SHIVPURI NEWS - सहकारिता बैंक घोटाले के मुख्य आरोपी अभी भी फरार, 13 करोड़ वाले से वसूली नहीं

Bhopal Samachar

शिवपुरी सहकारिता बैंक की कोलारस शाखा में हुए 80 करोड़ के घोटाले की जांच अब भी अधूरी है। प्रारंभिक जांच में जिन व्यक्तियों को आरोपित बताया गया, उनमें से कई को बाद में बाहर कर दिया गया। एफआईआर भी टुकड़ों-टुकड़ों में दर्ज की गई। जिन बड़े नामों और एजेंसियों के खातों में बड़ी रकम ट्रांसफर हुई थी, उनसे प्रशासन अब तक वसूली नहीं कर पाया है।

इस घोटाले का असर आम जनता पर पड़ा है, जो अपनी मेहनत की कमाई को बैंक से निकालने में असमर्थ हैं। विधानसभा में यह मुद्दा उठ चुका है, लेकिन जांच और कार्रवाई में कोई विशेष तेजी नहीं आई है। जब भी मामला गर्माता है, पुलिस एक-दो आरोपितों को पकड़कर अपनी पीठ थपथपा लेती है।

इस घोटाले में शामिल गनमैन देवेंद्र शर्मा के खाते में 2015 से 2019 के बीच 13 करोड़ से अधिक की राशि ट्रांसफर हुई थी। इसके बाद मुख्य आरोपियों ने एक ही दिन में 5 लाख का भुगतान विभिन्न निजी खातों में किया। 11 जनवरी 2022 को सहकारिता बैंक के घोटाले में एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें कई नाम शामिल हैं, लेकिन मुख्य आरोपित अब भी फरार हैं।

7 मार्च 23 को कार्रवाई के लिए लिखा पत्र मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने 7 मार्च 2023 को पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर कुछ आरोपितों के नाम भेजे थे। इसमें महेंद्र भार्गव, मुकेश कुमार, राधेश्याम शर्मा, सुमन लता पारीक, सलीम खान, रेखा ओझा, रवि रजक, राकेश पराशर, राधारमण पारीक, गिर्राजधरण पारीक, चंद्रप्रकाश ओझा, देवेंद्र शर्मा, अंजली शर्मा, महावीर प्रसाद जैन, शराफत अली, सुनील सेन, संस्था पचावली और लक्ष्मण लाल कुशवाहा के नाम शामिल हैं। हालांकि इन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

इनके खिलाफ दर्ज हुआ मामला
सहकारिता बैंक के घोटाले में 11 जनवरी 2022 को एफआईआर दर्ज की गई थी। जिसमें राकेश पराशर, राकेश कुलश्रेष्ठ, सौरभ मेहर, ज्ञानेंद्र दत्त शुक्ला, रमेश कुमार राजपूत, रेणु शर्मा, प्रभात भार्गव, रामप्रकाश त्यागी, हरिवंश श्रीवास्तव, एएस कुशवाह, मिलिन्दम सहस्त्रबुद्धे, डीके सागर, वायके सिंह, लता कृष्णन सहित एक अन्य शामिल हैं।
शिवपुरी। सहकारिता बैंक की कोलारस शाखा में हुए 80 करोड़ के घोटाले की जांच अब भी अधूरी है। प्रारंभिक जांच में जिन व्यक्तियों को आरोपित बताया गया, उनमें से कई को बाद में बाहर कर दिया गया। एफआईआर भी टुकड़ों-टुकड़ों में दर्ज की गई। जिन बड़े नामों और एजेंसियों के खातों में बड़ी रकम ट्रांसफर हुई थी, उनसे प्रशासन अब तक वसूली नहीं कर पाया है।

इस घोटाले का असर आम जनता पर पड़ा है, जो अपनी मेहनत की कमाई को बैंक से निकालने में असमर्थ हैं। विधानसभा में यह मुद्दा उठ चुका है, लेकिन जांच और कार्रवाई में कोई विशेष तेजी नहीं आई है। जब भी मामला गर्माता है, पुलिस एक-दो आरोपितों को पकड़कर अपनी पीठ थपथपा लेती है।

इस घोटाले में शामिल गनमैन देवेंद्र शर्मा के खाते में 2015 से 2019 के बीच 13 करोड़ से अधिक की राशि ट्रांसफर हुई थी। इसके बाद मुख्य आरोपितों ने एक ही दिन में 5 लाख का भुगतान विभिन्न निजी खातों में किया। 11 जनवरी 2022 को सहकारिता बैंक के घोटाले में एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें कई नाम शामिल हैं, लेकिन मुख्य आरोपित अब भी फरार हैं।

7 मार्च 23 को कार्रवाई के लिए लिखा पत्र मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने 7 मार्च 2023 को पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर कुछ आरोपितों के नाम भेजे थे। इसमें महेंद्र भार्गव, मुकेश कुमार, राधेश्याम शर्मा, सुमन लता पारीक, सलीम खान, रेखा ओझा, रवि रजक, राकेश पराशर, राधारमण पारीक, गिर्राजधरण पारीक, चंद्रप्रकाश ओझा, देवेंद्र शर्मा, अंजली शर्मा, महावीर प्रसाद जैन, शराफत अली, सुनील सेन, संस्था पचावली और लक्ष्मण लाल कुशवाहा के नाम शामिल हैं। हालांकि इन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

इनके खिलाफ दर्ज हुआ मामला
सहकारिता बैंक के घोटाले में 11 जनवरी 2022 को एफआईआर दर्ज की गई थी। जिसमें राकेश पराशर, राकेश कुलश्रेष्ठ, सौरभ मेहर, ज्ञानेंद्र दत्त शुक्ला, रमेश कुमार राजपूत, रेणु शर्मा, प्रभात भार्गव, रामप्रकाश त्यागी, हरिवंश श्रीवास्तव, एएस कुशवाह, मिलिन्दम सहस्त्रबुद्धे, डीके सागर, वायके सिंह, लता कृष्णन सहित एक अन्य शामिल हैं।