बदरवास। शिवपुरी जिले के बदरवास क्षेत्र अंतर्गत आने वाले ग्राम बारईखेड़ा की आदिवासी बस्ती में लगभग 500 की आबादी हैं और इस बस्ती के रहवासियों को कई समस्याओं को सामना करना पड़ा रहा है अभी हाल फिलहाल अगर हम सूर्यदेव की तपन को देखें तो इस समय लगभग 42 से 43 डिग्री टेम्प्रेचर होगा। और इस तड़कती-भड़कती गर्मी में आदिवासी बस्ती के लोग प्यास से तड़प रहे हैं लोगों को गड्ढे में गंदा भरा हुआ पानी पीना पड़ रहा हैं बता दें कि आदिवासी बस्ती में करीबन 5 हेंडपंप हैं जिनसे पानी भर लोग अपना गुजारा कर रहे थे,लेकिन आदिवासी बस्ती के यह सभी हैंडपंप कुछ दिनों से खराब पड़े हुए हैं।
गड्ढे से दूषित पानी भरना पड़ रहा है ग्रामीणों को
जानकारी के अनुसार ग्राम बारईखेड़ा बदरवास में, चौकवारी की आदिवासी बस्ती में 500 की आबादी है। इस बस्ती में रहने वाले परिवारों के लोग पानी के लिए न केवल जान जोखिम में डाल रहे है, बल्कि भीषण गर्मी में लू के थपेड़ों के बीच दो किमी खोदी गई कुईया से दूषित पानी भरकर ला रहे हैं। खास बात यह है कि सिर पर पानी भरकर लाने वालों में कई महिला जनप्रतिनिधि, पूर्व जनपद सदस्य तक शामिल हैं। जो यह कह रही है कि हमारी कोई सुना ही नहीं होती। चौकवारी की आदिवासी बस्ती में स्थित पांच हैंडपंप लंबे समय से खराब पड़े हैं। इनकी शिकायत पीएचई विभाग में कई बार की गई, लेकिन इनको अभी तक नहीं सुधारा गया। ऐसी स्थिति में बस्ती में रहने वाले लोगों ने दो किलोमीटर दूर बीच जंगल में खुदाई कर एक गड्डा बनाया और उसमें से निकलने वाले पानी से ही जैसे-तैसे अपना काम चला रहे है।
जल संकट से जनप्रतिनिधि भी,ढोकर ला रहे पानी
वहीं आपको बता दें कि इस भीषण गर्मी में चौकवारी आदिवासी बस्ती में रहने वाले कई पूर्व और वर्तमान जनप्रतिनिधि भी ग्रामीणों के साथ पानी ढोते हुए नजर आए। पूर्व जनपद सदस्य अमर सिंह पटेलिया और सगन पटेलिया से जब इस पानी की समस्या के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमारे गांव में जल संकट के बारे में कई अधिकारियों को बताया गया है, लेकिन कोई भी हमारी समस्या पर ध्यान नहीं दे रहा। हम बूंद-बूंद पानी के लिए परेशान हो रहे हैं।
पांचों हैंडपंप पड़े हुए हैं खराब,कर चुके हैं कई शिकायतें
आदिवासी बस्ती में लगे पांचों के पांच हैंडपंप खराब पड़े हैं, और पानी के स्थान पर हवा फेंक रहे हैं। इस संबंध में ग्रामीणों ने कई बार अपनी समस्या को उठाया, लेकिन उनकी समस्या और दर्द को समझने वाला कोई भी नहीं है। गर्मी के मौसम में पसीना बहाते हुए पूरा दिन इस बस्ती के लोगों का सिर पर रखकर पानी ढोने में ही निकल रहा है। अगर यह हैडपंप सुधर जाते तो इन आदिवासी लोगों को परेशान नहीं होना पड़ता।
महिला सहित पुरुष,बच्चे भी निकलते हैं सुबह से पानी भरने के लिए
वहीं आपको बता दें कि बस्ती की महिलाएं अपना काम धाम छोड़कर सुबह से बस पानी के लिए निकलती हैं इस भरी गर्मी में बीमार होने का भी खतरा,क्योंकि 40 से ज्यादा के टेम्प्रेचर में लू का खतरा भी मंडरा रहा हैं,इसके साथ ही बस्ती चौकवारी के महिलाए सहित पुरुष व बच्चे सभी लोग सुबह होते ही हाथों में खाली बर्तन लिए पानी लेने के लिए पैदल निकलते हैं। दो किलोमीटर दूर जंगल से होते हुए मुश्किल पहुंचते हैं और तब जाकर यह पानी नसीब होता है। पानी भी दूषित है जिससे बीमारी फैलने का खतरा बना हुआ है। पानी लाने की इस जी तोड़ मुहिम में सुबह होते ही निकल जाना और शाम तक यही क्रम इन आदिवासियों का चलता रहता है। आदिवासियों के जीवन स्तर को सुधारने व उन्हें मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के लिए हर साल करोड़ों रुपए का बजट खर्च किया जा रहा है। बावजूद इसके यह परिवार जिंदा रहने के लिए गंदा पानी पीने को मजबूर है। दूसरा कोई विकल्प न होने के कारण लोग इसी पानी को पीव भगवान भरोसे अपना जीवन निर्वहन कर रहे हैं।
इनका कहना हैं
मेरे संज्ञान में यह मामला आज ही ईई साहब के फोन के बाद आया है। कल ही इस गांव के सभी हैंडपंपों को सुधारने का काम करवाया जाएगा। पहले हमारे पास ऐसी कोई शिकायत नहीं आई थी।
आनंद शर्मा, सब इंजीनियर, पीएचई बदरवास