नरेन्द्र जैन खनियाधाना। सहकारी विपणन एवं प्रक्रिया सोसायटी मर्यादा खनियाधाना केंद्र पर खाद वितरण में व्याप्त भारी अव्यवस्था और कथित मनमानी के कारण क्षेत्र के हजारों किसानों को को घोर संकट का सामना करना पड़ रहा है त्योहारों की समाप्ति के तुरंत बाद अपनी रबी की फसलों के लिए खाद लेने पहुँचे किसानों की केंद्र पर इतनी विशाल भीड़ जमा हो गई कि प्रशासन को मोर्चा संभालना पड़ा।
सुबह 5 बजे से लगी लाइन
किसानों ने बताया कि खाद की किल्लत और वितरण में होने वाली देरी को देखते हुए वे अपने घरों से तड़के सुबह 5 बजे से ही सोसायटी केंद्र पर लाइन में आकर बैठ गए थे। घंटों के इंतजार के बावजूद जब वितरण शुरू नहीं हुआ तो भीड़ में असंतोष फैलना शुरू हो गया। केंद्र पर लगी इस लंबी कतार में केवल पुरुष किसान ही नहीं थे, बल्कि बड़ी संख्या में महिलाएं, बालिका और छोटे बच्चों के साथ पहुंचे किसान भी शामिल थे, जो अपनी बारी के इंतजार में भूखे-प्यासे खड़े थे। किसानों ने आरोप लगाया कि खाद वितरण करने वाले कर्मचारियों की मनमानी और लेट लतीफी के कारण ही उन्हें यह दुर्दशा झेलनी पड़ रही है।
तहसीलदार निशिकांत जैन ने हाथ जोड़कर की अन्नदाताओं से अपील
हालात उस समय और ज्यादा बिगड़ गए जब किसानों का धैर्य टूटने लगा और केंद्र पर भारी शोरगुल और धक्का-मुक्की की स्थिति बन गई। भीड़ को बेकाबू होते देख तत्काल मौके पर पुलिस बल, राजस्व निरीक्षक, पटवारी और तहसीलदार निशिकांत जैन पहुँचे। प्रशासनिक अधिकारी के रूप में तहसीलदार निशिकांत जैन ने स्वयं किसानों की भीड़ के बीच पहुँच कर स्थिति को संभाला।
उन्होंने किसानों से हाथ जोड़कर आग्रह किया कि वे शांति बनाए रखें और एक व्यवस्थित लाइन में लग जाएं। तहसीलदार जैन ने किसानों को आश्वस्त किया कि सभी को खाद मिलेगी और तुरंत कूपन वितरण शुरू किया जा रहा है। काफी मशक्कत और समझाइश के बाद अधिकारी भीड़ को नियंत्रित करने में सफल रहे और किसानों को कतारबद्ध कर कूपन वितरित किए गए।
केंद्र पर पानी तक की व्यवस्था नहीं
भीड़ से अलग बातचीत में किसानों ने अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि सुबह से लाइन में लगे होने के बावजूद सोसायटी या स्थानीय प्रशासन द्वारा उनके लिए पीने के पानी तक की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। किसानों ने आरोप लगाया कि उन्हें घंटों तक भूखे-प्यासे धूप में खड़े रहना पड़ता है, जिससे उनकी परेशानी कई गुना बढ़ जाती है।
महिला सुरक्षा पर सवाल
सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी किसानों ने सवाल उठाए। उनका कहना था कि मौके पर पुलिस बल तो मौजूद था, लेकिन खाद लेने आई बड़ी संख्या में महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा के लिए कोई भी महिला पुलिसकर्मी या महिला अधिकारी मौजूद नहीं थी। किसानों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि खाद वितरण की व्यवस्था को तत्काल पारदर्शी, व्यवस्थित और समयबद्ध बनाया जाए, ताकि क्षेत्र के अन्नदाता को बार-बार इस तरह की परेशानी और अपमान का सामना न करना पड़े।
सुबह 5 बजे से लगी लाइन
किसानों ने बताया कि खाद की किल्लत और वितरण में होने वाली देरी को देखते हुए वे अपने घरों से तड़के सुबह 5 बजे से ही सोसायटी केंद्र पर लाइन में आकर बैठ गए थे। घंटों के इंतजार के बावजूद जब वितरण शुरू नहीं हुआ तो भीड़ में असंतोष फैलना शुरू हो गया। केंद्र पर लगी इस लंबी कतार में केवल पुरुष किसान ही नहीं थे, बल्कि बड़ी संख्या में महिलाएं, बालिका और छोटे बच्चों के साथ पहुंचे किसान भी शामिल थे, जो अपनी बारी के इंतजार में भूखे-प्यासे खड़े थे। किसानों ने आरोप लगाया कि खाद वितरण करने वाले कर्मचारियों की मनमानी और लेट लतीफी के कारण ही उन्हें यह दुर्दशा झेलनी पड़ रही है।
तहसीलदार निशिकांत जैन ने हाथ जोड़कर की अन्नदाताओं से अपील
हालात उस समय और ज्यादा बिगड़ गए जब किसानों का धैर्य टूटने लगा और केंद्र पर भारी शोरगुल और धक्का-मुक्की की स्थिति बन गई। भीड़ को बेकाबू होते देख तत्काल मौके पर पुलिस बल, राजस्व निरीक्षक, पटवारी और तहसीलदार निशिकांत जैन पहुँचे। प्रशासनिक अधिकारी के रूप में तहसीलदार निशिकांत जैन ने स्वयं किसानों की भीड़ के बीच पहुँच कर स्थिति को संभाला।
उन्होंने किसानों से हाथ जोड़कर आग्रह किया कि वे शांति बनाए रखें और एक व्यवस्थित लाइन में लग जाएं। तहसीलदार जैन ने किसानों को आश्वस्त किया कि सभी को खाद मिलेगी और तुरंत कूपन वितरण शुरू किया जा रहा है। काफी मशक्कत और समझाइश के बाद अधिकारी भीड़ को नियंत्रित करने में सफल रहे और किसानों को कतारबद्ध कर कूपन वितरित किए गए।
केंद्र पर पानी तक की व्यवस्था नहीं
भीड़ से अलग बातचीत में किसानों ने अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि सुबह से लाइन में लगे होने के बावजूद सोसायटी या स्थानीय प्रशासन द्वारा उनके लिए पीने के पानी तक की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। किसानों ने आरोप लगाया कि उन्हें घंटों तक भूखे-प्यासे धूप में खड़े रहना पड़ता है, जिससे उनकी परेशानी कई गुना बढ़ जाती है।
महिला सुरक्षा पर सवाल
सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी किसानों ने सवाल उठाए। उनका कहना था कि मौके पर पुलिस बल तो मौजूद था, लेकिन खाद लेने आई बड़ी संख्या में महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा के लिए कोई भी महिला पुलिसकर्मी या महिला अधिकारी मौजूद नहीं थी। किसानों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि खाद वितरण की व्यवस्था को तत्काल पारदर्शी, व्यवस्थित और समयबद्ध बनाया जाए, ताकि क्षेत्र के अन्नदाता को बार-बार इस तरह की परेशानी और अपमान का सामना न करना पड़े।