पोहरी। प्रसुताओं को समय पर हॉस्पिटल पहुंचाने और सुरक्षित प्रसव कराने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने जननी एक्सप्रेस सेवा शुरू की थी,लेकिन पोहरी विधानसभा में इस काम के लिए केवल एक 108 एंबुलेंस है] 1 एंबुलेंस थाने में खराब होकर खडी है। इस व्यवस्था को लेकर कई बार मीडिया ने खबरों का प्रकाशन किया है लेकिन जिम्मेदार स्वास्थ्य विभाग इस ओर ध्यान नही देता है केवल फर्जी आंकड़े और फर्जी प्रेस नोट रिलीज करने की प्लानिंग करता रहता है।
पोहरी विधानसभा में स्वास्थ्य सेवाएं वेंटिलेटर पर पहुच चुकी है और इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हमे पोहरी थाने में खड़ी एंबुलेंस से मिलती है। अभी पूर्व में समय पर एंबुलेंस नही मिलने के कारण तिघरा निवासी अपनी पत्नी को डिलेवरी होने के बाद 50 किलोमीटर दूर मोटरसाइकिल पर बैठाकर अपनी पत्नी को ले गया था,यह प्रसूता के लिए मौत भरा सफर था।
इस व्यवस्था को मीडिया ने अपनी खबरों के माध्यम से उजागर किया था लेकिन स्वास्थ्य विभाग इस और से आंखे बंद कर ली। पोहरी विधानसभा में केवल 2 एंबुलेंस गाडी है एक खराब होकर थाने में खडी है इस कारण एक गाडी पर पूरा लोड है। इस कारण समय पर लोगों को यह सुविधा नही मिलती है।
शिवपुरी समाचार के पोहरी के संवाददाता पप्पू सिठेले ने कुछ ऐसे ही मामलो को कवर किया है। पोहरी में बुधवार की शाम एक डिलीवरी वाली महिला को सरजापुर 25 किलोमीटर दूर लोडिंग ऑटो से लाना पडा वही प्रसूता के साथ आई आशा कार्यकर्ता ममता ने बताया कि एम्बुलेंस वाहन को कई बार फोन लगाने के बाद भी नही आई तो मजबूरी मे टैक्सी से लाना पडा इसके अलावा परिच्छा निवासी राजू बाथम को भी एम्बुलेंस सुविधा न मिलने पर वो अपनी पत्नी को मोटरसाइकिल पर बैठाकर दस किलोमीटर दूर परिच्छा से लाने पर मजबूर होना पडा।
इसके अलावा जातिन आदिवासी लोकरी निवासी भी 15 किलोमीटर दूर से रात के एक बजे अपनी बेटी को मोटरसाइकिल पर बैठाकर पोहरी अस्पताल लाया यह हालात है कि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को अपने निजी वाहन से डिलेवरी को लाने पर मजबूर होना पड़ रहा वही फोन लगाने पर भी नही मिल रही है।
कुल मिलाकर एंबुलेंस नही होने के कारण ग्रामीणों को अपने वाहन का उपयोग करना पड रहा है लेकिन सबसे अधिक खतरा प्रसुताओं को रहता है तो बाइक पर आती है। यह सफर उनका मौत भरा होता है। मानसून काल है आसमान से बादल पानी कभी भी छोड सकते है रास्ते कीचड भरे भी है,और बरसते पानी में एक प्रसूता को बाइक पर लाने में खतरा कम रही है।
शिवपुरी जिले में एंबुलेंस की संख्या 53 है लेकिन 12 कबाड़
शिवपुरी जिले में 53 कुल 108 एंबुलेंस है। इनमें से दर्जनभर एंबुलेंस खराब हालत में है और गुना बायपास स्थित मिस्त्री के गैराज पर धूल खा रही हैं। ऐसे में एक्सीडेंट में घायल होने वाले लोग व प्रसूताएं समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पा रहीं। कई बार तो लोगों की जान तक चली जाती है। इधर स्वास्थ्य विभाग इन एंबुलेंसो का प्रदेश स्तर से ठेका देकर अपनी जिम्मेदारी को भूल गया है।
सूत्रों की मानें तो एंबुलेंस तो मरम्मत न होने के फेर में महीनों से खराब होकर अब जर्जर हालत में पहुंच गई है। खराब एंबुलेंस को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि यह पूरा काम एक निजी कंपनी देखती है और वही इन्हें सही कराएगी। बताया है कि भोपाल से एक निजी कंपनी ने इन एंबुलेंस के संचालन का ठेका लिया है।
