SHIVPURI NEWS - ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रोजेक्ट पर MTR का ग्रहण, उधर दतिया से उड़ने लगे है प्लेन

Bhopal Samachar

एक्सरे ललित मुदगल शिवपुरी। शिवपुरी के कुंडली में ऐसा कोई योग बैठा है जो विकास को नीच दृष्टि से देखता है और विकास कार्यों में रूकावटे लाता है,और काम समय पर नहीं होता है। अगर पिछली योजनाओं की बात करे तो सिंध जलावर्धन योजना और सीवर प्रोजेक्ट का नाम लिखा जा सकता है। अब इस योग की दृष्टि शिवपुरी में प्रस्तावित एयरपोर्ट पर पड़ गई है। माधव टाइगर रिजर्व की जमीन को एयरपोर्ट के शामिल करना भारी पड रहा है। सरकार और अधिकारियों ने शिवपुरी के एयरपोर्ट की प्लानिंग में माधव टाइगर रिजर्व की 180 बीघा जमीन को लेना भारी पड रहा है। पार्क समय पर एनओसी नहीं देता और रिजर्व की जमीन लेना अर्थात चांद पर कॉलोनी काटने जैसा है,इस कारण इस प्रोजेक्ट की लेंड बदलने की प्लानिंग शुरू हो चुकी है।

उधर कुछ सालों पूर्व अपने अस्तित्व में आए दतिया जिले से प्लेन उड़ना शुरू हो चुके है। दतिया की हवाई पट्टी से एयरपोर्ट बनाने की घोषणा सन 2023 में हुई थी और 2025 के पांचवे महीने दतिया से प्लेन उड़ान भरने लगे है। दो दिन पूर्व ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस एयरपोर्ट का उद्घाटन किया है। यह हम सभी जानते है कि दतिया से अधिक राजनीतिक ताकत शिवपुरी जिला रखता है।

लोकसभा चुनाव से पूर्व लगें शिवपुरी की उड़ान को पंख
प्रदेश की आंतरिक हवाई सेवा में विस्तार के क्रम में वर्ष 2021 से शिवपुरी की हवाई पट्टी के विस्तार के लिए प्रक्रिया शुरू की गई थी। मंद गति से लगातार आगे बढ़ रही इस प्रक्रिया को पंख उस समय लगे जब लोकसभा चुनाव के पहले उड़ान 5.2 के तहत मंत्रालय द्वारा 45 करोड़ रुपये स्वीकृत कर दिए। लोकसभा चुनाव के बाद शिवपुरी से भोपाल के लिए नई स्टार्ट-अप एयरलाइन स्पिरिट एयर ने शिवपुरी एयरपोर्ट के लिए बोली लगाई थी। मप्र सरकार ने शिवपुरी में हवाई पट्टी बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

माधव टाइगर रिजर्व के बाद ITI की जमीन पर नजर
शिवपुरी शहर में झांसी रोड किनारे 900 मीटर रनवे की हवाई पट्टी है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की पहल पर लोकसभा चुनाव से पहले ही शिवपुरी में नया एयरपोर्ट मंजूर हुआ है। एयरपोर्ट के लिए राजस्व विभाग ने 600 बीघा जमीन प्रस्तावित की है। इस प्रस्तावित जमीन में 180 बीघा माधव टाइगर रिजर्व का शामिल है, लेकिन टाइगर रिजर्व की जमीन मिलने में देरी हो रही है। टाइगर रिजर्व की जमीन मिलने में रुकावट जैसी संभावना को देखते हुए राजस्व विभाग विकल्प के रूप में दूसरी जमीन शामिल कर संशोधित प्रस्ताव बनाया है। आईटीआई के पीछे 20 से 25 बीघा जमीन को विकल्प के रूप में रखा है।

