10 प्रतिशत अधिक बढा मतदान: कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी या बनेगा जीत का नया रिकॉर्ड | SHIVPURI NEWS

Bhopal Samachar
शिवपुरी। सिंधिया परिवार की पारंपरिक सीट गुना लोकसभा में इस बार तेज गर्मी और विवाह शादी का सीजन होने के बावजूद भी अपेक्षा से कहीं अधिक तेज मतदान हुआ। इस लोकसभा क्षेत्र के मतदान के आंकड़े यदि देखें तो सर्वाधिक मतदान 2014 के लोकसभा चुनाव में हुआ था जब 60.89 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था, लेकिन इस बार मतदान का प्रतिशत आश्चर्यजनक रूप से बढ़कर 70 तक पहुंच गया। विगत चुनाव की तुलना में इस बार 2 लाख से अधिक वोट पड़े। 

लगभग 10 प्रतिशत बढ़े हुए मतदान प्रतिशत के क्या संकेत हैं? क्या अधिक मतदान कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी है और सिंधिया परिवार का यह गढ़ इस बार अधिक मतदान से ध्वस्त भी हो सकता है अथवा क्या कांग्रेस और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बार जीत का नया रिकॉर्ड बना रहे हैं। 

पिछले दो लोकसभा चुनाव के मतगणना के आंकड़ो पर यदि दृष्टिपात करें तो 2014 की तुलना में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को 2009 में 11 प्रतिशत अधिक मत प्राप्त हुए थे। 2009 में सांसद सिंधिया ने 4 लाख 13 हजार 297 मत प्राप्त कर कुल मतदान का 63.6 प्रतिशत मत प्राप्त किया था जबकि भाजपा प्रत्याशी डॉ. नरोत्तम मिश्रा महज 25.17 प्रतिशत मत प्राप्त कर उन्होंने 1 लाख 63 हजार 560 मत प्राप्त किए थे और सिंधिया लगभग ढाई लाख मतों से चुनाव जीते थे। ्र

जबकि 2014 में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को कुल मतदान के 52.94 फीसदी मत मिले थे। उन्होंने 5 लाख 17 हजार मत प्राप्त किए जबकि भाजपा प्रत्याशी जयभान सिंह पवैया ने 40.57 प्रतिशत मतों पर कब्जा कर 3 लाख 96 हजार 244 मत प्राप्त किए थे। यह आंकड़े बताना इसलिए जरूरी है क्योंकि 2014 की तुलना में 2009 में गुना संसदीय क्षेत्र में मतदान 6 प्रतिशत कम हुआ था। 

2009 में संसदीय क्षेत्र में 54 प्रतिशत मतदाताओं ने अधिक मत प्राप्त किए थे और कम मतदान का सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को फायदा हुआ था और उनकी जीत का अंतर 2 गुना से अधिक हो गया था। इसलिए 2019 में बढ़ा हुआ मतदान निश्चित रूप से कांग्रेस के लिए एक चिंता का विषय है। 

भाजपा की कम मेहनत के बाद भी मतदान प्रतिशत बढ़ा

इस चुनाव में सभी जानते हैं कि भाजपा कार्यकर्ता उस तन्मयता के साथ चुनाव में नहीं जुटे जिसके लिए उनकी पहचान है। इसका एक प्रमुख कारण तो यह है कि भाजपा हाईकमान ने सिंधिया के मुकाबले उस कद काठी का उम्मीदवार चुनाव मैदान में नहीं उतारा जो देखने में सिंधिया को टक्कर दे सके और दूसरा कारण यह है कि भाजपा की आपसी गुटबाजी के कारण पार्टी का एक बड़ा वर्ग चुनाव प्रचार से दूर रहा और जिन्होंने भी चुनाव प्रचार में अपनी सहभागिता निभाई वह भी प्रचार की अपेक्षा आपस में लडऩे में अधिक व्यस्त रहे।

पूर्व विधायक नरेंद्र बिरथरे ने भाजपा की वरिष्ठ नेत्री यशोधरा राजे पर टिप्पणी की तो पार्टी के एक प्रमुख नेता प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अजीत जैन ने उनकी सार्वजनिक रूप से छीछालेदर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। चुनावी फंड की व्यवस्थाओं से दूर भाजपा कार्यकर्ताओं के एक बड़े समूह ने भी चुनाव में दिलचस्पी नहीं दिखाई और यह भी आरोप है कि मतदान के दौरान पोलिंग बूथ कार्यकर्ता दोपहर बाद वहां से नदारद हो गए। मतदाताओं को बाहर निकालने में भी भाजपा कार्यकर्ताओं ने कोई भी रूचि नहीं दिखाई। 

