शिवपुरी। शिवपुरी जिले के कोलारस विधानसभा के खतौरा क्षेत्र में आइसोलेटेड बारिश ने शुक्रवार-शनिवार की आधी रात के बाद अपना कहर बरपा दिया है। दक्षिणी अरब सागर के ऊपर डिप्रेशन एक्टिव होने के परिणाम शिवपुरी जिले में देखने को मिला है। खतौरा क्षेत्र के लगभग 20 गांवों के किसान अब डिप्रेशन की स्थिति में आ गए है। रात के 3 बजे के बाद लगातार 2 घंटे तेज बारिश होने के कारण खेतों में कटी पड़ी मक्का की फसल की महेरी बन गई।
जैसा कि विदित है कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में सिस्टम स्ट्रांग होने के कारण हवा में भी नमी पानी हुई। इसलिए देश के कई हिस्सों सहिम मध्य प्रदेश के अधिकतर जिलों में बादल अपना डेरा डाले हुए है और कही कही बारिश के समाचार भी मिल रहे है। वर्तमान समय में किसान अपनी रवि की फसल की बोवनी की तैयारी कर रहा है। वही जिले के खतौरा बेल्ट में आज बीती रात पानी बरसने के कारण किसानों की चेन की नीद उड गई।
खतौरा क्षेत्र में इस साल सबसे अधिक मक्का की फसल की गई है। इस साल लगातार पानी बरसने के कारण मक्का की फसल के उत्पादन पर असर पड़ा है। किसान धर्मेंद्र यादव ने बताया कि पिछले वर्ष मक्का की फसल प्रति बीघा से 14 से 18 क्विंटल की पैदावार हुई थी और भाव भी 2 हजार प्रति क्विंटल मिला था इस कारण इस क्षेत्र में मक्का जी फसल का रकवा दोगुना हो गया था लेकिन इस साल इस पीले सोने को नजर लग गई और लगातार बारिश के कारण प्रति बीघा फसल की पैदावार कम हो गई। इस वर्ष प्रति बीघा 8 क्विंटल से 12 क्विंटल तक रह गई और वर्तमान समय में मक्का के भाव 1 हजार से 12 सौ रुपए क्विंटल रह गए थे।
अब अंत में किसानों की कचूमर शुक्रवार-शनिवार की रात हुई बारिश ने निकाल दी। इस वर्ष की अतिवर्षा के कारण फसल में नमी थी किसानों ने अपनी फसल सूखाने के लिए खेतो में बिछा दी थी। अचानक पानी बरसने के कारण मक्का की फसल को नुकसान हो गया है। आज सुबह जब सूर्योदय हुआ तो ऐसा लगा की मक्का की महेरी खेतों में ही बन गई है,अभी फिलहाल दो दिन और बारिश की संभावना है इस फसल को उठाकर हम और कहीं शिफ्ट नहीं कर सकते है। कितना नुकसान हुआ है कि अभी यह तय नहीं हुआ है क्यो की मक्का की दाने सुखने के बाद ही पता चलेगा की कितना वह इस बारिश के कारण काला हुआ है।
जैसा कि विदित है कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में सिस्टम स्ट्रांग होने के कारण हवा में भी नमी पानी हुई। इसलिए देश के कई हिस्सों सहिम मध्य प्रदेश के अधिकतर जिलों में बादल अपना डेरा डाले हुए है और कही कही बारिश के समाचार भी मिल रहे है। वर्तमान समय में किसान अपनी रवि की फसल की बोवनी की तैयारी कर रहा है। वही जिले के खतौरा बेल्ट में आज बीती रात पानी बरसने के कारण किसानों की चेन की नीद उड गई।
खतौरा क्षेत्र में इस साल सबसे अधिक मक्का की फसल की गई है। इस साल लगातार पानी बरसने के कारण मक्का की फसल के उत्पादन पर असर पड़ा है। किसान धर्मेंद्र यादव ने बताया कि पिछले वर्ष मक्का की फसल प्रति बीघा से 14 से 18 क्विंटल की पैदावार हुई थी और भाव भी 2 हजार प्रति क्विंटल मिला था इस कारण इस क्षेत्र में मक्का जी फसल का रकवा दोगुना हो गया था लेकिन इस साल इस पीले सोने को नजर लग गई और लगातार बारिश के कारण प्रति बीघा फसल की पैदावार कम हो गई। इस वर्ष प्रति बीघा 8 क्विंटल से 12 क्विंटल तक रह गई और वर्तमान समय में मक्का के भाव 1 हजार से 12 सौ रुपए क्विंटल रह गए थे।
अब अंत में किसानों की कचूमर शुक्रवार-शनिवार की रात हुई बारिश ने निकाल दी। इस वर्ष की अतिवर्षा के कारण फसल में नमी थी किसानों ने अपनी फसल सूखाने के लिए खेतो में बिछा दी थी। अचानक पानी बरसने के कारण मक्का की फसल को नुकसान हो गया है। आज सुबह जब सूर्योदय हुआ तो ऐसा लगा की मक्का की महेरी खेतों में ही बन गई है,अभी फिलहाल दो दिन और बारिश की संभावना है इस फसल को उठाकर हम और कहीं शिफ्ट नहीं कर सकते है। कितना नुकसान हुआ है कि अभी यह तय नहीं हुआ है क्यो की मक्का की दाने सुखने के बाद ही पता चलेगा की कितना वह इस बारिश के कारण काला हुआ है।