माधव टाइगर रिजर्व की सीमा पर विचार ही नहीं किया
एयरपोर्ट बनाने की इस प्रक्रिया को लगभग 4 साल का समय बीत चुका है, जिसमें काफी पेपर वर्क किया गया है, लेकिन खास बात यह है पिछले चार सालों में इस योजना को कागजी विस्तार देते समय यहां के अधिकारियों सहित मप्र कैबिनेट ने एक बार भी इन कानूनों सहित माधव टाइगर रिजर्व की सीमा पर विचार ही नहीं किया।

08 माह पहले एमओयू साइन हो चुका है
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) और मप्र सरकार के बीच 10 अक्टूबर 2024 एमओयू साइन हो चुका है। शिवपुरी में एयरपोर्ट बनाकर संचालन, रखरखाव व संचार नेविगेशन निगरानी सहित हवाई यातायात प्रबंधन सेवाएं संचालित होंगी। प्रारंभिक चरण में 19 सीटर विमान उतरेंगे।


विकल्प में 2200 मीटर का रनवे तैयार हो सकेगा
600 बीघा जमीन में यदि टाइगर रिजर्व की ओर से जमीन आसानी से मिलती है तो 3000 मीटर रनवे का एयरपोर्ट बन सकेगा। यदि टाइगर रिजर्व की जमीन मिलने में रुकावट आई तो दूसरी जमीन शामिल कर 2200 मीटर का रनवे तैयार हो जाएगा। भविष्य में बड़े प्लेन उतर सकें, उस लिहाज से जमीन उपलब्ध कराई जा रही है। एयरपोर्ट के लिए निजी जमीन भी रखी जा रही है। राजस्व विभाग द्वारा अधिग्रहण किया जाएगा। 124 बीघा जमीन का मुआवजा वितरण होना है। बता दें कि मौजूदा हवाई पट्टी 24 बीघा में है जिसका 900 मीटर का रनवे है।

दूसरा पेच NGT का फंसा है
प्रशासन ने योजना को धरातल पर लाने से पूर्व नहीं दिया गाइड लाइन पर ध्यान:  पचमढ़ी में हवाई पट्टी का विस्तार कर वहां भी एयरपोर्ट बनाया जाना प्रस्तावित था, यह एयरपोर्ट टाइगर रिजर्व की सीमा से 50 मीटर दूर बनाया जा रहा था। इस मामले को लेकर बृजेश कुमार भारद्वाज द्वारा एनजीटी में 22 अक्टूबर 2024 को मध्य प्रदेश सरकार के खिलाफ एक याचिका दायर की। उक्त याचिका में एयरपोर्ट के निर्माण को चुनौती देते हुए उन्होंने इसे एनजीटी,सुप्रीम कोर्ट के कानून का उल्लंघन बताया। एनजीटी ने मामले की सुनवाई की।

उक्त सुनवाई के उपरांत मध्य प्रदेश शासन ने एनजीटी को शपथ पत्र दिया है कि वह अब टाइगर रिजर्व के पास एयरपोर्ट नहीं बना रहे है। यदि बात शिवपुरी की करें तो यहां पर तो टाइगर रिजर्व की जमीन का ही अधिग्रहण करके एयरपोर्ट बनाए जाने की योजना पर काम किया जा रहा है,अब प्लानिंग में थोड़ा चेंज है,अगर रिजर्व अपनी जमीन दे भी देता तो यहां एनजीटी का कानून का पेंच भी फंसा हुआ हैं।

विकल्प के रूप में आईटीआई की जमीन
एयरपोर्ट के लिए जमीन प्रस्तावित कर पहले ही भेज चुके हैं। टाइगर रिजर्व की जमीन की प्रक्रिया चल रही है। यदि कहीं कोई दिक्कत आती है तो विकल्प के रूप में आईटीआई के पीछे वाली जमीन को रखा है। जरूरत के आधार पर संशोधित प्रस्ताव भेज सकेंगे।
रविंद्र कुमार चौधरी, कलेक्टर