एक्सरे ललित मुदगल शिवपुरी। शिवपुरी जिले के कोलारस नगर में लगातार खेतों में प्लॉट उगाने का काम जारी है,लगातार मीडिया इस मामले का प्रकाशन कर रहा है लेकिन कोलारस प्रशासन कार्यवाही नहीं करता है। अवैध कॉलोनाइजर वैध कॉलोनी का झांसी पब्लिक को दे रहे है और खेतो में बिना सुधिया युक्त प्लाट बेच रहे है।
कलेक्टर ने तय की थी जिम्मेदारी
खास बात यह है कि इस संबंध में कलेक्टर कार्यालय से न सिर्फ तहसीदारों बल्कि मुख्य नगरपालिका अधिकारी और पटवारियों को संबोधित करते हुए भी आदेश जारी किए जा चुके हैं कि उनके क्षेत्र में कट रही अवैध कॉलोनियों का प्रमाणीकरण कर कार्यालय को सूचित किया जाए,लेकिन कोलारस हल्के के पटवारी ने इन अवैध कॉलोनी की किसी भी प्रकार की सूची प्रशासन को नहीं सौंपी है,अगर सौंपी है तो कार्यवाही क्यो नही हुई यह सवाल भी बडा है।
कोलारस के हर कोने में कट रही है अवैध कॉलोनी
धरातल की बात करें तो नगर मे शायद ही ऐसी कोई जगह होगी जहां पर धड़ल्ले से अवैध कॉलोनी न कट रही हो, परंतु पटवारियों को यह अवैध कॉलोनाइजेशन नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में अगर यह कहा जाए कि कलेक्टर के आदेश पर भारी पटवारी तो शायद अतिश्योक्ति नहीं होगी।
अब कॉलोनाइजरों ने अवैध कॉलोनाइजिंग का एक नया तरीका ढूंढ लिया है वह शहरी क्षेत्र में पहले तो अपनी जमीन के चारों तरफ दीवार खड़ी करवा लेते हैं और फिर प्रायवेट स्तर पर नक्शा बनवा कर उसमें मुरम की रोड़ें डाल ग्राहकों को इस तरह का झांसा दिया जाता है कि यह पूर्ण विकसित कॉलोनी है व पूरे नियमों का पालन करते हुए काटी जा रही है।
इस तरह से कॉलोनाइजर माटी मोल जमीन को सोने के भाव बेच आम जनता को चूना लगाने में लगे हुए हैं। यह कॉलोनियां सब लोगों को नजर आती हैं लेकिन नगर में हर रोज घूमने वाले पटवारी को नजर नहीं आतीं। बात अगर शहरी क्षेत्र की करें तो संत फार्म,रेलवे स्टेशन, मानीपुरा एप्रोच रोड कुम्हरौआ रोड, भड़ौता रोड, केपीएस के पास, फोरलेन के आसपास तमाम अवैध कॉलोनियां काटी जा रही हैं। परंतु यह कॉलोनियां उक्त कॉलोनी नगर के पटवारी शैलेन्द्र धाकड़ को नजर नहीं आ रहीं। अभी तक इन हल्कों से वर्तमान की स्थिति में कोई प्रमाणीकरण अवैध कॉलोनियों को लेकर प्रस्तुत नहीं किया गया है,
अवैध कॉलोनी को विस्तार के पटवारी की प्लानिंग
कोलारस नगर के हल्के के वर्तमान पटवारी शैलेन्द्र धाकड़ है जो लगभग 3 वर्ष से कोलारस नगर का हल्का संभाल रहे है राजस्व विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो पटवारियों ने एक फंडा तैयार कर लिया है जिससे वह न सिर्फ अवैध कॉलोनी भी कटवा देते हैं बल्कि खुद भी रिपोर्ट न देने की कार्रवाई की जद में आने से बच जाते हैं। इसके लिए पटवारी उस समय तक पूरी तरह से गांधारी की भूमिका में रहते हैं जब तक कि कॉलोनी कट रही होती है। जब कॉलोनी पूरी कट जाती है उसके बाद पटवारी अवैध कॉलोनी की सूचना संबंधित अधिकारी को दे देते हैं। ऐसे में अवैध कॉलोनी काटने पर लगाम नहीं कस पा रही है। विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि रिपोर्ट देर से देने के एवज में पटवारियों को कॉलोनाइजरों से मोटी रकम मिलती है।