करैरा। शिवपुरी जिले के दिनारा क्षेत्र में ग्राम बदरखा में एक अर्थी को दबंगों के कारण अंतिम यात्रा पूरी करने के लिए 2 घंटे के लिए इंतजार करना पडा। बताया जा रहा है कि अर्थी की यात्रा को पूरा कराने के लिए पुलिस बुलानी पडी। मौके पर पहुंची पुलिस अर्थी की यात्रा में उत्पन्न हुए अवरोध को खत्म कराया जब जाकर अर्थी अपनी अंतिम यात्रा पूर्ण कर मुक्ति धाम पहुंची और अर्थी पर रखे शव का अंतिम संस्कार किया गया।
जानकारी के अनुसार दिनारा क्षेत्र के ग्राम बदरखा में श्मशान घाट जाने वाले सरकारी रास्ते पर दबंगों का कब्जा ग्रामीणों के लिए बड़ी समस्या बन गया है। शनिवार को ग्राम निवासी कलकू आदिवासी उम्र 40 साल की मौत के बाद परिजन दोपहर करीब 3 बजे शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जा रहे थे। इस दौरान देव प्रसाद पिता हरदेव लोधी ने रास्ते पर तारबंदी कर अवरोध खड़ा कर दिया, जिससे परिजन करीब 2 घंटे शव लेकर आगे नहीं बढ़ पाए। स्थिति बिगड़ने पर ग्रामीणों ने अर्थी को बीच रास्ते में रख दिया और पुलिस को सूचना दी।
सूचना के बाद दिनारा थाना पुलिस मौके पर पहुंची और कब्जे वाला रास्ता खुलवाकर अंतिम यात्रा को श्मशान घाट तक पहुंचाया। ग्रामीणों का कहना है कि दबंगों द्वारा लगातार श्मशान घाट जाने का रास्ता रोका जाता है, जिससे गांव के करीब 400 लोगों को हर बार अंतिम संस्कार के समय परेशान होना पड़ता है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि श्मशान घाट जाने वाले इस सरकारी रास्ते को कब्जे से मुक्त कर स्थायी समाधान किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति न बने। यह घटना प्रशासनिक उदासीनता और ग्रामीणों की पीड़ा को उजागर करती है।
जानकारी के अनुसार दिनारा क्षेत्र के ग्राम बदरखा में श्मशान घाट जाने वाले सरकारी रास्ते पर दबंगों का कब्जा ग्रामीणों के लिए बड़ी समस्या बन गया है। शनिवार को ग्राम निवासी कलकू आदिवासी उम्र 40 साल की मौत के बाद परिजन दोपहर करीब 3 बजे शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जा रहे थे। इस दौरान देव प्रसाद पिता हरदेव लोधी ने रास्ते पर तारबंदी कर अवरोध खड़ा कर दिया, जिससे परिजन करीब 2 घंटे शव लेकर आगे नहीं बढ़ पाए। स्थिति बिगड़ने पर ग्रामीणों ने अर्थी को बीच रास्ते में रख दिया और पुलिस को सूचना दी।
सूचना के बाद दिनारा थाना पुलिस मौके पर पहुंची और कब्जे वाला रास्ता खुलवाकर अंतिम यात्रा को श्मशान घाट तक पहुंचाया। ग्रामीणों का कहना है कि दबंगों द्वारा लगातार श्मशान घाट जाने का रास्ता रोका जाता है, जिससे गांव के करीब 400 लोगों को हर बार अंतिम संस्कार के समय परेशान होना पड़ता है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि श्मशान घाट जाने वाले इस सरकारी रास्ते को कब्जे से मुक्त कर स्थायी समाधान किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति न बने। यह घटना प्रशासनिक उदासीनता और ग्रामीणों की पीड़ा को उजागर करती है।