सवाल यह है कि फिर क्यों बढ़ा मतदान, सुनिए कांग्रेस का पक्ष 

भाजपा की कम दिलचस्पी के बावजूद भी सवाल यह है कि मतदान प्रतिशत क्यों बढ़ा? इसके विषय में कांग्रेसियों का तर्क है कि सांसद सिंधिया ने पार्टी कार्यकर्ताओं को मतदान प्रतिशत बढ़ाने के टारगेट दिए थे। कांगे्रस के प्रदेश सचिव विजय शर्मा कहते हैं कि सिंधिया ने उन्हें मतदान प्रतिशत 82 प्रतिशत तक करने के निर्देश दिए थे और उसी निर्देश के तारतम्य में पार्टी कार्यकर्ताओं ने घर घर जाकर मतदाताओं को बाहर निकाला और उन्हें मतदान करने के लिए भेजा। श्री शर्मा का दावा है कि बढ़ा हुआ मतदान प्रतिशत कांग्रेस के लिए फायदेमंद है और सिंधिया 3 लाख से अधिक मतों से चुनाव जीतेंगे। 

केपी यादव नहीं रहे मुकाबले में, सिंधिया बर्शेज मोदी रहा पूरा चुनाव 

मतदान के दौरान जो रूझान सामने आए उससे स्पष्ट है कि गुना संसदीय क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी केपी यादव कहीं मुकाबले में नहीं थे। मतदाताओं ने उनके व्यक्तित्व के आधार पर उन्हें वोट नहीं दिए। भाजपा के पक्ष में मतदान का कारण केपी यादव की उम्मीदवारी नहीं रही। भाजपा के पक्ष में जो रूझान दिख रहा है उससे साफ है कि मतदाताओं के एक बड़े वर्ग ने राष्ट्रवाद, पुलवामा, सर्जिकल स्ट्राइक से प्रेरित होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनाने के लिए मतदान किया। ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी क्षेत्र में मोदी लहर अधिक प्रभावी रही। 

इकतरफा दिखने वाले मुकाबले से भी कांग्रेस रही नुकसान में 

राजनीति में कभी कभी जो घटनाक्रम पक्ष में दिखाई देता है वह विपरीत भी हो जाता है। गुना संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया की मजबूत उम्मीदवारी के मुकाबले भाजपा ने उनसे कद में कई गुना अधिक बौने उम्मीदवार केपी यादव को चुनाव मैदान में उतारा जिससे पहली नजर में ही यह लगने लगा कि भाजपा के लिए चुनाव जीतना एक सपने के समान होगा और चमत्कार के बिना भाजपा की मंजिल संभव नहीं है। इस लगभग इकतरफा मुकाबले के दौरान ही बसपा प्रत्याशी लोकेंद्र सिंह राजपूत ने कांग्रेस प्रत्याशी को समर्थन देकर मुकाबले को और भी एकतरफा बना दिया। लेकिन इसकी उल्टी प्रतिक्रिया हुई और सब बातें गौण हो तथा यह मुकाबला मोदी बर्शेज सिंधिया बन गया। 

कांग्रेस और भाजपा के अपने अपने दावे 

कांग्रेस के कार्यवाहक जिलाध्यक्ष राकेश गुप्ता का दावा है कि अधिक मतदान के कारण सांसद सिंधिया की जीत का अंतर पिछली बार की तुलना में दुगुने से अधिक बढ़ेगा और वह 3 लाख से अधिक मतों से जीतेंगे। श्री गुप्ता का कहना है कि जिले में सर्वाधिक लीड सिंधिया को कोलारस और पिछोर से मिलेगी तथा शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से भी वह इस बार जीतेंगे। वहीं भाजपा नेता धैर्यवर्धन शर्मा का कहना है कि भाजपा प्रत्याशी केपी यादव को इस बार बहुत अच्छे मत मिले हैं। महिलाओं और युवाओं ने उन्हें मोदी के नाम पर वोट दिया है। जब उनसे पूछा गया कि केपी यादव क्या चुनाव जीतेंगे तो उन्होंने कहा कि जीत हार का पता तो 23 मई को लगेगा, लेकिन भाजपा ने इस बार कांग्रेस के दांत अवश्य खट्टे कर दिए हैं। 

अशोकनगर, चंदेरी और मुंगावली में हुआ अधिक मतदान 

भाजपा प्रत्याशी केपी यादव के प्रभाव वाले अशोकनगर जिले की तीन विधानसभा सीटों पर अन्य चार विधानसभाओं सीटों की तुलना में अधिक मतदान हुआ। अशोकनगर जिले की सीटों के अलावा सिर्फ गुना जिले की बम्हौरी विधानसभा सीट पर 74.35 प्रतिशत मतदान हुआ। अशोकनगर में 72.67, चंदेरी में 71.20 और मुंगावली में 70.32 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। शिवपुरी जिले की पिछोर विधानसभा क्षेत्र में 70.43 प्रतिशत, कोलारस में 68.27 प्रतिशत और शिवपुरी में 65.69 प्रतिशत मतदान हुआ। गुना विधानसभा क्षेत्र में 68.15 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। 
अशोक कोचेटा,लेखक शिवपुरी के बरिष्ठ पत्रकार है
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