शिवपुरी। शिशु एवं बाल मृत्यु दर में कमी लाने हेतु 10 जून से 20 जुलाई तक जिले में शासन की मंशानुरूप प्रथम चरण का दस्तक अभियान शुरू किया जाएगा। इस अभियान के तहत 2 लाख 49 हजार 817 बच्चों को घर-घर जाकर परीक्षण किया जाएगा। प्रभारी कलेक्टर एवं जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एच.पी.वर्मा की अध्यक्षता में आज दस्तक अभियान की तैयारियों के संबंध में जिला स्तरीय कार्यशाला सम्पन्न हुई।
जिलाधीश कार्यालय के सभाकक्ष में आयोजित कार्यशाला में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.ए.एल.शर्मा, जिले के अनुविभागीय दण्डाधिकारी शिवपुरी अतेन्द्र गुर्जर, कोलारस आशीष तिवारी, पोहरी मुकेश सिंह, पिछोर यू.एस.सिकरवार, जिला स्वास्थ्य अधिकारी एन.एस.चौहान, डीपीएम डॉ.शीतल प्रकाश सहित दस्तक अभियान हेतु नियुक्त नोडल अधिकारी एवं खण्डचिकित्सा अधिकारी आदि उपस्थित थे।
प्रभारी कलेक्टर श्री वर्मा ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि दस्तक अभियान वर्ष में 2 बार चलने वाला अभियान है, वर्ष 2019 का यह पहला अभियान है। इस अभियान के महत्व को समझते हुए इसे सभी अधिकारी गंभीरता से लें। उन्होंने कहा कि इस अभियान के क्रियान्वयन में महिला एवं बाल विकास के मैदानी कर्मचारियों की अहम भूमिका है।
उन्होंने कहा कि इस अभियान के क्रियान्वयन हेतु 210 दलों का गठन किया गया है। श्री वर्मा ने कहा कि जिले के सभी अनुविभागीय दण्डाधिकारी, बी.एम.ओ. के समन्वय से अपने स्तर पर संबंधित अधिकारियों की बैठक आयोजित करें। इसी प्रकार जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, सरपंच एवं सचिवों की बैठक आयोजित कर दस्तक अभियान की जानकारी प्रदाय कर इस अभियान को सफल बनाने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह करें। उन्होंने बताया कि जिला मुख्यालय पर दस्तक अभियान से संबंधित कंट्रोल रूम का भी निर्धारण किया जा रहा है। ग्राम स्तर के कर्मचारियों को भी प्रशिक्षित किया जाएगा।
कार्यशाला के शुरू में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.ए.एल.शर्मा ने दस्तक अभियान के आयोजन एवं महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 10 जून से 20 जुलाई तक आयोजित दस्तक अभियान के तहत एएनएम आशा कार्यकर्ता एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से जीरो से 5 वर्ष तक के बच्चों का परीक्षण कर 7 विभिन्न प्रकार की गतिविधियां संचालित की जाएगी। जिसमें बीमार, नवजात बच्चों की पहचान करना।
पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया की पहचान कर जांच एवं उपचार हेतु रैफर करना, कुपोषित बच्चों की पहचान करना, बच्चों में गंभीर एनिमिया होने पर इसको दूर करना, बच्चों में दस्तरोग पर नियंत्रण हेतु ओआरएस के पैकेट एवं जिंक की गोलिया, गृह भेंट के दौरान देना। 09 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों को विटामिन-'ए' की खुराक देना। जन्मजात विकृतियों की पहचान करना। समूचित शिशु एवं बाल आहार पूर्ति हेतु समझाईस देना। टीकाकरण से छूटे बच्चों को टीकाकरण की जानकारी देना, आदि की जानकारी से अवगत कराना। इसके लिए शिशु कार्ययोजना तैयार की गई है। इसी कड़ी में आज जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
उन्होंने बताया कि इस अभियान के आयोजन करने का मुख्य उद्देश्य शिशु दर एवं बाल मृत्युदर में कमी लाना है। साथ ही संस्थागत प्रसव और प्रसव उपरांत स्तनपान को बढ़ावा देना है। दस्तक दल द्वारा भ्रमण उपरांत शाम को स्वास्थ्य ग्राम सभा का आयोजन करेंगे। जिसमें स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी बुलाया जाएगा।