अगर कोई गाड़ी खराब होती है तो उसे सही करवाने की जिम्मेदारी भी उसी कंपनी की है। इधर यह कंपनी इन खराब एंबुलेंस को सही कराने में उदासीन हैं। जिले में बैठे अधिकारियों ने बताया कि जो एंबुलेंस किसी कारण से खराब होकर खड़ी हो जाती है और वह सही समय पर ठीक होकर नहीं चलती तो स्वास्थ्य विभाग संबंधित कंपनी पर जुर्माना लगाता है,क्या स्वास्थ्य विभाग में किसी व्यक्ति की जान की कीमत जुर्माना है यह सबसे बड़ा सवाल है।
पोहरी विधानसभा में स्वास्थ्य सेवाएं वेंटिलेटर पर पहुच चुकी है और इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हमे पोहरी थाने में खड़ी एंबुलेंस से मिलती है। अभी पूर्व में समय पर एंबुलेंस नही मिलने के कारण तिघरा निवासी अपनी पत्नी को डिलेवरी होने के बाद 50 किलोमीटर दूर मोटरसाइकिल पर बैठाकर अपनी पत्नी को ले गया था,यह प्रसूता के लिए मौत भरा सफर था।
इस व्यवस्था को मीडिया ने अपनी खबरों के माध्यम से उजागर किया था लेकिन स्वास्थ्य विभाग इस और से आंखे बंद कर ली। पोहरी विधानसभा में केवल 2 एंबुलेंस गाडी है एक खराब होकर थाने में खडी है इस कारण एक गाडी पर पूरा लोड है। इस कारण समय पर लोगों को यह सुविधा नही मिलती है।
शिवपुरी समाचार के पोहरी के संवाददाता पप्पू सिठेले ने कुछ ऐसे ही मामलो को कवर किया है। पोहरी में बुधवार की शाम एक डिलीवरी वाली महिला को सरजापुर 25 किलोमीटर दूर लोडिंग ऑटो से लाना पडा वही प्रसूता के साथ आई आशा कार्यकर्ता ममता ने बताया कि एम्बुलेंस वाहन को कई बार फोन लगाने के बाद भी नही आई तो मजबूरी मे टैक्सी से लाना पडा इसके अलावा परिच्छा निवासी राजू बाथम को भी एम्बुलेंस सुविधा न मिलने पर वो अपनी पत्नी को मोटरसाइकिल पर बैठाकर दस किलोमीटर दूर परिच्छा से लाने पर मजबूर होना पडा।
इसके अलावा जातिन आदिवासी लोकरी निवासी भी 15 किलोमीटर दूर से रात के एक बजे अपनी बेटी को मोटरसाइकिल पर बैठाकर पोहरी अस्पताल लाया यह हालात है कि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को अपने निजी वाहन से डिलेवरी को लाने पर मजबूर होना पड़ रहा वही फोन लगाने पर भी नही मिल रही है।
कुल मिलाकर एंबुलेंस नही होने के कारण ग्रामीणों को अपने वाहन का उपयोग करना पड रहा है लेकिन सबसे अधिक खतरा प्रसुताओं को रहता है तो बाइक पर आती है। यह सफर उनका मौत भरा होता है। मानसून काल है आसमान से बादल पानी कभी भी छोड सकते है रास्ते कीचड भरे भी है,और बरसते पानी में एक प्रसूता को बाइक पर लाने में खतरा कम रही है।
शिवपुरी जिले में एंबुलेंस की संख्या 53 है लेकिन 12 कबाड़
शिवपुरी जिले में 53 कुल 108 एंबुलेंस है। इनमें से दर्जनभर एंबुलेंस खराब हालत में है और गुना बायपास स्थित मिस्त्री के गैराज पर धूल खा रही हैं। ऐसे में एक्सीडेंट में घायल होने वाले लोग व प्रसूताएं समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पा रहीं। कई बार तो लोगों की जान तक चली जाती है। इधर स्वास्थ्य विभाग इन एंबुलेंसो का प्रदेश स्तर से ठेका देकर अपनी जिम्मेदारी को भूल गया है।
सूत्रों की मानें तो एंबुलेंस तो मरम्मत न होने के फेर में महीनों से खराब होकर अब जर्जर हालत में पहुंच गई है। खराब एंबुलेंस को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि यह पूरा काम एक निजी कंपनी देखती है और वही इन्हें सही कराएगी। बताया है कि भोपाल से एक निजी कंपनी ने इन एंबुलेंस के संचालन का ठेका लिया है।
अगर कोई गाड़ी खराब होती है तो उसे सही करवाने की जिम्मेदारी भी उसी कंपनी की है। इधर यह कंपनी इन खराब एंबुलेंस को सही कराने में उदासीन हैं। जिले में बैठे अधिकारियों ने बताया कि जो एंबुलेंस किसी कारण से खराब होकर खड़ी हो जाती है और वह सही समय पर ठीक होकर नहीं चलती तो स्वास्थ्य विभाग संबंधित कंपनी पर जुर्माना लगाता है,क्या स्वास्थ्य विभाग में किसी व्यक्ति की जान की कीमत जुर्माना है यह सबसे बड़ा सवाल है।