पहने रामबाबू के खौफ से बंद हुआ था पाडरखेडा स्टेशन, अब 8 लाख जमा करने के बाद भी ​अंधेरा | SHIVPURI NEWS

Bhopal Samachar
शिवपुरी। शिवपुरी मोहना के बीच रेल खंड पर केवल पाडरखेड़ा स्टेशन है। दस्यु दयाराम रामबाबू गड़रिया के खौफ से 10 साल बंद रहा। फिर जैसे तैसे स्टेशन शुरू हुआ। स्टेशन पर बिजली का संकट उसके नियमित संचालन पर सवाल बनकर खड़ा हो गया है। कई रातें यहां स्टाफ को अंधेरे में गुजारनी पड़ रही है। वहीं स्टेशन की व्यवस्थाएं अंधेरे के कारण प्रभावित हो रही हैं।

बिजली कंपनी ने करीब 3 माह पहले यहां ग्रामीण फीडर से नियमित सप्लाई देने के लिए रेल महकमे से 7 लाख 75 हजार रुपए लेकर शहरी फीडर से कनेक्शन दिया। पोल लगाए, डीपी लगाई, लाइन बिछाकर बिजली चालू की, लेकिन घटिया स्तर का काम होने से बार बार बिजली के पोल टूट रहे हैं। वे जब चाहे तब धराशायी हो जाते हैं।

बिजली की सप्लाई कई कई दिन के लिए ठप हो जाती है। स्टेशन पर तैनात अधिकारी और कर्मचारियों का कहना है कि जल्द ही यदि नियमित रूप से बिजली की सप्लाई नहीं मिली तो वे अपना तबादला करा लेंगे। यदि ऐसा हुआ तो एक बार फिर पाडरखेड़ा स्टेशन का संचालन बंद हो सकता है। एक समय दस्यु गिरोह दयाराम रामबाबू गड़रिया ने यहां से रेलवे इंजीनियर सहित गैंगमैन का अपहरण कर लिया था।

दो माह में इस तरह टूटे पोल
बीते दो महीने की बात करें तो बिजली के पोल टूटने से दो से चार दिन तक बिजली की सप्लाई बाधित होने की बात पाडरखेड़ा के अधिकारियों ने बताई। उन्होंने बताया कि 17 मई को 4 पोल टूट गए थे। इन्हें दोबारा खड़ा किया गया और दो दिन में बिजली सपलाई शुरू हुई तो फिर 23 मई को 4 पोल जमींदोज हो गए, जिससे 3 दिन बिजली नहीं आई। 18 जून को फिर से दो पोल उखड़ गए। इसके नतीजे में स्टेशन अंधेरे में 6 दिन डूबा रहा। 24 जून को लाइट आने के बाद कुछ राहत मिली, लेकिन 3 जुलाई को दो पोल टूट गए और फिर यही हाल 8 जुलाई को हुआ जब दो पोल टूटने से अंधेरे में स्टेशन रहा।

बैटरी दम तोड़ देती है
स्टेशन मास्टर धाकड़ का कहना है कि हमारे पास बिजली सप्लाई नियमित रखने के लिए बैटरी भी मौजूद हैं, लेकिन जब पोल उखड़ने से कई दिन तक बिजली नहीं आती तो बैटरी भी दम तोड़ देती हैं। बदले में जब हम टार्च का इस्तेमाल करते हैं तो वे भी साथ नहीं देती। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिजली न होने से किस तरह परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

बारिश में सांप, बिच्छू का डर
स्टेशन के कर्मचारियों का कहना है कि अब बारिश के दिन आ गए हैं। ऐसे में यदि स्टेशन अंधेरे में रहा तो सांप और बिच्छू जैसे अन्य जीव जंतु का डर सताता रहेगा। बिजली 24 घंटे मिले, इसके लिए ही महकमे ने 8 लाख खर्च किए हैं, लेकिन बिजली कंपनी के कुछ अधिकारियों की मिली भगत से ठेकेदार ने इतना घटिया काम किया है कि बिजली चाहे जब गुल हो जाती है।

इंजीनियर के अपहरण के बाद बंद हो गया था स्टेशन

डकैत दयाराम रामबाबू गड़रिया गिरोह के आतंक और उसके द्वारा रेलवे इंजीनियर सहित गैंगमैन का अपहरण करने के बाद 10 साल बंद रहा पाडरखेड़ा रेलवे स्टेशन 26 जनवरी 2018 को जैसे तैसे शुरू किया गया था, लेकिन अब एक बार फिर बिजली कंपनी की मनमानी के चलते इस स्टेशन पर ताले झूल सकते हैं, जिससे यहां से रेलगाड़ियों की क्रॉसिंग में परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

बिजली का काम करने वाली कंपनी के इंजीनियर का भी हो चुका है अपहरण

कुछ साल पहले डकैत राजेन्द्र गटटा गिरोह ने पाडरखेड़ा स्टेशन पर इलेक्ट्रिक का काम करने वाली कंपनी के इंजीनियर जयपाल खालकों जब स्टेशन पर इलेक्ट्रिक के काम का निरीक्षण करने पहुंचे थे, उसी दौरान डकैत राजेन्द्र गट्टा ने उनका अपहरण कर लिया था। इसके बाद डकैत गिरोह ने फिरौती की रकम लेने के बाद इंजीनियर को श्योपुर इलाके में छोड़ा था।

यह स्टाफ है स्टेशन पर तैनात
पाडरखेड़ा स्टेशन पर इस समय दो स्टेशन मास्टर, दो प्वाइंट मैन सहित दो आरपीएफ के जवान तैनात रहते हैं। यहां तैनात स्टाफ का कहना है कि पहले बिजली न होने के चलते परेशानी होती थी। 8 लाख देकर रेलवे ने जब शहरी फीडर से बिजली कनेक्शन ले लिया तो घटिया काम के चलते हमें बिजली नहीं मिल पा रही।

4 मालगाड़ी 10 सवारी गाड़ी हर दिन गुजरती हैं ट्रैक से

शिवपुरी ग्वालियर के बीच प्रतिदिन 4 मालगाड़ी और 10 यात्री गाड़ी चलती हैं। इनके आवागमन में पाडरखेड़ा स्टेशन अहम रोल अदा करता है। यदि जल्द ही बिजली व्यवस्था में सुधार न हुआ तो यह स्टेशन बंद हो सकता है, जिससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

यह बोले अधिकारी
पाडखेड़ा रेलवे स्टेशन पर 24 घंटे शहरी फीडर से बिजली मिले। इसके लिए रेल विभाग ने 7 लाख 75 हजार रुपए बिजली कंपनी को जमा कराए थे। उसके बाद नियमित बिजली मिलने की उम्मीद थी, लेकिन बार-बार पोल उखड़ जाते हैं, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि काम किस कदर घटिया किया गया है नतीजा हमें भुगतना पड़ रहा है। स्टेशन चाहे जब अंधेरे में डूब जाता है। कई दिन तक बिजली नहीं आती। व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं।
जीआर धाकड़, स्टेशन मास्टर पाडरखेडा। 
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