Shivpuri News: कोलारस में स्कूलो की मान्यता में अधिकारियों का काला खेल, सुविधा केवल प्रचार में

Bhopal Samachar

कोलारस। कोलारस नगर में नियमों को तोड़कर स्कूलों का संचालन किया जा रहा है। कोलारस ब्लॉक में गली कूचों में चाय-पान की दुकानों जैसे स्कूल खोले गए हैं, स्कूलों में सुविधा के नाम बैनर पोस्टर और पर्चो में दिखाई देती है लेकिन स्कूल कैंपस में नहीं,इन स्कूलों पर लगातार सुविधाओं के नाम पर भारी भरकम फीस वसूली जाती है। शिक्षा विभाग ने भी रेवड़ी की तरह स्कूलों को मान्यता प्रदान कर दी है।

कोलारस नगरीय क्षेत्र में ग्रामीण अंचलों से अपने बच्चों को शिक्षा ग्रहण कराने आए पालक स्वयं को लुटता हुआ देखने को विवश हैं। शासकीय स्कूलों की व्यवस्थाएं किसी से छिपी नहीं हैं। यहाँ विद्यार्थियों के नाम पर खाली कमरे दिखाई दे रहे हैं। जिसका लाभ प्राइवेट स्कूल संचालक खुलकर उठा रहे हैं। कोलारस नगरीय क्षेत्र में संचालित 2 दर्जन से अधिक निजी स्कूलों का संचालन हो रहा है। उक्त सभी स्कूलों के निरीक्षण की जिम्मेदारी बीईओ और बीआरसी की है। उन्हें नियमित रूप से इन प्राइवेट स्कूलों का निरीक्षण कर ये सुनिश्चित करना है कि सभी निजी विद्यालय शासकीय नियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं।

किंतु निजी विधालय संचालकों को बीईओ और बीआरसी के निरीक्षण का कोई भय नहीं है।  जगतपुर एरिया में संचालित अधिकतर निजी स्कूल नियम विरुद्ध रूप से संचालित हो रहे हैं। कई विधालय किराए के कमरों में संचालित हैं तो कई स्कूलों के पास अपना खेल मैदान जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। कोलारस नगरीय क्षेत्र में संचालित आधा दर्जन निजी स्कूल अपनी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए जाने जाते हैं। लेकिन इनके पास भी डीएड और बीएड मान्यता प्राप्त शिक्षक नहीं है। न ही इनके पास कोई खेल शिक्षक है।

यही ऊंची चमक वाले लगभग आधा दर्जन विद्यालय अभिभावकों का भरपूर आर्थिक शोषण कर रहे हैं। किताबों और गणवेश के नाम पर बडी-बडी राशि अभिभावकों से ली जा रही है और बसों के नाम पर भी मोटा किराया वसूला जा रहा है। किंतु स्कूली बसों की हालत देखी जाए तो अधिकांश के पास बीमा और फिटनेस के साथ टैक्सी परमिट वाहन मौजूद नहीं है।

बीईओ और बीआरसी का कागजी निरीक्षण जांच की जद में
बीईओ राहुल भार्गव और बीआरसी केपी जैन को इस कारण कोलारस में नियुक्त किया गया था कि निजी स्कूलों द्वारा की जा रही आर्थिक लूट से अभिभावकों को मुक्त कराएं और निजी स्कूलों द्वारा जो कागजी बाडा शिक्षा विभाग को प्रेषित किया जा रहा है वो कहां तक सही है। जो शिक्षक स्कूलों में पढा रहे हैं उनको वेतन शासकीय नियमानूसार दिया जा रहा है या नहीं। साथ ही स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता की भी जांच इनके द्वारा की जाना चाहिए। किंतु कोलारस के शिक्षा महकमे में ऐसा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। कोलारस नगर में ऐसी कई पाठशालाएं शिक्षा विभाग की मिलीभगत से बेखौफ संचालित हो रहीं हैं, जिनके पास न कोई मान्यता है और न अपना निजी भवन।

कैसे थमा दी मूलभूत सुविधाओं से वंचित निजी स्कूलों को मान्यता
कोलारस नगरीय क्षेत्र में अनेकों निजी स्कूल किराए के कमरों में संचालित हो रहे हैं। जिनके पास खेल मैदान, लाइब्रेरी, कम्प्यूटर कक्ष, रेम्परेलिंग, कमोट सिस्टम शौचालय, डीएड, बीएड योग्यताधारी शिक्षक, स्वच्छ पेयजल, चिकित्सा सुविधा, अग्रि सामक यंत्र, सीसीटीवी कैमरे, वाहन जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध न होने के बाद भी आखिरकार शिक्षा विभाग के जवाबदेही अमले ने निजी स्कूलों के रजिस्ट्रेशनों का किस आधार पर मान्यता प्रदान कर नवीनीकरण कर दिया। इसमें शिक्षा विभाग के तकनीकी अमले सहित बीईओ राहुल भार्गव और बीआरसी केपी जैन की कार्यशैली जांच की जद में है।