल खरीदने से पूर्व नागरिक आपूर्ति निगम और सोसायटीयेा के बीच अनुबंध होता हैं,सोसायटीयो के चुनने के हिए पूरे नियम होते हैं।लेकिन जिले में हुई किसानो की खरीदी में पूरे नियमो को शिथिल करते हुए अपने हिसाब से सोसायटीयो का खरीद का काम दिया गया। याराना ऐसा सरकारी नियामो को भी खूटी पर टांग दिया गया।

जैसा कि विदित है कि जिले में लगभग 27 हजार क्विटल चना अमानक खरीदा गया हैं। कोलारस में श्रीजीबेयर हाउस में चने में सिंध की रेत मिलाते हुए एसडीएम कोलारस ने स्वयं पकडा था। चारो ओर से खबर आ रही थी कि अमानक चने की खरीद की जा रही हैं। नागरिक आपुर्ति निगम चने को अमानक नही मान रहा था इसी बीच एक खबर आ गई कि नाफेड ने जिले में खरीदा गया चना अमानक घोषित कर दिया जिससे किसानो का भुगतान रूक गया।

कुल मिलाकर जिले में चने की खरीद को लेकर लगभग 13 करोड रूपए का घोटाला पक गया। जिसकी परते अब उखडना भी शुरू हो गई हैं। आरटीआई से मिली जानकारी से लगता हैं कि उक्त घोटाले का एक सुनोयोजित तरिके से अंजाम दिया गया हैं,और इसका ताना बाना चना खरीद से पूर्व ही बुन लिया गया।

जिले में चने की खरीद 23 अप्रैल से शुरू हो गई थी,लेकिन कई सोसायटीओ का अनुबंध नान से जब हुआ जब खरीद बंद हो चुकी थी। सीधे-सीधे ये कह ले कि जिन सोसायटीओ ने चना खरीदा उन सोसायटीओ को चना खरीदने की प़ात्रता ही नही थी। जब इसकी जानकारी एक आईटीआई कार्यकर्ता को लगी तो उसने अनुबंध की कॉफी लेने का सूचना का अधिकार नागरिक आपूर्ति निगम के शिवुपरी में लगाया।

इस सूचना के अधिकार लगते ही हडबडी मच गई आनन फानन में अनुबंध तैयार किया गया। स्टाम्प पेपर पर अनुबंध होना था सादा कागज पर कर दिया गया।लेकिन एक गडबडी हो गई अनुबंध पर नान के डीएम पीयूष माली ने 5 जून की तारिख अंकित कर हस्ताक्षर कर दिए। 5 जून को जिले के सभी खरीद केन्द्रो पर चने की खरीदी बंद हो गई थी।

इस पूरे मामले में सबाल उठता हैं कि 5 जून को अनुुबंध क्यो किया गया। अनुबंध अप्रेल माह से पूर्व ही किया जाना था। ऐसा क्यो किया गया। इस मामले में अपने राम का कहना हैं कि इस घोटाले का ताना बाना चने की खरीद होने से पूर्व ही बुन लिया गया था।

उन्ही सोसायटी को खरीद दी गई जो डीएम पीयूष माली की डील पर राजी थी। इस कारण ही सोसायटीओ ने जमकर अमानक चना खरीदा,सिंध की रेत मिलाई, डील में दिए गए टारगेट को पूरा करना था। कितना टारगेट था यह तो राम जाने पर रिश्वत का पैसा पर क्विटल से तय हुआ है,इस कारण ही खुले आम अमानक चना भरा था।

लेकिन नाफेड ने बीच में आकर पूरा जमा-जमाया खेल खराब कर दिया और जिला में खरीदा गया चने को अमानक घोषित कर दिया। इस पूरे मामले में 13 करोड रूपए के भ्रष्टाचार की कहानी सामने आ रही हैं। किसानो के पैसा रूकने के कांग्रेस सरकार की किरकिरी हो रही हैं। अब देखना है कि प्रशासन इस मामले में कया कार्रवाई करता हैंं।
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